जब डॉ. टेड्रोस अडहनोम गेब्रेयेसुस, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के जनरल डायरेक्टर ने 10 अक्टूबर को ‘विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2025’ का थीम ‘आपदाओं में सेवाओं की पहुँच – मानसिक स्वास्थ्य’ घोषित किया, तो यह बात साफ़ हो गई कि युवा मानसिक स्वास्थ्य संकट अब और नहीं टाल सकता। इस घोषणा के साथ ही World Federation for Mental Health (WFMH) ने फिर से याद दिलाया कि 1992 से हर साल 10 अक्टूबर को इस दिन को मनाया जाता है, पर इस साल की धड़कन एक नई चुनौती की ओर इशारा करती है – आपदा‑प्रेरित स्थितियों में युवाओं को समय पर मदद देना।
1992 में स्थापित World Federation for Mental Health ने पहली बार इस दिन को वैश्विक मंच पर लाने का काम किया। तब से हर वर्ष विभिन्न थीम के साथ इस दिन को मनाया गया, पर 2025 की थीम खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी विकसित और कम विकसित दोनों ही जगहों में बढ़ते आपदा‑प्रभावों को लक्षित करती है। WHO के आंकड़ों के अनुसार, 10‑19 वर्ष की आयु समूह में हर सात में से एक (14.3 %) मानसिक विकार का सामना करता है, जो इस आयु वर्ग में बीमारी का 15 % बर्डन बनाता है।
अभी‑अभी प्रकाशित Christian Health के मार्च 2025 रिपोर्ट में बताया गया कि लगभग 20 % किशोर हर साल किसी न किसी मानसिक विकार का शिकार होते हैं। और विशेष रूप से 12‑18 वर्ष की आयु में एक किशोर के पास कम से कम एक निदान योग्य विकार होने की संभावना 1 में 5 है। इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं – सामाजिक मीडिया का दबाव, स्कूल‑सस्तर तनाव, और अब ‘पॉस्ट‑कोविड’ प्रभाव भी शामिल हैं।
संयुक्त राज्य में 42 % टीनएजर्स लगातार उदासी या निराशा की भावनाओं की रिपोर्ट करते हैं, जबकि 22 % ने आत्महत्या करने के विचार किए हैं। 2016‑2022 के बीच यौवन मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल में भर्ती होने की दर 124 % तक बढ़ गई, जो ‘Portobello BH’ की डेटा से स्पष्ट है।
लिंग अंतर भी चौंका देने वाला है – लड़कियों में डिप्रेशन की दर लड़कों से दोगुनी, और तीन में से दो किशोरी लड़कियाँ कम से कम दो हफ़्ते तक रोज़ उदासी महसूस करती हैं।
विक्टोरियन‑आधारी समूहों में, नेटिव अमेरिकन किशोरों की आत्महत्याएँ राष्ट्रीय औसत से 3.5 गुना अधिक हैं, जबकि LGBTQ+ किशोरों में 2022 में 14 % ने आत्महत्या के प्रयास किए, और ट्रांसजेंडर तथा नॉन‑बाइनरी युवाओं में एक में से पाँच ने यह कदम उठाया।
‘आपदाओं में सेवाओं की पहुँच’ सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि वास्तविक बाधाओं का एक समूह है। प्राकृतिक आपदाएँ, सैन्य संघर्ष, महामारी‑संकट और परिवार‑विच्छेद आपके युवा जनसंख्या को तेज़ी से प्रभावित करते हैं। Pan American Health Organization (PAHO) ने कहा है कि बचपन और किशोरावस्था ‘मस्तिष्क विकास के लिए महत्वपूर्ण अवधि’ है, और इस चरण में किसी भी नकारात्मक पर्यावरणीय कारक (हिंसा, बुलिंग, गरीबी) का दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।
PAHO/WHO 2025 अभियान में यह भी रेखांकित किया गया कि ‘जो जोखिम कारक अधिक होते हैं, उनका प्रभाव उसी proportion में गंभीर होता है’। इस बात को समझते हुए, कई NGO और सरकारी एजेंसियां टेली‑हेल्थ, सामुदायिक‑आधारित काउंसलिंग और आपदा‑समर्थित शारीरिक‑मानसिक पुनर्वास कार्यक्रम शुरू कर रही हैं।
इन सभी कदमों के बावजूद, ‘पहुँच’ अभी भी एक बड़ी बाधा है। ग्रामीण क्षेत्रों, कम आय वाले परिवारों और हाशिए के समूहों में इंटरनेट, विशेषज्ञ डॉक्टर या उचित बीमा कवरेज की कमी अक्सर इलाज को रोके रखती है।
भविष्य में दो‑तीन प्रमुख दिशा‑निर्देश उजागर होते हैं:
जैसे ही 2025 का विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस समाप्त होता है, समय आता है कि नीति‑निर्माता, स्वास्थ्य पेशेवर और समुदाय मिल‑जुल कर इस मानवीय संकट का उत्तर दें। ‘पहले कदम’ तभी सार्थक होगा जब हर किशोर को, चाहे वह शहरी मह़ल या पहाड़ी गाँव में रहे, तुरंत मदद की पहुँच मिले।
थीम है “आपदाओं में सेवाओं की पहुँच – मानसिक स्वास्थ्य”। यह थीम प्राकृतिक आपदाओं, महामारी व संघर्ष‑स्थिति में युवाओं को तत्काल मनोवैज्ञानिक समर्थन पहुँचाने की महत्ता को रेखांकित करती है।
डिप्रेशन, अन anxiety, आत्महत्या के विचार और व्यवहारिक विकार प्रमुख हैं। WHO के अनुसार, 10‑19 वर्ष में प्रत्येक सात में से एक को कोई न कोई मानसिक विकार है, और आत्महत्या 15‑29 वर्ष के बीच तीसरा प्रमुख मृत्यु कारण है।
2016‑2022 के बीच युवा मानसिक स्वास्थ्य अस्पताल में भर्ती 124 % बढ़ी। 42 % टीनएजर्स लगातार उदासी या निराशा की भावना बताते हैं, और 22 % ने आत्महत्या के विचार किए हैं।
नेटिव अमेरिकन किशोरों की आत्महत्या दर राष्ट्रीय औसत से 3.5 गुना अधिक है, जबकि LGBTQ+ युवाओं में 14 % ने आत्महत्या के प्रयास किए। इन समूहों को अक्सर मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुँच, सामाजिक कलंक और आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
स्कूल‑आधारित मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को अनिवार्य बनाना, आपदा‑प्रभावित क्षेत्रों में मोबाइल काउंसलिंग यूनिट स्थापित करना, और विशेष रूप से लिंग‑आधारित जोखिम समूहों के लिए सुरक्षित हेल्प‑लाइन लॉन्च करना आवश्यक है।
Jyoti Bhuyan
अक्तूबर 11, 2025 AT 04:04चलो इस मुद्दे को मिलकर सुलझाते हैं, सिर्फ़ बातों से नहीं, बल्कि रोज़ की छोटी‑छोटी पहल से। स्कूल में मानसिक‑स्वास्थ्य क्लब खोलना आसान है, बस थोड़ी‑सी योजना और उत्साह चाहिए। दोस्तों के बीच खुलकर बात करने की संस्कृति बनाकर हम बड़ी टॉरमेंट को रोक सकते हैं।