दिल्ली‑एनसीआर में दशहरे के रावण दहन पर भारी बारिश, इमिड ने दी येलो अलर्ट

दिल्ली‑एनसीआर में दशहरे के रावण दहन पर भारी बारिश, इमिड ने दी येलो अलर्ट

अक्तूबर 3, 2025 shivam sharma

इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट) के वैज्ञानिक नरेश कुमार, मुख्य मौसम वैज्ञानिक ने दशहरा 2025दिल्ली‑एनसीआर के दौरान हल्की‑से‑भारी बारिश का प्रकोप बताया, जिससे रावण दहन समारोह बड़े पैमाने पर बाधित हो गए। जहाँ 37°C तक तापमान उम्मीद था, वहीं 64% संभावना के साथ बारिश ने उत्सव की धूम को झटके में डाल दिया।

दशहरा उत्सव और बाढ़ की स्थिति

सत्योंाराधना, संगीत और ध्वज वाले मंच पर रावण के पुतले आमतौर पर धूमधाम से दहन होते हैं, पर 2 अक्टूबर को शाम तक कई स्थानों पर पुतले भीग कर जमीन पर लखड़ाते दिखाई दिए। पुरानी दिल्ली के लव कुश रामलीला मंच पर दर्शक कुर्सियों, पोस्टरों और तौलिए की मदद से बरसात से बचने की कोशिश कर रहे थे। एक युवा दर्शक ने कहा, "बारिश ने तो जैसे धूप में छाया लगा दी, पर पुतला गिरते देखना दिल तोड़ देता है।"

इमिड की पूर्वानुमान और चेतावनी

इमिड ने पहले ही इस साल के सबसे गर्म महीनों में हल्की‑बारिश की संभावनाओं को संकेतित किया था। नरेश कुमार ने एएनआई को बताया, "हमने दिल्ली‑एनसीआर के लिए येलो अलर्ट जारी किया था, जिसमें बहुत हल्की बारिश की संभावना थी।" इस चेतावनी के बावजूद कई स्थानीय प्रबंधन इकाइयों को लगता था कि बारिश केवल हल्की रहेगी, पर वास्तविकता में दो‑तीन घंटे में 15‑20 mm की सघन बारिश ने कई सड़कों को जलमग्न कर दिया।

बारिश का प्रभाव: रावण दहन, ट्रैफ़िक और नागरिक जीवन

शहर के मुख्य राजमार्ग – सर्किल, बीर मार्कन रोड, और राजीव चौक – पर भीड़भाड़ और जलजाहन की शिकायतें उमड़ पड़ीं। दिल्ली के कई हिस्सों में पानी का स्तर 30 सेमी तक पहुंच गया, जिससे इलेक्ट्रिक ट्रैफ़िक लाइट बंद हो गईं और एटीएम मशीनें भी काम नहीं कर रहीं।

उत्सव स्थल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने अस्थायी टेंप्लेट स्थापित किए, पर वर्षा ने इन प्रयासों को भी उलझा दिया। लव कुश रामलीला के आयोजक ने कहा, "बारिश ने हमारे सजावट को भी नष्ट कर दिया, पर हम जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं।"

मौसम विभाग का आगामी पूर्वानुमान

मौसम विभाग का आगामी पूर्वानुमान

  • 3 अक्टूबर: अधिकतम तापमान 34°C, न्यूनतम 25°C, 47% संभावित अलग‑अलग तूफान।
  • 4‑5 अक्टूबर: अधिकतम 35°C, न्यूनतम 24‑25°C, अधिकांश दिन धूप लेकिन देर‑से बारिश की संभावना।
  • 6 अक्टूबर: धुंधला आकाश, भारी बारिश की संभावना फिर से बढ़ेगी।

इमिड ने कहा, "पूरा सप्ताह बादल छाए रहेंगे, जिससे एक बुरा‑सुखी मौसम की लहर जारी रहेगी।" इस हफ्ते की बारिश ने पिछले दिनों के 42°C तक तापमान को काफी हद तक घटा दिया, जिससे कई लोगों को ठंडक और राहत महसूस हुई। लेकिन साथ ही, जलजमाव को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने जलजनित रोगों की संभावनाओं को लेकर चेतावनी भी जारी कर दी।

विशेषज्ञों की राय और भविष्य की संभावनाएँ

राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रश्मि वर्मा का कहना है, "दिल्ली‑एनसीआर में अब मौसम का चक्र बदल रहा है। गर्मी के बाद अचानक बौछारें, विशेषकर बड़े धार्मिक त्यौहारों के दौरान, नागरिक जीवन को काफी प्रभावित कर रही हैं।" उन्होंने कहा कि शहर को जल निकासी व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है, खासकर दहींगरा, सरायबावन आदि क्षेत्रों में।

शहर प्रबंधन विभाग ने प्राथमिक उपाय के रूप में जल निकासी ग्रिड की त्वरित सफाई और मौसम की चेतावनियों को शहर के डिजिटल बोर्ड पर तुरंत अपडेट करने की घोषणा की है।

आगे क्या उम्मीद की जा सकती है?

