जम्मू-कश्मीर में वक्फ बिल में संशोधन से बढ़ी चिंता: विपक्ष की आरोपियों की सूची में जेपीसी की भूमिका

जम्मू-कश्मीर में वक्फ बिल में संशोधन से बढ़ी चिंता: विपक्ष की आरोपियों की सूची में जेपीसी की भूमिका

जनवरी 28, 2025 shivam sharma

वक्फ संशोधन बिल में बदलाव की प्रक्रिया

संवेदनाओं और राजनीति का मिश्रण वक्फ संशोधन बिल के इर्द-गिर्द घिरता जा रहा है। वक्फ संशोधन बिल में प्रस्तावित संशोधनों को लेकर जम्मू-कश्मीर सहित भारत भर में विपक्षी दलों के बीच असंतोष और बहस छिड़ी हुई है। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अध्यक्षता में बिल में कुल 44 संशोधनों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। 6 महीने से चल रहे इस विवरणात्मक चर्चा में 34 बैठकों में 108 घंटे से भी ज़्यादा का समय लगा, जिसमें विभिन्न पक्षकारों से 284 बार चर्चा की गई।

जेपीसी ने 14 संशोधनों को ध्वनिमत से पारित कर दिया, वहीं 10 सदस्य इसके खिलाफ में रहे। प्रस्ताव पारित करने को लेकर जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल ने कहा कि इस निर्णय पर गहन चर्चा के बाद सहमति बनी है। संशोधनों के तहत, राज्य सरकार के नामित अधिकारी को अब यह तय करने का अधिकार होगा कि कौन सी संपत्ति वक्फ है, न कि जिला कलेक्टर को। साथ ही केंद्र और राज्य वक्फ बोर्ड में दो नामित सदस्यों का गैर-मुस्लिम होना अनिवार्य बनाया गया है।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

बिल पारित होने के तरीके और उसके असर को लेकर विपक्ष के तेवर जरूर सख्त हैं। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बैंर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी चेयरमैन ने लोकतंत्र को समाप्त कर दिया है। कांग्रेस के सांसद नसीर हुसैन ने कहा कि अधिकांश पक्षकार जिन्होंने जेपीसी बैठकों में भाग लिया, वे इस बिल के खिलाफ हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने इसे देश और वक्फ बोर्ड के साथ मजाक करार दिया, जबकि शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने बैठक में होने वाले क्लॉज-बाय-क्लॉज चर्चा का मुद्दा भी उठाया।

संशोधित वक्फ बिल की असंगतियां और प्रभाव

संशोधित वक्फ बिल को लेकर जम्मू-कश्मीर में कुछ मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर उनके अधिकार को सीमित कर सकते हैं। वे इसे न केवल समुदाय के अधिकार के खिलाफ बता रहे हैं, बल्कि संघीय ढांचे पर भी प्रहार मानते हैं। इसके अलावा, अनेक सामाजिक और राजनीतिक संगठन भी इसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ कदम मान रहे हैं।

कांग्रेस के सांसद इमरान मासूद ने इसके बारे में बोलते हुए कहा कि यह नया कानून वक्फ को पूरी तरह से बर्बाद कर देगा। इसके प्रभाव से मुस्लिम समुदाय को भारी नुकसान होने की संभावना है, क्योंकि यह उनकी भूमि और संपत्ति अधिकारों को जोखिम में डाल सकता है।

आगे की राह

जेपीसी की अंतिम रिपोर्ट 29 जनवरी को जारी होने की संभावना है। विपक्षी दल इस फैसले के खिलाफ अपना असहमति नोट प्रस्तुत करने की घोषणा कर चुके हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवदित प्रस्ताव का भविष्य क्या होता है और भारतीय राजनीतिक परिदृश्य पर इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे। जरूरत है कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन का यह महत्वपूर्ण मसला राजनीति की जगह समुदाय के हित में निदान किया जाए।

19 Comments

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    Tarun Gurung

    जनवरी 29, 2025 AT 04:41
    ये बिल तो बस एक नया तरीका है लोगों को डराने का... वक्फ की संपत्ति पर नियंत्रण बढ़ाना तो अच्छा है, पर जिस तरह से ये पारित हुआ, वो लोकतंत्र के खिलाफ है। अगर इतने सारे बदलाव हैं, तो फिर बैठकें क्यों नहीं लंबी की गईं? लोगों को बताए बिना काम करना गलत है।
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    Rutuja Ghule

    जनवरी 29, 2025 AT 13:49
    इस बिल को खारिज कर देना चाहिए। ये सिर्फ एक धार्मिक अल्पसंख्यक के खिलाफ अत्याचार है। जेपीसी के अध्यक्ष का ये फैसला अनैतिक है, और ये बिल भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।
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    vamsi Pandala

    जनवरी 29, 2025 AT 14:47
    अरे भाई, ये सब बस राजनीति का खेल है। जो भी बिल आए, कोई न कोई उसके खिलाफ आवाज़ उठाएगा। वक्फ बोर्ड तो पहले से ही भ्रष्ट हैं, अब थोड़ा सुधार हो रहा है, तो फिर क्यों शोर मचा रहे हो?
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    nasser moafi

    जनवरी 30, 2025 AT 13:41
    लोगों को बस इतना समझना है कि ये बिल सिर्फ एक बदलाव है, न कि एक युद्ध। 🤷‍♂️ अगर हम सब मिलकर इसे समझें, तो ये एक अच्छा निर्णय हो सकता है। नहीं तो हम सब बस बहस करते रहेंगे और कुछ नहीं बदलेगा।
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    Saravanan Thirumoorthy

