IMD का अलर्ट: तेज बारिश से लेकर हीटवेव तक
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने जिन इलाकों के लिए ताजा एडवाइजरी जारी की है, वहां मौसम एकदम बदल गया है। पश्चिमी तट से लेकर पूर्वोत्तर तक, कई जगहों पर बेमौसम बारिश का असर दिखने लगा है, तो कुछ हिस्सों में लू की मार झेलनी पड़ रही है।
अगर आप पश्चिमी तटीय राज्यों—यानी कर्नाटक, कोकण-गोवा या केरल—में रहते हैं, तो छाता साथ रखना जरूरी है। 18 से 24 मई तक भारी से बहुत भारी बारिश और बिजली गिरने की घटनाएं यहां देखने को मिलेंगी। यह बारिश लोगों के लिए राहत तो लाएगी, लेकिन बिजली चमकने और तेज आंधी के चलते बाहर निकलने से पहले सोच लें। खेतों में काम कर रहे किसानों के लिए भी सतर्क रहने का वक्त है।
पूर्वोत्तर भारत और सब-हिमालयी इलाकों में अलग ही नजारा है। अरुणाचल प्रदेश से लेकर असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर जैसे राज्यों में, अगले 5-6 दिन तेज बारिश, गरज-चमक और आंधी का सिलसिला चलेगा। बारिश का पानी जहां एक तरफ जलस्तर बढ़ाएगा, वहीं अचानक बाढ़ और भूस्खलन का खतरा भी रहेगी। खासकर पहाड़ों वाले इलाकों के लिए ये संकेत हैं कि सतर्कता जरूरी है।
भीषण गर्मी का कहर और मानसून की चाल
पश्चिम राजस्थान में मौसम के हालात ठीक उलट हैं। IMD ने हीटवेव की चेतावनी दी है, जो 18 से 22 मई तक टिके रहने की उम्मीद है। दोपहर के वक्त बाहर निकलना मुश्किल हो सकता है, और लू से बचना जरूरी है। गर्म हवाओं से जूझ रही इस जमीन पर तापमान दिन-पर-दिन बढ़ता दिख रहा है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में 18 मई को हीटवेव का असर रहेगा, लद्दाख जैसे ठंडे इलाके में भी ऐसे हालात कम ही आते हैं।
जहां एक ओर देश के कई हिस्से मानसून का इंतजार कर रहे हैं, मौसम विभाग के मुताबिक, साउथ-वेस्ट मानसून का उत्तरी सिरा फिलहाल 19°N/97°E तक पहुंच चुका है। यानी मॉनसून लगातार आगे बढ़ रहा है, लेकिन अभी मध्य और उत्तर भारत को इंतजार करना पड़ेगा।
मानसून की इस चाल के बीच राजधानी दिल्ली में भी गर्मी कम होने का नाम नहीं ले रही। 18 मई को राजधानी ने 41.4 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान दर्ज किया। मई की शुरुआत में ही ऐसे पारे को देख दिल्लीवासी जवाब दे चुके हैं। रात का न्यूनतम तापमान 1.0 डिग्री नहीं, बल्कि किसी मापनीय त्रुटि की वजह से ऐसा दर्ज हुआ है—क्योंकि इतनी कम रात की ठंड संभव नहीं। गर्मी में दिल्ली की सड़कों, मेट्रो, और ऑफिस सभी जगहें तप रही हैं।
अगर आप इन राज्यों या शहरों में हैं, तो मौसम से जुड़े अलर्ट जरूर फॉलो करें। पश्चिमी तट और पहाड़ी इलाकों में बारिश के दौरान बाहर निकलने से बचें, और राजस्थान अथवा जम्मू-कश्मीर में हीटवेव के बीच धूप-गर्मी से सावधान रहें। बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों का खास ध्यान रखें।
Chirag Desai
मई 21, 2025 AT 07:21ये बारिश तो बस बर्बादी कर रही है, बिजली गिर रही है, रास्ते बंद, और फिर भी कोई तैयारी नहीं। किसानों को तो बस अपनी फसल खोने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
Hardeep Kaur
मई 22, 2025 AT 13:29मैं असम से हूँ, यहां तो पिछले दो दिनों से बारिश बंद नहीं हुई। घर के आसपास भूस्खलन का खतरा है, लेकिन कोई अलर्ट नहीं मिला। लोग बस घर में बंद हैं। अगर ये बारिश और बढ़ी तो बहुत बड़ी आपदा हो सकती है।
Abhi Patil
मई 24, 2025 AT 03:15आइए थोड़ा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें - यह विषम मौसमी पैटर्न वास्तव में जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत उत्पन्न होने वाले टर्बुलेंट एनर्जी ट्रांसफर प्रोसेसेस का परिणाम है, जिसमें उष्णकटिबंधीय अवधि के अतिरिक्त ऊर्जा निकास और समुद्री तापमान विचलन का संयोजन एक अत्यधिक अस्थिर एटमॉस्फेरिक सिस्टम का निर्माण करता है। अतः, यह केवल एक अस्थायी घटना नहीं, बल्कि एक नए जलवायु नॉर्म की शुरुआत है।
Prerna Darda
मई 25, 2025 AT 12:58मौसम के इस अनियमित व्यवहार को देखकर लगता है कि हमने प्रकृति के साथ अपना सामंजस्य खो दिया है। हमने विकास के नाम पर जंगल काटे, नदियों को बंद किया, और अब प्रकृति हमें उसी तरह जवाब दे रही है - बारिश से नहीं, बल्कि जलवायु के अंतर्गत अस्तित्व के लिए लड़ने के लिए। ये चेतावनी है, न कि बस एक अलर्ट।
Hitendra Singh Kushwah
मई 27, 2025 AT 01:03मैंने अपने दोस्त को राजस्थान में फोन किया - वो बोला, 'बाहर निकलना तो बर्बादी है, गर्मी इतनी है कि चश्मा पिघल रहा है।' अगर ये तापमान आगे बढ़ा, तो लोगों को घरों में रहना पड़ेगा। बिना AC के जिंदगी अब असंभव हो गई है।
rohit majji
मई 28, 2025 AT 11:16ये हीटवेव तो बस बदतर होता ja raha hai... koi bhi thanda pani nahi mil raha, aur yeh IMD ka alert to bas paper pe hi rehta hai. Kisi ne koi action liya? Nahi. Bas warning di, aur chale gaye.
Devi Rahmawati
मई 29, 2025 AT 04:51इस अलर्ट के बाद, जिन लोगों को बच्चे, बुजुर्ग या रोगी परिवार के सदस्य हैं, उन्हें विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। यह जानकारी अत्यंत महत्वपूर्ण है, और सरकार को इसे स्थानीय स्तर पर विस्तार से समझाना चाहिए - जैसे गांवों में सुनावट, स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम, और आपातकालीन स्वास्थ्य टीमों की तैनाती।