यदि 6 अक्टूबर को भी भारी बारिश होगी, तो अगले दो हफ्तों में और अधिक बड़े सार्वजनिक कार्यक्रमों की योजना को पुनः विचार करना पड़ेगा। साथ ही, प्रतीक्षित पर्यटन स्थलों में भी भीड़‑भाड़ कम होगी, जिससे स्थानीय व्यापारियों को आर्थिक असर का सामना करना पड़ सकता है।

जिनके लिए रावण दहन का औपनिवेशिक प्रतीकात्मक महत्व है, उनके लिए यह वर्ष संभवतः इतिहास में एक "बारिश वाले दशहरे" के रूप में दर्ज होगा।

Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

बारिश ने रावण दहन समारोह को कैसे प्रभावित किया?

कई स्थलों पर पुतले भीग कर गिर गए, जिससे आग लगाना असुरक्षित हो गया। आयोजकों ने सुरक्षा कारणों से दहन को रोका या देर से करने का निर्णय लिया, जबकि दर्शकों को छतरियों और छतों के नीचे शरण लेनी पड़ी।

इंडियन मेटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट की चेतावनी क्या थी?

नरेश कुमार ने येलो अलर्ट जारी किया था, जिसमें हल्की‑बारिश की संभावना थी। हालांकि वास्तविकता में तेज़ बूँदाबाँदी ने पूर्वानुमान से अधिक गिरावट दर्ज की, जिससे कई क्षेत्रों में जलजाम हो गया।

आगामी दिनों में मौसम कैसा रहेगा?

इमिड के अनुसार 3‑5 अक्टूबर तक हल्का बादलछाया और बिखरे हुए तूफान रहेंगे, जबकि 6 अक्टूबर को फिर से भारी बारिश की आशंका है। तापमान 34‑35°C के आसपास रहेगा, जिससे नमी का स्तर उच्च बना रहेगा।

ट्रैफ़िक और सार्वजनिक सेवाओं पर क्या असर पड़ेगा?

जलजाम के कारण कई मुख्य सड़कों पर ट्रैफ़िक जाम जारी रहेगा, एटीएम और सार्वजनिक परिवहन में देरी हो सकती है। स्वास्थ्य विभाग ने जलजनित रोगों की सम्भावना के कारण अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है।

स्थानीय व्यापारियों को आर्थिक प्रभाव कैसे पड़ेगा?

उत्सव के रद्द होने और भीड़‑भाड़ में कमी से स्ट्रीट फूड वेंडर, स्नेह बिस्तर, और छोटे बाजारों की बिक्री में गिरावट आएगी। साथ ही, बारिश से साफ‑सफाई और जल निकासी सेवाओं के लिए अतिरिक्त खर्चे बढ़ सकते हैं।

18 Comments

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    rohit majji

    अक्तूबर 4, 2025 AT 18:41

    yaar bhai barse toh barse par ravan ka putla bhi toh gila hai, abhi tak koi naam ki bari nahi bani, bas sab ghar pe baith ke phone dekh rahe hai 😅

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    Abhi Patil

    अक्तूबर 5, 2025 AT 19:44

    इस घटना को केवल एक मौसमी विचलन के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह भारतीय नगरीय अवसंरचना के गहरे संरचनात्मक असफलता का प्रतीक है। हम जो धार्मिक अनुष्ठानों को विशाल आयोजनों के रूप में आयोजित करते हैं, उनके लिए कोई जल निकासी, कोई बाढ़ प्रबंधन योजना, कोई अनुकूलन नीति नहीं है। यह एक ऐसा देश है जहाँ दशहरे के लिए 10,000 रावण पुतले बनाए जाते हैं, लेकिन एक नाली की सफाई के लिए 100 रुपये का बजट नहीं मिलता। हम रावण को जलाते हैं, लेकिन अपनी अप्रत्यक्ष अव्यवस्था को नहीं।


