जब CBDT ने वित्तीय वर्ष 2024‑25 (आकलन वर्ष 2025‑26) के लिए कर ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने की अंतिम तिथि 30 सितंबर 2025 से बढ़ाकर 31 अक्टूबर 2025 कर दी, तो कई करदाताओं ने राहत की सांस ली। इस बदलाव का कारण कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात हाई कोर्टों के हालिया आदेश थे, जिनमें पेश की गई याचिकाएँ प्राकृतिक आपदाओं और कार्य‑संचालन में बाधाओं पर आधारित थीं। नई समय‑सीमा का असर लाखों व्यापारियों, स्वयं‑रोज़गारियों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स पर पड़ेगा, क्योंकि अब उन्हें एक महीना अतिरिक्त मिल गया है।
पृष्ठभूमि और कानूनी ढांचा
धारा 44AB के तहत कर ऑडिट की आवश्यकता उन सबके लिए है जो आय‑कर अधिनियम 1961 के अनुच्छेद 139(1) के क्लॉज़ (a) में उल्लेखित हैं। मूल रूप से, टैक्स ऑडिट रिपोर्ट का ‘निर्दिष्ट तिथि’ आय‑कर रिटर्न जमा करने की निर्धारित तिथि से एक माह पहले था, यानी 30 सितंबर 2025 को। लेकिन पिछले कुछ महीनों में उत्तरी और दक्षिणी भारत में बाढ़, भूस्खलन और कड़ाई से पाली गयी गर्मी ने व्यापारिक गतिविधियों को गंभीर रूप से बाधित कर दिया था।
इन चुनौतियों को देखते हुए कई पेशेवर संगठनों ने सरकार से छूट की माँग की। सबसे पहले कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA) ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने सेक्शन 44AB की तिथि में लचीलापन माँगा।
हाई कोर्टों के आदेश और पेश किए गए कारण
कर्नाटक हाई कोर्ट ने 24 सेप्टेम्बर 2025 को अपने आदेश में CBDT को निर्देश दिया कि वह कर ऑडिट की नियत तिथि को पुनः विचार करे। कोर्ट ने कहा कि "विनियमों का अनुपालन तभी सार्थक है जब वास्तविक परिस्थितियों को ध्यान में रखा जाए।"
इसी तरह, राजस्थान हाई कोर्ट के जोधपुर डिवीजन बेंच ने 25 सेप्टेम्बर 2025 को जोधपुर टैक्स बार एसोसिएशन की याचिका स्वीकार की। बेंच ने उल्लेख किया कि पिछले वर्षों में CBDT ने समान छूट दी थी, इसलिए इस बार भी यही उचित होगा।
गुजरात हाई कोर्ट ने 26 सेप्टेम्बर 2025 को अल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (AIFTP) तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन, सूरत (CAAS) की प्रस्तुतियों को माना और आय‑कर रिटर्न की अंतिम तिथि भी 30 नवंबर 2025 तक बढ़ाने का निर्देश दिया।
CBDT का नया नियतकाल और उसके प्रभाव
इन आदेशों के बाद CBDT ने 25 सेप्टेम्बर 2025 को एक प्रेस रिलीज़ जारी की, जिसमें बताया गया कि कर ऑडिट रिपोर्ट की अंतिम तिथि आधिकारिक तौर पर 31 अक्टूबर 2025 कर दी गई है। यह विस्तार सीधे कर ऑडिट से जुड़ी रिपोर्टिंग को प्रभावित करेगा, जबकि आय‑कर रिटर्न की तिथि 30 नवंबर 2025 तक आगे बढ़ाई गई है।
सहयोगी पेशेवर संगठनों ने इस घोषणा को "काफी समय पर मिली राहत" बताया। अब छोटे‑मोटे व्यापारियों को बाढ़‑पीड़ित क्षेत्रों में बैंकों से ऋण पुनर्भुगतान या आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान को ठीक करने के लिए अतिरिक्त महीने का अवसर मिल गया है। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ने कहा कि यह कदम कार्य‑भार को संतुलित करने में मदद करेगा और गलतियों की संभावनाओं को घटाएगा।
