कर्नाटक में तुंगभद्रा बांध का गेट गिरने से तेलंगाना में चिंता

कर्नाटक में तुंगभद्रा बांध का गेट गिरने से तेलंगाना में चिंता

अगस्त 11, 2024 shivam sharma

कर्नाटक के तुंगभद्रा बांध का गेट गिरा, तेलंगाना में चिंता

कर्नाटक के तुंगभद्रा बांध में गेट नंबर 19 के गिरने की घटना ने स्थानीय और राज्य स्तर पर चिंता की लहर पैदा कर दी है। शनिवार रात को यह दुर्घटना तब हुई जब एक चेन लिंक टूट गया, जिससे गेट पूरी तरह से बह गया। यह गेट तुंगभद्रा नदी के जल को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण था, और इसके गिरने से कृष्णा नदी के निचले हिस्सों में भारी जलप्रवाह की संभावना बढ़ गई है।

तुंगभद्रा बांध: एक संक्षिप्त इतिहास

तुंगभद्रा बांध कर्नाटक के होसपेटे-कप्पल संगम में स्थिति है और यह तुंगभद्रा नदी पर निर्मित एक प्रमुख जलाशय है। इसका निर्माण बहुखण्डी राहत, विद्युत उत्पादन, और बाढ़ नियंत्रण के उद्देश्य से किया गया था। इसे पंपा सागर के नाम से भी जाना जाता है और यह तत्कालीन हैदराबाद राज्य और मद्रास प्रेसिडेंसी के बीच एक संयुक्त परियोजना थी। इस बांध का निर्माण 1953 में पूरा हुआ था और यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा रहा है।

संरचनात्मक विशेषताएँ और परियोजना के प्रमुख वास्तुशिल्प

बांध के मुख्य वास्तुकार हैदराबाद के वेपा कृष्णमूर्ति और पलीमल्लि पापैया और मद्रास के तिरुमाला अयंगर थे। इस बांध का भंडारण क्षमता 101 टीएमसी फीट है और यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र के लिए सिंचाई जल की आपूर्ति करता है। बांध के उत्तरी नहर के हैदराबाद (अब तेलंगाना) पक्ष पर स्थित है पापैया सुरंग जो अपनी इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध है।

तुंगभद्रा नदी के पर्यावरणीय मुद्दे

तुंगभद्रा नदी ने वर्षों से कई पर्यावरणीय समस्याओं का सामना किया है जिसमें सिल्टेशन और औद्योगिक प्रदूषण शामिल हैं। इन समस्याओं का प्रभाव मछुआरों की आजीविका और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ा है। इसके साथ ही, संघेसुला बैराज जो 1860 में ब्रिटिश इंजीनियर सर आर्थर कॉटन द्वारा निर्मित था, ने भी समय-समय पर पुनर्निर्माण का सामना किया है ताकि कडपा जिले के लिए सिंचाई जारी रखी जा सके।

भविष्य की चिंता और आवश्यक कदम

गेट के गिरने से उत्पन्न हुई समस्या ने बांध की संरचनात्मक मजबूती और रखरखाव पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस बांध का सेवा में 70 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है, और इस अवधि के दौरान संरचनात्मक गिरावट का होना स्वाभाविक है। इस घटना के बाद सुरक्षा और निरंतर संचालन सुनिश्चित करने के लिए बांध की तुरंत जांच और मरम्मत की आवश्यकता है।

तुंगभद्रा बांध की यह घटना हमें यह बताने के लिए पर्याप्त है कि महत्वपूर्ण संरचनाओं की नियमित जांच और रखरखाव बहुत आवश्यक है। अपने शुरुआती निर्माण के बाद से ही इस बांध ने कृषकों और उद्योग इकाइयों दोनों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान किया है।

अलर्ट जारी और सुरक्षा की दिशा में कदम

गेट के गिरने से पैदा हुई स्थिति को देखते हुए, कृष्णा नदी के निचले हिस्सों में एक अलर्ट जारी किया गया है। यह अलर्ट संभावित बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों को सूचित और सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया कदम है। बांध प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों को मिलकर बांध की जांच और मरम्मत कार्यों को प्रारंभ करना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो।

संकट की इस घड़ी में हमें सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में मजबूत कदम उठाने की जरूरत है ताकि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा बनी रहे और जनता के हित सुरक्षित रहें।

19 Comments

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    ADI Homes

    अगस्त 12, 2024 AT 23:14

    ये बांध तो 70 साल पुराना है... क्या कोई सोचता है कि इसकी मरम्मत कब हुई? जब तक बजट नहीं मिलेगा, तब तक बाढ़ आ जाएगी।

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    Uday Teki

    अगस्त 12, 2024 AT 23:15

    भाई ये तो बस बाढ़ का इंतज़ार है... 😔

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    Kamlesh Dhakad

    अगस्त 13, 2024 AT 11:29

    मैंने तो सुना था कि ये बांध ब्रिटिश काल से चल रहा है... अब तक चल रहा है तो थोड़ा टेक्नोलॉजी लगा दो, बस।

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    Hardeep Kaur

    अगस्त 15, 2024 AT 09:14

    तुंगभद्रा का ये गेट गिरना सिर्फ एक तकनीकी खराबी नहीं, ये राजनीति की लापरवाही का नतीजा है। हर राज्य अपने लिए सोचता है, कोई नहीं सोचता कि नदी किसी की नहीं, सबकी है।

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    Ira Burjak

    अगस्त 16, 2024 AT 21:05

    अरे भाई, बांध के गेट गिरे तो क्या हुआ? अब तो बाढ़ आएगी, लेकिन बाढ़ के बाद भी राजनीतियों का खेल चलता रहेगा... 😒

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    NEEL Saraf

    अगस्त 17, 2024 AT 03:15

    मैं तेलंगाना से हूँ... हमारे गाँव में तो हर साल बाढ़ आती है, लेकिन इस बार तो असली डर लग रहा है। क्या कोई यहाँ जाकर देखने आया है? या सिर्फ ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हो?