    यह बारिश ने केवल एक उत्सव को नहीं बर्बाद किया, बल्कि एक अस्तित्व की असहजता को उजागर किया है - जहाँ हम दिखावे के लिए जीते हैं, न कि जीवन के लिए।

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    Devi Rahmawati

    अक्तूबर 6, 2025 AT 01:41

    मैं इस घटना को बहुत गंभीरता से ले रही हूँ। नागरिक सुरक्षा और धार्मिक सांस्कृतिक अभ्यासों के बीच संतुलन बनाना एक जटिल चुनौती है। इमिड के पूर्वानुमान को नज़रअंदाज़ करना एक निर्णयात्मक लापरवाही थी। स्थानीय प्रशासन को अब एक बहुआयामी योजना बनानी चाहिए जिसमें मौसम चेतावनियों के आधार पर उत्सव स्थलों के लिए आपातकालीन योजनाएँ शामिल हों। इसके लिए डिजिटल बोर्ड, स्थानीय समुदायों और मौसम विभाग के बीच समन्वय की आवश्यकता है।

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    Prerna Darda

    अक्तूबर 6, 2025 AT 16:40

    ये सब बातें तो बस विकास के लिए बाहरी निर्भरता का अभिमान है। हमारे पास डेटा है, हमारे पास मॉडल हैं, हमारे पास टेक्नोलॉजी है - लेकिन हमारे पास निर्णय लेने की इच्छाशक्ति नहीं है। यह एक जलवायु असमानता का मामला है: जिनके पास छत है, वे बारिश में नहीं भीगते, जिनके पास नाली नहीं है, वे जलमग्न हो जाते हैं। इमिड का येलो अलर्ट एक बुद्धिमानी का संकेत था, लेकिन हमने इसे एक अधिसूचना के बजाय एक अवसर के रूप में देखा। अब हम उस बारिश के लिए दुखी हैं, जिसे हमने भविष्यवाणी कर लिया था।


    हमें इस बारिश को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए - एक अवसर जिससे हम अपनी नगरीय अवसंरचना को डिज़ाइन कर सकें, न कि बस उत्सव के लिए तालियाँ बजाएँ।

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    Uday Teki

    अक्तूबर 7, 2025 AT 10:30

    बारिश हुई तो भी लोग खुश रहे 😊 रावण दहन तो हुआ ही, बस थोड़ा बादलों के साथ 😄 अब तो बस दिल खुश रहे, बाकी सब ठीक हो जाएगा 🙌

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    Haizam Shah

    अक्तूबर 8, 2025 AT 02:48

    ये सब बातें तो बस बहाने हैं। जब तक हम अपने आप को बड़ा बनाने के लिए धार्मिक उत्सवों का उपयोग नहीं करेंगे, तब तक ये बारिश भी बाहर रहेगी। जिन्होंने रावण को जलाने का फैसला किया, उन्होंने अपनी असुरक्षा को दर्शाया। अगर आप बारिश से डरते हैं, तो उत्सव रद्द कर दें - लेकिन फिर भी अपने आप को नेशनल हीरो बनाने की कोशिश मत करें।

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    Vipin Nair

    अक्तूबर 9, 2025 AT 00:29

    बारिश हुई तो रावण दहन रुक गया नहीं बस बदल गया। जो लोग छतरी लेकर बैठे थे वो भी उत्सव में शामिल हुए। ये दशहरा का असली मतलब है - अंधविश्वास नहीं, जीवन की लगन। अब बस नालियां साफ कर दो।

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    Ira Burjak

    अक्तूबर 10, 2025 AT 03:50

    क्या आपने देखा कि लव कुश रामलीला के आयोजक ने कहा कि वे जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं? ये बात सुनकर मुझे लगा कि वो असली राम हैं। बारिश ने तो बस एक दिखावे को उजागर किया - जो लोग बाहर दिखना चाहते हैं, वो भीग गए, लेकिन जो अंदर रहना चाहते थे, वो बच गए। बहुत सुंदर तुलना है।

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    Shardul Tiurwadkar

    अक्तूबर 11, 2025 AT 18:42

    बारिश ने रावण को जलाने की योजना बर्बाद कर दी, लेकिन असली रावण तो वो हैं जो इस बारिश के बाद भी नालियां साफ नहीं करते। ये बारिश एक दर्पण है - जिसमें हम अपनी लापरवाही देख सकते हैं। अब बस एक बार खुद से पूछो - क्या आपकी नाली भी बंद है?