- नया नियतकाल: 31 अक्टूबर 2025 (कर ऑडिट रिपोर्ट)
- आय‑कर रिटर्न की अंतिम तिथि: 30 नवंबर 2025 (ऑडिट वाले करदाताओं के लिए)
- प्रमुख दस्तावेज़: सेक्शन 44AB, आय‑कर अधिनियम 1961
- सम्बन्धित हाई कोर्ट: कर्नाटक, राजस्थान (जोधपुर), गुजरात
- पेश करने वाले समूह: KSCAA, जोधपुर टैक्स बार, AIFTP, CAAS
व्यवसायियों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की प्रतिक्रिया
कर्नाटक के एक छोटे‑मोटे सिलाई कारखाने के मालिक, राजेश चौधरी ने कहा, "बाढ़ के साथ‑साथ हम सबको टैक्स फ़ाइलिंग की टेंशन थी, अब थोड़ा समय मिल गया है तो हम अपने काम पर ध्यान दे सकते हैं।" वहीं, दिल्ली में स्थित चार्टर्ड अकाउंटेंट, सीमा गुप्ता ने कहा, "हाई कोर्टों का यह संकल्प हमें पेशेवर दायित्वों से बाहर नहीं निकालता, बल्कि हमें सही ढंग से काम करने का मौका देता है।"
टॅक्स कंसल्टेंटों के एक समूह ने कहा कि इस विस्तार के चलते सॉफ़्टवेयर कंपनियों को भी अपग्रेड और डेटा क्लीन‑अप करने का अतिरिक्त समय मिलेगा, जिससे साल‑अंत में सिस्टम‑क्रैश की समस्या कम होगी।
आगे की संभावनाएँ और राष्ट्रीय प्रभाव
वर्तमान में कई हाई कोर्टें समान राहत की मांग कर रही हैं। यदि इस प्रवृत्ति जारी रहती है, तो आगामी वित्तीय वर्ष में भी CBDT को नियत तिथियों में लचीलापन देना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी न्यायसंगत‑प्रक्रिया टैक्स कॉम्प्लायंस की भावना को सकारात्मक दिशा में विकसित करेगी, जिससे लंबी अवधि में राजस्व संग्रह में स्थिरता बनी रहेगी।
एक महत्त्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि आय‑कर रिटर्न की तिथियों में परिवर्तन का असर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, जैसे टैक्स बॉलीवुड, पर भी पड़ेगा। इन प्लेटफ़ॉर्मों को नई तिथियों के अनुसार अपने कैलेंडर को अपडेट करना पड़ेगा, जिससे उपयोगकर्ताओं को रिमाइंडर और अंतिम तिथि के नोटिफ़िकेशन मिलने में सुविधा होगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कर ऑडिट की नई तिथि कब तक है?
कर ऑडिट रिपोर्ट जमा करने की अंतिम तिथि अब 31 अक्टूबर 2025 है, जबकि आय‑कर रिटर्न की अंतिम तिथि 30 नवंबर 2025 रखी गई है।
कौन‑से समूह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की?
कर्नाटक स्टेट चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन (KSCAA), जोधपुर टैक्स बार एसोसिएशन, अल इंडिया फेडरेशन ऑफ़ टैक्स प्रैक्टिशनर्स (AIFTP) और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स एसोसिएशन, सूरत (CAAS) ने क्रमशः कर्नाटक, राजस्थान और गुजरात हाई कोर्टों में याचिकाएँ दायर कीं।
क्या यह विस्तार सभी करदाताओं पर लागू होगा?
यह विस्तारित समय‑सीमा सिर्फ उन करदाताओं पर लागू होती है जिनका लेखा‑ऑडिट सेक्शन 44AB के तहत आवश्यक है, अर्थात् आय‑कर अधिनियम 1961 के अनुच्छेद 139(1) के क्लॉज़ (a) में उल्लेखित प्रयोगशालाओं को।
भविष्य में ऐसे और विस्तार की उम्मीद है?
कई हाई कोर्टें अभी भी समान राहत की मांग कर रही हैं, इसलिए अगले वित्तीय वर्ष में भी CBDT द्वारा नियत तिथियों में समायोजन की संभावना बनी हुई है।
प्राकृतिक आपदाओं ने कर डेडलाइन को क्यों प्रभावित किया?
