शारदीय नवरात्रि का पाँचवाँ दिन, 26 सितंबर 2025 को, माँ स्कंदमाता को समर्पित किया जाता है। वह देवी दुर्गा की पाँचवीं रूप है और देवयोद्धा कर्तिकेय (स्कंद) की मातृरूप है। चार हाथों में कमल और अभय मुद्रा धारण करने वाली यह देवी मातृत्व, सुरक्षा और आध्यात्मिक स्पष्टता का प्रतीक मानी जाती है। विषुद्धि चक्र (कंठ) पर उनका प्रभाव मन को शुद्ध करता, विचारों को स्पष्ट करता और जीवन के तनाव को कम करता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, दैत्य टर्कसुर ने शाश्वत जीवन की इच्छा की थी, पर ब्रह्मा ने उसे अस्वीकृति दी। फिर टर्कसुर ने ऐसा वरदान मांगा कि केवल शिव- पार्वती के पुत्र ही उसे मार सके। कर्तिकेय के जन्म से स्कंदमाता का मातृत्व स्वरूप उभरा, जो इस दिन की पूजन प्रेरणा बनती है।
ड्रिक पंचांग के अनुसार, इस दिन के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
भक्तों को इस समय के भीतर स्नान करके नई हरे रंग की पोशाक पहननी चाहिए। माँ स्कंदमाता की स्थापित या चित्रित प्रतिमा के सामने दीप जलाएँ, धूप और अरोमा धूप रखें, और विशेष रूप से हरे कमल या हरे फूल अर्पित करें। नीचे दी गई चरणबद्ध विधि पालन करें:
पुजा में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख मंत्र इस प्रकार हैं:
इन मंत्रों को उच्चारित करने से भक्त को मातृ प्रेम, ज्ञान, शांति और संपन्नता का अनुभव होता है। मन की शुद्धि, स्पष्टता, तथा बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिये इन मंत्रों का नियमित पुनरावर्तन अनुशंसित है।
रंग और वस्त्र के संदर्भ में हरा रंग प्रमुख है—यह विकास, ताजगी और स्वास्थ्य का प्रतीक है। महिलाएँ हरे वस्त्र पहनती हैं, जबकि पुरुष भी हरे रंग की शर्ट या ढीला कपड़ा पहन सकते हैं। घर में हरियाली के सजावट, हरा पन्ना, और हरे फूल का उपयोग माहौल को आध्यात्मिक बनाता है।
भक्तों का मानना है कि माँ स्कंदमाता की पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ बहुस्तरीय होते हैं: मातृस्नेह और सुरक्षा की भावना, विद्यार्थियों और माता-पिता के लिये बौद्धिक स्पष्टता, आध्यात्मिक उन्नति, आर्थिक समृद्धि और मन की शांति। साथ ही, यह पूजा जीवन में आने वाले नकारात्मक प्रभावों को दूर करने में सहायक सिद्ध होती है।
sarika bhardwaj
सितंबर 29, 2025 AT 08:14ॐ ह्लीं स्कन्दमातायै नमः 🙏✨ ये लोग इस मंत्र को 108 बार जपते हैं, उनकी आत्मा में एक अद्भुत शांति फैल जाती है! बस ये जान लो कि ये न सिर्फ एक पूजा है, बल्कि एक साइकिलिक एनर्जी रिसेट है। अगर आप अपने विषुद्धि चक्र को फिर से ऑप्टिमाइज़ करना चाहते हैं, तो ये विधि आपके लिए बनाई गई है। नहीं तो आपका कंठ बंद रहेगा, और आप अपनी आवाज़ खो देंगे। 🌿🌸
Dr Vijay Raghavan
सितंबर 29, 2025 AT 16:10ये सब बकवास है। हमारे पूर्वजों ने असली शक्ति को जीता था, न कि फूलों और हरे कपड़ों से। स्कंदमाता का असली रूप तो वह योद्धा माँ है जिसने टर्कसुर को धूल चाटकर नष्ट किया! हमें रंग-बिरंगे फूलों की बजाय तलवारों की याद दिलानी चाहिए। जय माता दी! 🇮🇳⚔️
