कर्नाटक के तुंगभद्रा बांध में गेट नंबर 19 के गिरने की घटना ने स्थानीय और राज्य स्तर पर चिंता की लहर पैदा कर दी है। शनिवार रात को यह दुर्घटना तब हुई जब एक चेन लिंक टूट गया, जिससे गेट पूरी तरह से बह गया। यह गेट तुंगभद्रा नदी के जल को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण था, और इसके गिरने से कृष्णा नदी के निचले हिस्सों में भारी जलप्रवाह की संभावना बढ़ गई है।
तुंगभद्रा बांध कर्नाटक के होसपेटे-कप्पल संगम में स्थिति है और यह तुंगभद्रा नदी पर निर्मित एक प्रमुख जलाशय है। इसका निर्माण बहुखण्डी राहत, विद्युत उत्पादन, और बाढ़ नियंत्रण के उद्देश्य से किया गया था। इसे पंपा सागर के नाम से भी जाना जाता है और यह तत्कालीन हैदराबाद राज्य और मद्रास प्रेसिडेंसी के बीच एक संयुक्त परियोजना थी। इस बांध का निर्माण 1953 में पूरा हुआ था और यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा रहा है।
बांध के मुख्य वास्तुकार हैदराबाद के वेपा कृष्णमूर्ति और पलीमल्लि पापैया और मद्रास के तिरुमाला अयंगर थे। इस बांध का भंडारण क्षमता 101 टीएमसी फीट है और यह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र के लिए सिंचाई जल की आपूर्ति करता है। बांध के उत्तरी नहर के हैदराबाद (अब तेलंगाना) पक्ष पर स्थित है पापैया सुरंग जो अपनी इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध है।
तुंगभद्रा नदी ने वर्षों से कई पर्यावरणीय समस्याओं का सामना किया है जिसमें सिल्टेशन और औद्योगिक प्रदूषण शामिल हैं। इन समस्याओं का प्रभाव मछुआरों की आजीविका और संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर पड़ा है। इसके साथ ही, संघेसुला बैराज जो 1860 में ब्रिटिश इंजीनियर सर आर्थर कॉटन द्वारा निर्मित था, ने भी समय-समय पर पुनर्निर्माण का सामना किया है ताकि कडपा जिले के लिए सिंचाई जारी रखी जा सके।
गेट के गिरने से उत्पन्न हुई समस्या ने बांध की संरचनात्मक मजबूती और रखरखाव पर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस बांध का सेवा में 70 साल से भी ज्यादा का समय हो चुका है, और इस अवधि के दौरान संरचनात्मक गिरावट का होना स्वाभाविक है। इस घटना के बाद सुरक्षा और निरंतर संचालन सुनिश्चित करने के लिए बांध की तुरंत जांच और मरम्मत की आवश्यकता है।
तुंगभद्रा बांध की यह घटना हमें यह बताने के लिए पर्याप्त है कि महत्वपूर्ण संरचनाओं की नियमित जांच और रखरखाव बहुत आवश्यक है। अपने शुरुआती निर्माण के बाद से ही इस बांध ने कृषकों और उद्योग इकाइयों दोनों के लिए महत्वपूर्ण संसाधन प्रदान किया है।
गेट के गिरने से पैदा हुई स्थिति को देखते हुए, कृष्णा नदी के निचले हिस्सों में एक अलर्ट जारी किया गया है। यह अलर्ट संभावित बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों को सूचित और सुरक्षित रखने के लिए उठाया गया कदम है। बांध प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों को मिलकर बांध की जांच और मरम्मत कार्यों को प्रारंभ करना चाहिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हो।
संकट की इस घड़ी में हमें सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में मजबूत कदम उठाने की जरूरत है ताकि महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की सुरक्षा बनी रहे और जनता के हित सुरक्षित रहें।