बाढ़, भूस्खलन और अन्य आपदाओं ने कई क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों को बाधित किया, जिससे रिकॉर्ड्स तैयार करना, ऑडिटर की उपलब्धता और दस्तावेज़ीकरण में गंभीर देरी हुई। यही कारण था जिससे पेशेवर संघों ने राहत की मांग की।
Maneesh Rajput Thakur
सितंबर 29, 2025 AT 22:24CBDT की ये नई तिथि केवल अस्थायी राहत नहीं, बल्कि एक चतुर चाल है जिससे प्रशासनिक जाल बंधे रहेंगे। कोर्ट के आदेशों को इतना जल्दी अपनाना दर्शाता है कि सरकार को बजट के आंकड़ों को बनावटी तरीके से दिखाना है। बाढ़ और भूस्खलन के बहाने को अक्सर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की आलोचना को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यदि वास्तव में आर्थिक तंगी है, तो पिछली बार की तरह ही अतिरिक्त समय का विस्तार फिर से माँगा जाएगा। यह दर्शाता है कि प्रशासनिक प्रक्रियाएँ कभी‑कभी राजनीतिक प्रभावों से मुक्त नहीं रहतीं।
ONE AGRI
सितंबर 30, 2025 AT 15:04देश की संप्रभुता की रक्षा के लिये हर कदम अहम है और इस बार CBDT ने कर ऑडिट की तिथि बढ़ाकर भारत की स्वायत्तता को सुदृढ़ किया है। हमारे किसानों और छोटे उद्योगियों को बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है, फिर भी केंद्र सरकार ने उनके पीड़ितों को सुनने की बजाय कोर्ट की आज्ञा का पालन किया है। यह दिखाता है कि न्यायपालिका हमारे लोगों की पीड़ा को समझती है और प्रशासनिक अड़चनों को तोड़ने में मदद करती है। क्या यह नहीं है कि विदेशी एजेंसियां इस तरह के फैसलों को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं? इस विस्तार को देखकर स्पष्ट होता है कि आंतरिक भंडारण में कुछ गड़बड़ी है, जिसे छुपाने के लिये समय बढ़ाया गया है। हम राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये ऐसे कदमों की सराहना करते हैं, क्योंकि यह हमें आर्थिक संकट से बचाता है। बंधुओं, हमें यह याद रखना चाहिए कि हर न्यायिक आदेश हमारे देश की एकता को प्रोत्साहित करता है। इस निर्णय से व्यापारियों को ऋण पुनर्भुगतान, सप्लाई चेन को ठीक करने और आगे की योजना बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही, यह मंदी के दौरान बेरोज़गारी को रोकने में भी योगदान देगा। यदि हम इस अवसर को सही ढंग से उपयोग करें, तो राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि होगी। सरकार ने इतनी जल्दी इस राहत को मंजूर किया, इसका मतलब है कि वे आर्थिक विकास को प्राथमिकता दे रहे हैं। यह कदम विदेशी निवेशकों को भी दिखाता है कि भारत में स्थिरता है और नियमन लचीला है। हमें इस उपलब्धि को गर्व से देखें और दुष्ट शक्तियों के खिलाफ एकजुट रहें। इस निर्णय को लेकर कोई भी आवाज़ राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ बात नहीं कर सकती। अंत में, सभी को इस नई तिथि का सम्मान करना चाहिए और अपने व्यवसाय को सुदृढ़ बनाना चाहिए। इसी दृढ़ संकल्प से भारत आगे बढ़ेगा।
Himanshu Sanduja
अक्तूबर 1, 2025 AT 07:44लगता है अब समय मिला, कर ऑडिट की फाइलिंग में राहत मिली।
Kiran Singh
अक्तूबर 2, 2025 AT 00:24हमें थोडा संजीवनी मिला! 😊 यह अतिरिक्त एक महीना छोटे व्यापारियों को सही दिशा में काम करने का मौका देगा।
Rashi Nirmaan
अक्तूबर 2, 2025 AT 17:04व्यापारिक राहत का लक्ष्य सराहनीय है, लेकिन इस निर्णय की विधिक वैधता पर विस्तृत विश्लेषण आवश्यक है। कोर्ट के आदेशों को बिना पूर्ण समीक्षा के लागू करना स्थापित प्रक्रियाओं को कमजोर कर सकता है। विभिन्न राज्यां में समान मानदंड बनाना ही दीर्घकालिक स्थिरता लाएगा।