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    Abhi Patil

    अगस्त 18, 2024 AT 23:29

    एक बांध का गेट गिरना तो बहुत छोटी बात है... वास्तविक समस्या यह है कि हमारी राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा नीति में एक गहरा असंगठितता है। हमने आधुनिक इंजीनियरिंग के बजाय ब्रिटिश युग के अवशेषों पर जीवन जीने का फैसला कर लिया है। यह एक अध्यात्मिक अस्तित्व का संकट है।

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    Prerna Darda

    अगस्त 20, 2024 AT 15:06

    ये बांध तो एक सांस्कृतिक विरासत है, न कि सिर्फ एक इंजीनियरिंग डिज़ाइन। इसके गिरने का मतलब है कि हम अपने इतिहास को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। हमारे पास तो डिजिटल ट्विन तक हैं, लेकिन बांध की जाँच के लिए अभी भी एक आदमी को घुटनों के बल चलना पड़ता है।

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    Partha Roy

    अगस्त 21, 2024 AT 16:58

    कर्नाटक ने फिर से तेलंगाना को बाढ़ का शिकार बनाया... ये राज्यों के बीच जल युद्ध है। बांध गिरा या नहीं, ये बात तो बस बहाना है।

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    Shardul Tiurwadkar

    अगस्त 23, 2024 AT 12:58

    अरे भाई, गेट गिरा तो गिर गया... अब जल बह रहा है, तो बहने दो। जिसके खेत में पानी आएगा, उसका तो खुश होने का मौका है। बाकी सब बहुत बड़ी बात बना रहे हो।

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    Ashwin Agrawal

    अगस्त 23, 2024 AT 19:56

    मैंने इस बांध के बारे में एक रिपोर्ट पढ़ी थी... इसकी संरचना में 37% अपर्याप्त फेरों के साथ बनाया गया था। अब तक चल रहा है तो ये चमत्कार है।

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    Dr Vijay Raghavan

    अगस्त 25, 2024 AT 13:50

    हमारे बांध तो अब एक ऐसे दिल की तरह हैं जो बहुत सालों से दवा नहीं ले रहा... अचानक दर्द हो गया तो डॉक्टर को बुलाने लगे। अब तक तो इसे जिंदा रखने के लिए जो भी बचा था, उसे खा लिया गया।

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    Shubham Yerpude

    अगस्त 27, 2024 AT 13:49

    ये गेट गिरना कोई दुर्घटना नहीं है... ये एक अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र है। जिन लोगों ने इस बांध को बनाया, वो अब अमेरिका में हैं। वो चाहते हैं कि हमारी नदियाँ बह जाएँ, ताकि हम अपने आप को खो दें।

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    Chirag Desai

    अगस्त 29, 2024 AT 08:09

    बांध गिरा? ठीक है, अब चलो नए बनाते हैं। बस इतना ही।

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    Haizam Shah

    अगस्त 30, 2024 AT 22:04

    ये बांध तो हमारी आत्मा का प्रतीक है। अगर ये गिर गया, तो हमारा भारत भी गिर रहा है। जागो भाई, अब तक तो बातें कर रहे हो, अब देश के लिए कुछ करो!

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    Vipin Nair

    अगस्त 30, 2024 AT 23:54

    इतिहास बताता है कि जिन बांधों को रखरखाव नहीं मिला, वो गिरे। बाढ़ नहीं, लापरवाही ने गेट को गिराया।
    अब बात ये है कि आगे क्या करेंगे।

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    rohit majji

    अगस्त 31, 2024 AT 06:06

    ये बांध तो बच्चों के खिलौनों की तरह था... जब तक बारिश नहीं हुई, तब तक चलता रहा। अब बारिश हुई, तो टूट गया। अब नया बनाओ, बस।

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    Hemant Kumar

    अगस्त 31, 2024 AT 08:12

    कर्नाटक के लोगों को भी याद दिलाना होगा कि तुंगभद्रा नदी का पानी उनका नहीं, तेलंगाना का भी नहीं... ये तो भारत का है।
    हम अपने राज्यों के नाम पर नदियों को बाँट रहे हैं, लेकिन नदियाँ तो बहती रहती हैं।

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    Devi Rahmawati

    अगस्त 31, 2024 AT 17:25

    क्या कोई जानता है कि तुंगभद्रा बांध के निर्माण के लिए कितने श्रमिकों ने अपनी जान गंवाई? इस बांध का असली मूल्य उन लोगों की बलिदान में है। अब इसे बचाना हमारा कर्तव्य है।

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