देवशयनी एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन से ‘चातुर्मास’ की अवधि आरंभ होती है, जिसमें धार्मिक गतिविधियों का विशेष महत्व होता है। चातुर्मास की अवधि में विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्यों से परहेज किया जाता है। इसके बजाय, भगवान शिव, विष्णु, गणेश और दुर्गा की पूजा करना शुभ माना जाता है।
2024 में, देवशयनी एकादशी का पर्व 17 जुलाई को पड़ रहा है। एकादशी तिथि 16 जुलाई को रात 8:33 बजे आरंभ होकर 17 जुलाई को रात 9:02 बजे समाप्त होगी। यह व्रत सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक रखा जाता है, और पारणा (व्रत तोड़ने का समय) 18 जुलाई को सुबह 6:12 बजे से लेकर 8:42 बजे तक रहेगा।
भगवान विष्णु की पूजा का विशेष समय 17 जुलाई को सुबह 6:12 से 9:20 बजे तक है। यह समय बहुत पवित्र माना जाता है और इस समय के दौरान भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत फलदायक माना जाता है।
देवशयनी एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे करने से आध्यात्मिक लाभ और मानसिक शांति प्राप्त होती है। व्रत के दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर उनकी पूजा करें। पूजा में पंचामृत, पुष्प, फल, और तुलसी दल का उपयोग करें। विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें और दिनभर भगवान के नाम का जप करें।
व्रत पारणा का समय अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे सही समय पर करना चाहिए। 2024 में, पारणा का समय 18 जुलाई को सुबह 6:12 बजे से लेकर 8:42 बजे तक है। इस समय के बीच व्रत तोड़ने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की अवधि शुरू होती है जो कि चार महीने तक चलती है। चातुर्मास का मतलब भगवान विष्णु का शयनकाल है और इस दौरान शुभ कार्य जैसे विवाह, मुंडन, और गृह प्रवेश नहीं किए जाते हैं। इस अवधि में धार्मिक गतिविधियों में संलग्न रहना और भगवान की सेवा करना विशेष लाभकारी माना जाता है।
देवशयनी एकादशी की पूजा करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इस पर्व को हरिशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी, और पद्मनाभ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। व्रत रखने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है और भगवान का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अत: इस दिन का व्रत और पूजा श्रद्धा और समर्पण के साथ करें। देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।