पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 में अवनी लेखरा ने जीता स्वर्ण, मोना अग्रवाल ने जीता कांस्य पदक

पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 में अवनी लेखरा ने जीता स्वर्ण, मोना अग्रवाल ने जीता कांस्य पदक

अगस्त 30, 2024 shivam sharma

पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024: अवनी लेखरा की शानदार जीत

पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 के पहले ही दिन भारतीय टीम के लिए एक बेहद गर्व का मौका आया जब अवनी लेखरा ने महिला 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 इवेंट में स्वर्ण पदक जीत कर इतिहास रच दिया। यह जीत अवनी के लिए खास इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने इस आयोजन में न केवल स्वर्ण पदक जीता, बल्कि एक नया पैरालिम्पिक रिकॉर्ड भी स्थापित किया। टोक्यो पैरालिम्पिक्स 2020 में भी अवनी ने इसी इवेंट में स्वर्ण पदक जीता था और उन्होंने पेरिस में भी अपनी चमकदार प्रदर्शन से इस उपलब्धि को बरकरार रखा।

अवनी का प्रदर्शन पूरी प्रतियोगिता में बेहद शानदार था। फाइनल में अवनी ने शुरुआत से ही बढ़त बना रखी थी, लेकिन अंतिम शॉट से पहले वे दूसरे स्थान पर खिसक गई थीं। कोरियाई प्रतिद्वंद्वी युनरी ली ने उन्हें हराकर पहले स्थान पर कब्जा कर लिया था। हालांकि, ली आखिरी शॉट में दबाव सहन नहीं कर पाई और 6.8 का स्कोर दिखाया, जबकि अवनी ने 10.5 का नक्दा लगाकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

मोना अग्रवाल की कांस्य पदक जीत

मोना अग्रवाल ने भी उसी इवेंट में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक जीता। मोना ने 228.7 स्कोर के साथ तीसरे स्थान पर कब्जा किया। उनकी शूटिंग की उत्कृष्टता ने उन्हें यह पदक दिलाया। भारतीय दल के लिए यह बेहद गर्व का लम्हा था जब दो महिला खिलाड़ियों ने एक ही इवेंट में दो पदक जीते।

अवनी का भविष्य में और प्रदर्शन की उम्मीद

अवनी लेखरा की यह जीत उनके करियर के लिए एक और मील का पत्थर साबित हुई है। पेरिस पैरालिम्पिक्स में अभी और भी इवेंट्स में उनकी भागीदारी होनी है और उनके प्रदर्शन को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय दल उनसे और भी पदकों की उम्मीद कर रहा है। अवनी ने जिस प्रकार का आत्मविश्वास और अनुशासन दिखाया है, उससे उनकी आगे की खेल यात्राओं में और भी सफलता की संभावना है। अवनी का ध्यान और उनकी मेहनत ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है और यही गुण उन्हें आगे भी बड़ी जीत दिलाएंगे।

भारतीय पैरालिम्पिक दल की उम्मीदें

भारतीय खेल इतिहास में यह एक गौरवपूर्ण पल है और भारतीय दल की बात करें तो ऐसे खिलाड़ी देश का मान बढ़ा रहे हैं। पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 में अवनी और मोना की जीत ने अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया है। जितनी मेहनत और संघर्ष इन खिलाड़ियों ने किया है, वह सराहनीय है।

अवनी और मोना की इस जीत ने दिखा दिया है कि भारतीय खेल प्रतिभा किसी से कम नहीं है, चाहे वह नॉर्मल ओलिम्पिक्स हो या पैरालिम्पिक्स। अब सबकी नजरें अवनी के आगामी इवेंट्स पर टिकी होंगी और भारतीय दल अपनी पूरी तैयारी के साथ उनका और भी समर्थन करेगा। इस जीत ने भारतीय पैरालिम्पिक दल के आत्मविश्वास को भी बढ़ाया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे के दिनों में और कौन से खिलाड़ी पदक जीतते हैं।

खेल और समाज में इसकी प्रभाव

खेल और समाज में इसकी प्रभाव

अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल की जीत ने न केवल खेल जगत को प्रेरित किया है, बल्कि समाज में एक सकारात्मक संदेश भी दिया है। यह जीत उन सभी को एक प्रेरणा स्रोत प्रदान करती है जो किसी कारणवश लक्ष्य को पाने में कठिनाईयों का सामना कर रहे होते हैं। इस जीत ने यह साबित कर दिया है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत किसी भी बाधा को पार कर सकती है।