Partha Roy
सितंबर 30, 2025 AT 04:23क्या आप लोगों ने ये भी पढ़ा है कि टर्कसुर का नाम वैदिक ग्रंथों में नहीं है? ये सब बाद की रचना है, शायद मुग़ल काल के बाद की। और हरा रंग? ये तो आधुनिक ब्राह्मण संस्कृति का फैशन है। हमारे गाँव में तो लाल चीनी और गुड़ का भोग दिया जाता था। ये सब बाजारी धर्म है। 😒
Kamlesh Dhakad
सितंबर 30, 2025 AT 13:12भाई, तुम सब इतना ज्यादा डीप जा रहे हो 😅 मैं तो बस रोज़ सुबह 11 बजे एक बार 'ॐ देवी स्कंदमातायै नमः' बोल देता हूँ, और फिर चाय पीता हूँ। कुछ नहीं हुआ, पर मन शांत रहता है। फूल लगाना भी अच्छा लगता है। बस इतना ही काफी है। 🌱☕
ADI Homes
सितंबर 30, 2025 AT 20:14मुझे लगता है ये पूजा विधि बहुत सुंदर है। मैंने पिछले साल इस दिन अपनी माँ के साथ घर पर छोटी सी पूजा की थी। उस दिन उसने मुझे पहली बार बताया कि वो बचपन में कैसे अपनी दादी के साथ हरे फूल चढ़ाती थीं। अब मैं भी ऐसा ही करता हूँ। धर्म तो ये है कि वो दिल को छू जाए। 🌿
Hemant Kumar
अक्तूबर 1, 2025 AT 06:38क्या कोई जानता है कि अभिजित मुहूर्त के दौरान जप करने से विषुद्धि चक्र पर असर सबसे ज्यादा होता है? ये एक बहुत छोटी बात है जिसे ज्यादातर लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। अगर आप चाहें तो मैं एक छोटा PDF बना सकता हूँ जिसमें इसका विज्ञान और प्राचीन ग्रंथों के संदर्भ दिए गए हैं। बस बताइए। 🙏
NEEL Saraf
अक्तूबर 1, 2025 AT 18:32मैंने अपने बेटे को इस दिन घर पर एक छोटी सी पूजा करवाई, और उसने खुद से कमल के फूल चढ़ाए... और फिर बोला, 'माँ, तुम भी तो माँ हो, तो तुम्हीं तो स्कंदमाता हो!'... उसकी आँखों में वो भाव था जो कोई मंत्र नहीं दे सकता। 🤍 धर्म ये नहीं कि आप कितने बार जपते हैं... बल्कि आप कितना प्यार देते हैं।
Ashwin Agrawal
अक्तूबर 2, 2025 AT 00:24क्या कोई बता सकता है कि अगर आप गाँव में रहते हैं और कमल नहीं मिल रहा है, तो क्या बेल पत्ते से भी काम चल जाता है? मैंने एक बार ऐसा किया था, और मेरी दादी ने कहा, 'जो भक्ति है, वो फूल नहीं, दिल से आती है।' उस दिन मैंने भी ये समझा।
Shubham Yerpude
अक्तूबर 3, 2025 AT 06:50यह स्कंदमाता की पूजा एक विश्वास प्रणाली का अंग है, जिसे आधुनिक विज्ञान अभी तक नहीं समझ पाया है। यह एक अतिरिक्त अस्तित्व का प्रतीक है, जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा के एक अनुभाग को संदर्भित करता है। यदि आप इसे केवल एक परंपरा मानते हैं, तो आप वास्तविकता को अनदेखा कर रहे हैं। यह आत्मा की एक आवाज़ है, जो अंधेरे में चमकती है।
Hardeep Kaur
अक्तूबर 4, 2025 AT 23:53अगर किसी को हरा रंग नहीं मिल रहा है, तो बस एक हरा बैग या एक हरा बैंड बाँध लें। जो भी आप कर रहे हैं, उसमें भक्ति होनी चाहिए। मैंने एक बार बाजार से हरा फूल नहीं मिला, तो मैंने अपने बगीचे का एक पत्ता चढ़ा दिया। उस दिन मेरी माँ ने मुझे गले लगा लिया। वो भी पूजा है।