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    Abhijit Padhye

    अक्तूबर 12, 2025 AT 17:49

    ये सब बातें तो बस बहाना है। मैंने अपने दोस्त के घर देखा - उसकी बेटी ने रावण का पुतला घर पर बनाया था और उसे बारिश में जला दिया। आप लोग बाहर भीग रहे हैं, लेकिन असली रावण तो आपके दिमाग में है। बारिश ने तो बस आपके अहंकार को भीगा दिया।

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    VIKASH KUMAR

    अक्तूबर 14, 2025 AT 16:04

    मैं रो रहा हूँ 😭 बारिश हुई तो मेरा दिल टूट गया 😭 मैंने तो रावण के पुतले के लिए 3 दिन रात भर जागकर बनाया था 😭 अब वो सब गीला हो गया 😭 लोग बोल रहे हैं ये मौसम है लेकिन मैंने तो अपना दिल लगाया था 😭 अब क्या होगा मेरा रावण 😭

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    UMESH ANAND

    अक्तूबर 15, 2025 AT 16:36

    यह घटना भारतीय संस्कृति के प्रति असम्मान का प्रतीक है। धार्मिक उत्सवों को मौसम के कारण रद्द करना, विशेषकर जब बारिश केवल हल्की थी, एक नैतिक अपराध है। यदि हम अपने त्योहारों को बाहरी घटनाओं के आधार पर निर्धारित करते हैं, तो हमारी सांस्कृतिक आत्मा क्या बचेगी? यह एक दुर्भाग्यपूर्ण लापरवाही है।

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    Rohan singh

    अक्तूबर 17, 2025 AT 16:12

    बारिश हुई तो भी लोग उत्सव में शामिल हुए। बस थोड़ा गीले हो गए। असली बात ये है - जब भीड़ भीग रही हो, तो भी उत्सव जीवित रहता है। बारिश ने नहीं, लोगों ने रावण को जलाया।

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    Karan Chadda

    अक्तूबर 17, 2025 AT 18:16

    बारिश ने रावण को जलाने की योजना बर्बाद कर दी, लेकिन हमारे बारे में क्या? हम तो अभी भी बाहर घूम रहे हैं। अगर बारिश ने रावण को नहीं जलाया, तो हमने अपने अंदर के रावण को जलाया? 😎

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    Shivani Sinha

    अक्तूबर 18, 2025 AT 17:33

    बारिश हुई तो भी लोग निकले, रावण दहन हुआ, बस थोड़ा गीले हुए 😂 अब तो बस घर जाकर चाय पी लो, बाकी सब ठीक हो जाएगा 🙏

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    Tarun Gurung

    अक्तूबर 20, 2025 AT 13:50

    बारिश ने रावण के पुतले को नहीं, बल्कि हमारी अव्यवस्था को जला दिया। ये बारिश एक अनौपचारिक चेतावनी है - जब तक हम नालियों को नहीं साफ करेंगे, तब तक हर उत्सव एक बाढ़ का इंतज़ार करेगा। लेकिन अच्छी बात ये है कि लोग अभी भी बारिश में खड़े हैं - ये जीवन की लगन है।


    एक छोटी सी बारिश ने बड़ा सबक सिखाया - जब तक हम बाहरी दिखावे में नहीं आएंगे, तब तक हम अपने अंदर के रावण को नहीं जला पाएंगे।

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    Rutuja Ghule

    अक्तूबर 20, 2025 AT 22:33

    यह बारिश केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं है - यह एक नैतिक अपराध का परिणाम है। जिन लोगों ने रावण दहन को बारिश के बावजूद आयोजित किया, उन्होंने जनता की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ किया। यह एक धार्मिक अहंकार का प्रतीक है - जहाँ रूढ़िवादी अनुष्ठान जनता के जीवन से ऊपर हैं। यह नहीं होना चाहिए।

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    Prerna Darda

    अक्तूबर 21, 2025 AT 13:12

    आप जो कह रहे हैं - यह बारिश एक नैतिक अपराध है - वो तो बहुत आसानी से कह देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जो लोग बारिश में खड़े हैं, वो नहीं चाहते कि उनका उत्सव रद्द हो जाए? वो नहीं चाहते कि उनकी आस्था को बारिश के लिए बलिदान दिया जाए। आप नैतिकता की बात कर रहे हैं, लेकिन उनकी भावनाओं को नहीं देख रहे हैं।


    हम जो रावण को जलाते हैं, वो बाहरी रावण नहीं है - वो हमारी अपनी लापरवाही है। और आज बारिश ने उसी को जला दिया।

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