संयुक्त रूप से, यह एक ऐसा अवसर है जब पूरे देश को गर्व महसूस हो रहा है। अवनी और मोना की यह जीत भारतीय खेल इतिहास में लंबे समय तक याद रखी जाएगी और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनेगी। भारतीय खेल प्राधिकरण और सरकार को भी इन खिलाड़ियों के उम्दा प्रदर्शन के लिए और बेहतर सुविधाओं और संसाधनों की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि भविष्य में और भी अवनी और मोना जैसे खिलाड़ी सामने आएं।

अंत में, पेरिस पैरालिम्पिक्स 2024 में अवनी लेखरा और मोना अग्रवाल की जीत ने भारतीय खेल प्रेमियों को एक नई उम्मीद दी है और साबित किया है कि कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। भारतीय खेल में इसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देगी और आने वाले ओलिम्पिक और पैरालिम्पिक खेलों में और भी बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद की जा सकती है।

7 Comments

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    Chirag Desai

    अगस्त 31, 2024 AT 06:22
    अवनी ने तो बस दिल जीत लिया। 10.5 का शॉट देखकर मैं उठ खड़ा हुआ! 🙌
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    Uday Teki

    सितंबर 2, 2024 AT 04:24
    ये लड़कियां बस देश की गर्व हैं ❤️ इतनी मेहनत के बाद ये जीत बस इंसानी जीत है। बहुत बढ़िया किया! 👏😊
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    Hardeep Kaur

    सितंबर 2, 2024 AT 17:46
    मैंने फाइनल वाला शॉट देखा था। युनरी ली का दबाव में टूटना दिल दहला गया। अवनी का शांत चेहरा और आत्मविश्वास देखकर लगा जैसे उनके अंदर कोई रिकॉर्ड बनाने का इरादा ही नहीं, बल्कि इतिहास लिखने का था। उनकी तैयारी और मानसिक शक्ति का जिक्र करना भी कम है। ये खेल नहीं, ये जीवन का अध्याय है।
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    Abhi Patil

    सितंबर 4, 2024 AT 02:31
    अवनी की जीत को देखकर मुझे याद आया कि अमेरिकी एथलीट्स भी इसी इवेंट में 2016 में लगभग एक ही स्कोर के साथ गोल्ड जीत चुके हैं, लेकिन उनके पास निरंतर ट्रेनिंग और डेटा-ड्रिवन एनालिटिक्स था। भारतीय खिलाड़ियों को तो बस एक अच्छा राइफल और एक शांत मानसिकता चाहिए। ये जीत एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, लेकिन इसे एक सिस्टम की उपलब्धि बनाने के लिए हमें राष्ट्रीय स्तर पर एक वैज्ञानिक एप्रोच अपनानी होगी। इसके बिना, ये सिर्फ एक बार की चमक है।
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    Prerna Darda

    सितंबर 6, 2024 AT 01:43
    अवनी का ये प्रदर्शन एक एपिस्टेमोलॉजिकल ट्रांसफॉर्मेशन है - यह दर्शाता है कि शारीरिक सीमाएं वास्तविकता की अंतिम सत्यता नहीं हैं। उनकी मानसिक अनुशासन, अवलोकन शक्ति और फोकस ने एक नए फ्रेमवर्क को जन्म दिया है जहां असमर्थता का अर्थ असमर्थता नहीं, बल्कि अलग अभिव्यक्ति है। यह जीत न सिर्फ एक पदक है, बल्कि एक नए नॉर्म का निर्माण है। अब तक जिन लोगों ने पैरालिम्पिक्स को 'दयालुता का खेल' समझा, उन्हें अब इसे 'अतिरिक्त शक्ति का खेल' कहना चाहिए।
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    rohit majji

    सितंबर 8, 2024 AT 00:38
    bhagwan ne unko itna talent diya hai ki yeh sab kuchh karna hai... maine socha tha ki yeh toh bas ek award hoga... lekin ye toh ek movement hai! 💪❤️ koi bhi kah sakta hai ki 'main kuch nahi kar sakta'... lekin avni ne sabko dikha diya ki haan, tum kar sakte ho!
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    Devi Rahmawati

    सितंबर 8, 2024 AT 10:52
    मोना अग्रवाल की कांस्य पदक जीत भी एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है। इस तरह के द्वि-पदक विजयी इवेंट्स ने भारतीय खेल प्रणाली में एक नए आदर्श की नींव रखी है। यह सिद्धांत है कि एकल उपलब्धि के बजाय, एक खेल में बहुत से खिलाड़ियों की सफलता ही वास्तविक विकास का संकेत है। इसलिए, अवनी और मोना की जीत को एक व्यक्तिगत उपलब्धि के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक और संस्थागत परिवर्तन के रूप में देखना चाहिए। यह भविष्य के लिए एक नए नियम का उदाहरण है।

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