पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 के पहले ही दिन भारतीय टीम के लिए एक बेहद गर्व का मौका आया जब अवनी लेखरा ने महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 इवेंट में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया। यह जीत अवनी के लिए खास इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने इस आयोजन में न केवल स्वर्ण पदक जीता, बल्कि एक नया पैरालिम्पिक रिकॉर्ड भी स्थापित किया। टोक्यो पैरालिम्पिक्स 2020 में भी अवनी ने इसी इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था और उन्होंने पेरिस में भी अपनी चमकदार प्रदर्शन से इस उपलब्धि को बरकरार रखा।
अवनी का प्रदर्शन पूरी प्रतियोगिता में बेहद शानदार था। फाइनल में अवनी ने शुरुआत से ही बढ़त बना रखी थी, लेकिन अंतिम शॉट से पहले वे दूसरे स्थान पर खिसक गई थीं। कोरियाई प्रतिद्वंद्वी युनरी ली ने उन्हें हराकर पहले स्थान पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, ली आखिरी शॉट में दबाव सहन नहीं कर पाई और 6.8 का स्कोर दिखाया, जबकि अवनी ने 10.5 का नक्दा लगाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
मोना अग्रवाल ने भी उसी इवेंट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। मोना ने 228.7 स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर कब्जा किया। उनकी शूटिंग की उत्कृष्टता ने उन्हें यह पदक दिलाया। भारतीय दल के लिए यह बेहद गर्व का लम्हा था जब दो महिला खिलाड़ियों ने एक ही इवेंट में दो पदक जीते।
अवनी लेखरा की यह जीत उनके करियर के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुई है। पेरिस पैरालिम्पिक्स में अभी और भी इवेंट्स में उनकी भागीदारी होनी है और उनके प्रदर्शन को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय दल उनसे और भी पदकों की उम्मीद कर रहा है। अवनी ने जिस प्रकार का आत्मविश्वास और अनुशासन दिखाया है, उससे उनकी आगे की खेल यात्राओं में और भी सफलता की संभावना है। अवनी का ध्यान और उनकी मेहनत ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है और यही गुण उन्हें आगे भी बड़ी जीत दिलाएंगे।
भारतीय खेल इतिहास में यह एक गौरवपूर्ण पल है और भारतीय दल की बात करें तो ऐसे खिलाड़ी देश का मान बढ़ा रहे हैं। पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 में अवनी और मोना की जीत ने अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है। जितनी मेहनत और संघर्ष इन खिलाड़ियों ने किया है, वह सराहनीय है।
अवनी और मोना की इस जीत ने दिखा दिया है कि भारतीय खेल प्रतिभा किसी से कम नहीं है, चाहे वह नॉर्मल ओलिम्पिक्स हो या पैरालिम्पिक्स। अब सबकी नजरें अवनी के आगामी इवेंट्स पर टिकी होंगी और भारतीय दल अपनी पूरी तैयारी के साथ उनका और भी समर्थन करेगा। इस जीत ने भारतीय पैरालिम्पिक दल के आत्मविश्वास को भी बढ़ाया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे के दिनों में और कौन से खिलाड़ी पदक जीतते हैं।
अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल की जीत ने न केवल खेल जगत को प्रेरित किया है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दिया है। यह जीत उन सभी को एक प्रेरणा स्रोत प्रदान करती है जो किसी कारणवश लक्ष्य को पाने में कठिनाईयों का सामना कर रहे होते हैं। इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत किसी भी बाधा को पार कर सकती है।
संयुक्त रूप से, यह एक ऐसा अवसर है जब पूरे देश को गर्व महसूस हो रहा है। अवनी और मोना की यह जीत भारतीय खेल इतिहास में लंबे समय तक याद रखी जाएगी और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगी। भारतीय खेल प्राधिकरण और सरकार को भी इन खिलाड़ियों के उम्दा प्रदर्शन के लिए और बेहतर सुविधाओं और संसाधनों की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि भविष्य में और भी अवनी और मोना जैसे खिलाड़ी सामने आएं।
अंत में, पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 में अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल की जीत ने भारतीय खेल प्रेमियों को एक नई उम्मीद दी है और साबित किया है कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। भारतीय खेल में इसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी और आने वाले ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक खेलों में और भी बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।