Ashutosh Kumar Gupta
अक्तूबर 3, 2025 AT 09:44अरे, ये किस तरह का नाटक है! सरकार ने तो बस एक महीने का विस्तार कर दिया, पर असली समस्याएं तो बाढ़ और भू‑स्खलन से ही सुलझेंगी। हमें तबाही का इंतज़ार ही है, अगर आगे का कोई कदम नहीं उठाया गया।
fatima blakemore
अक्तूबर 4, 2025 AT 02:24जीवन में कई बार टाइम लिमिट बदलते हैं, पर असली सवाल ये है कि हम उन बदलते समय में कैसे खुद को एडजस्ट कर लें। जो लोग कागज़ात की चापलूसी में फँसे रहते हैं, वो असली सॉल्यूशन से दूर रहते हैं। तो चलो, इस नई डेट को एक मौका दें और अपनी नज़रिए को नया रिव्यू करें।
Anurag Narayan Rai
अक्तूबर 4, 2025 AT 19:04हाल ही में हाई कोर्टों के कई आदेशों को देख कर लगता है कि न्यायपालिका अब आर्थिक मामलों में अधिक सक्रिय भूमिका निभा रही है। यह कदम न केवल छोटे व्यापारियों के लिए बल्कि बड़े कॉरपोरेशन के लिए भी एक सिग्नल है कि समयसीमा में लचीलापन संभव है। हालांकि, इस लचीलापन का शोषण करने के लिये सभी को अपने अकाउंटिंग प्रोसैस को सही तरीके से व्यवस्थित करना पड़ेगा। अगर ये विस्तार बार‑बार आता रहेगा, तो टैक्स प्रशासन की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकता है। इसलिए, हर करदाता को इस मौके का भरपूर उपयोग करके भविष्य की नियोजनों को सावधानी से बनाना चाहिए।
Sandhya Mohan
अक्तूबर 5, 2025 AT 11:44सच में, समय का बहाव हमें सोचने पर मजबूर करता है कि कानूनी ढाँचा कितनी जल्दी बदलता है। नई तिथि का उपयोग सभी को संतुलित रखे।
Priya Patil
अक्तूबर 6, 2025 AT 04:24बहुत अच्छा हुआ, अब हमें एक महीने की राहत मिल गई है। इस अवसर को समझदार तरीके से इस्तेमाल करें, अपने रिकॉर्ड को दुप्पट चेक करें। साथ ही, अगले साल की तैयारी भी शुरू कर दें ताकि फिर से ऐसी चुनौती न आए।
Rashi Jaiswal
अक्तूबर 6, 2025 AT 21:04यो! टॅक्स रिलीफ बेस्ट है, अब थोडा फ्री टाइम मिलेगा 😎। सबको जल्दी फाइल कर लो, नहीं तो फिर से पेनल्टी का खतरा रहेगा।
Balaji Srinivasan
अक्तूबर 7, 2025 AT 13:44धन्यवाद, यह जानकारी बहुत उपयोगी रही। मैं भी जल्द ही अपनी फाइलिंग की तैयारी करूँगा।
Hariprasath P
अक्तूबर 8, 2025 AT 06:24ये राहत बस एक झलक है, असली समस्या तो सिस्टम की अकार्यक्षमता है। जो लोग इस अवसर को समझ नहीं पाएंगे, वही पीछे रह जाएंगे। अब हमें अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी।
Vibhor Jain
अक्तूबर 8, 2025 AT 23:04हँसते-हँसते भी अब बकवास को आधा महीना और मिल गया, वाह! 🙄
vikash kumar
अक्तूबर 9, 2025 AT 15:44नया नियतकाल स्पष्ट रूप से 31 अक्टूबर 2025 निर्धारित किया गया है। यह सूचना आधिकारिक घोषणा में भी उल्लेखित है।
Prakash Dwivedi
अक्तूबर 10, 2025 AT 08:24समय सीमा बढ़ाने से कई संस्थानों को राहत मिलेगी, लेकिन यह एक अस्थायी उपाय है। अगर इस परिवर्तन को बार‑बार दोहराया गया तो प्रणाली में विश्वास कम हो सकता है। भविष्य में स्थायी समाधान की जरूरत है।
Rajbir Singh
अक्तूबर 11, 2025 AT 01:04ऐसे बदलाव अक्सर लंबे समय तक नहीं टिकते। हमें दीर्घकालिक योजना बनानी चाहिए।
Swetha Brungi
अक्तूबर 11, 2025 AT 17:44इस नई तिथि का विस्तार हमारे आर्थिक प्रणाली के लचीलापन को दर्शाता है। यदि हम इस अवसर को गंभीरता से लेते हैं, तो कर अनुपालन में सुधार संभव है। साथ ही, यह हमें भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए तैयार करता है। आशा है कि अगली बार भी न्यायपालिका और प्रशासन मिलकर ऐसे ही सहयोगी कदम उठाएंगे।