    फ़रवरी 1, 2025 AT 12:51
    ये बिल देश के हित में है और जो इसके खिलाफ हैं वो देशद्रोही हैं। वक्फ की संपत्ति देश की है और इसे सुधारना हमारा कर्तव्य है। कोई भी आपत्ति नहीं लेगा
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    Tejas Shreshth

    फ़रवरी 2, 2025 AT 22:52
    ये बिल एक नए राजनीतिक नैतिकता के उदय का प्रतीक है। जब राज्य संपत्ति के नियंत्रण को धार्मिक संस्थाओं से हटा दिया जाता है, तो यह एक अधिक वैश्विक, अधिक निरपेक्ष व्यवस्था की ओर एक गहरा कदम है। यह अभिव्यक्ति का अंत नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति का एक नया रूप है।
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    Hitendra Singh Kushwah

    फ़रवरी 3, 2025 AT 20:03
    ये सब बहसें बेकार हैं। वक्फ की संपत्ति का उपयोग बहुत सारे लोगों के लिए बहुत ज्यादा अनियंत्रित रहा है। अब एक नियमित ढांचा चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं।
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    sarika bhardwaj

    फ़रवरी 5, 2025 AT 11:45
    इस बिल में नियंत्रण के अधिकार का अपवाद नहीं है, बल्कि एक नियंत्रित गैर-मुस्लिम नियुक्ति का एक नियमित तंत्र है जो वक्फ के प्रशासन में पारदर्शिता लाने के लिए एक व्यवस्थित उपाय है।
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    Dr Vijay Raghavan

    फ़रवरी 6, 2025 AT 09:07
    ये बिल तो बस एक चाल है। जब तक लोग ये नहीं समझेंगे कि ये सिर्फ एक धार्मिक समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि देश के संवैधानिक ढांचे के खिलाफ है, तब तक ये बहस जारी रहेगी।
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    Partha Roy

    फ़रवरी 6, 2025 AT 21:20
    क्या आपने कभी सोचा कि ये बिल वास्तव में वक्फ की संपत्ति को बचाने के लिए है? नहीं, तो आप बस भावनात्मक रूप से जवाब दे रहे हैं। ये एक तकनीकी सुधार है।
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    Kamlesh Dhakad

    फ़रवरी 8, 2025 AT 21:19
    समझदारी से बात करें। अगर ये बिल सच में वक्फ की संपत्ति को बचाने के लिए है, तो इसे समर्थन देना चाहिए। बहस तो हर बार होती है, लेकिन असली बात ये है कि लोगों को फायदा हो रहा है या नहीं।
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    ADI Homes

    फ़रवरी 9, 2025 AT 10:47
    मुझे लगता है कि ये बिल थोड़ा जल्दी पारित हो गया। लोगों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी देनी चाहिए थी। अब जो हुआ, वो हुआ। बस अब इसे सही तरीके से लागू करें।
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    Hemant Kumar

    फ़रवरी 11, 2025 AT 04:02
    ये बिल वास्तव में वक्फ की संपत्ति के लिए एक नया दृष्टिकोण ला सकता है। लेकिन इसके लिए लोगों को समझाना होगा। डर और अज्ञानता के खिलाफ जागरूकता जरूरी है।
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    NEEL Saraf

    फ़रवरी 12, 2025 AT 20:09
    ये बिल... अच्छा है... लेकिन... क्या हमने सोचा कि इसके बाद क्या होगा? क्या ये बदलाव वास्तव में लोगों को फायदा देंगे? या फिर ये सिर्फ एक नया नियम है जिसे लागू करने के लिए कोई नहीं चाहता?
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    Ashwin Agrawal

    फ़रवरी 13, 2025 AT 17:18
    मुझे लगता है कि ये बिल एक अच्छा शुरुआती कदम है। लेकिन इसके लागू होने के बाद भी निगरानी जरूरी है। अगर ये बिल सच में वक्फ की संपत्ति को बचाने के लिए है, तो ये एक अच्छा बदलाव हो सकता है।
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    Shubham Yerpude

    फ़रवरी 14, 2025 AT 20:53
    इस बिल का असली उद्देश्य यह है कि वक्फ की संपत्ति को राष्ट्रीय नियंत्रण में लाया जाए और फिर धीरे-धीरे इसे अलग-अलग विभागों में विभाजित किया जाए जिससे कि एक वैश्विक व्यवस्था बन सके जो अंततः एक एकल शासन की ओर ले जाएगी।
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    Hardeep Kaur

    फ़रवरी 16, 2025 AT 06:15
    मुझे लगता है कि ये बिल अच्छा है। लेकिन इसे लागू करते समय संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। मुस्लिम समुदाय के भावनाएं भी ध्यान में रखनी चाहिए।
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    Chirag Desai

    फ़रवरी 17, 2025 AT 14:31
    अगर ये बिल सच में वक्फ की संपत्ति को बचाने के लिए है, तो बस इसे लागू कर दो।
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    Abhi Patil

    फ़रवरी 19, 2025 AT 04:23
    इस बिल के पीछे जो तार्किक ढांचा है, वह एक नए राष्ट्रीय व्यवस्था के निर्माण की ओर एक गहरा और दूरगामी प्रयास है, जिसमें धार्मिक संस्थाओं को राष्ट्रीय प्रशासन के अधीन लाने का उद्देश्य है, जिससे एक अधिक एकीकृत, अधिक नियंत्रित और अधिक निरपेक्ष सामाजिक व्यवस्था का निर्माण हो सके, जो आधुनिक राष्ट्र के लिए अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता का अत्यधिक विकास राष्ट्रीय एकता के लिए एक खतरा बन गया है, और इसलिए यह बिल न केवल एक कानूनी सुधार है, बल्कि एक दार्शनिक और राजनीतिक आवश्यकता है।

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