2024 चुनाव: बहुमत मिलता तो राहुल गांधी बन सकते थे प्रधानमंत्री - मल्लिकार्जुन खड़गे

2024 चुनाव: बहुमत मिलता तो राहुल गांधी बन सकते थे प्रधानमंत्री - मल्लिकार्जुन खड़गे

अगस्त 23, 2024 shivam sharma

2024 के भारतीय आम चुनाव के संभावित परिणामों पर विचार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोमवार को कहा कि अगर कांग्रेस ने लोकसभा में बहुमत हासिल किया होता, तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते थे। खड़गे के अनुसार, कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनावों की तुलना में काफी बेहतर रहा, जो पार्टी के लिए सकारात्मक संकेत है।

खड़गे ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अगर कांग्रेस 272 सीटों का आवश्यक बहुमत हासिल करती, तो निस्संदेह राहुल गांधी प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालते। कांग्रेस ने इस चुनाव में 200 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की, जो पिछले चुनावों की अपेक्षा एक बड़ा सुधार है।

इसके विपरीत, भाजपा ने 240 सीटों पर जीत हासिल की, जो कि अकेले बहुमत से कम है। हालांकि, भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगियों के साथ मिलकर बेहतर प्रदर्शन किया और बहुमत के पार जा पहुंची। एनडीए ने कुल मिलाकर एक स्थिर सरकार बनाने की स्थिति बनाई।

चुनाव परिणामों ने नहीं केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच के शक्ति संतुलन को फिर से परिभाषित किया है, बल्कि भारतीय राजनीति में पुराने घिसे-पिटे पैटर्न को भी बदल दिया है। नई स्थिति में, गठबंधन राजनीति का महत्व बढ़ गया है, जहां बड़े दलों को छोटे सहयोगियों के साथ तालमेल बैठाना आवश्यक हो गया है।

राहुल गांधी की संभावनाएं

खड़गे के अनुसार, राहुल गांधी अपने कार्यकाल में धीरे-धीरे एक सक्षम नेता के रूप में उभरे हैं, और उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने नई ऊर्जा और उत्साह प्राप्त किया है। पार्टी के बेहतर प्रदर्शन को राहुल गांधी की नीति और उनकी ओर से किए गए मेहनताना का परिणाम माना जा रहा है। नेताओं का कहना है कि अगर राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनते, तो वह देश को एक नई दिशा में ले जाने में सक्षम होते।

राहुल गांधी ने हाल ही में जनता के साथ संवाद करते हुए कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए हैं, जिनमें बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, और कृषि संकट प्रमुख हैं। उनके कार्यक्रमों ने मतदाताओं के एक बड़े हिस्से को प्रभावित किया है, और यही कारण है कि कांग्रेस का प्रदर्शन इस बार बेहतर रहा।

भाजपा की स्थिति

जनता दल (यू) के नेता नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के समर्थन में कहा कि भाजपा अभी भी सबसे बड़ी पार्टी है और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में विकास की गति को जारी रखा जाएगा। भाजपा ने इस चुनाव में भी अपने समर्थकों का भरोसा बनाए रखा, हालांकि अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं कर सकी।

मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण योजनाओं और नीतियों को लागू किया, जिनका उद्देश्य देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति को सुनिश्चित करना था। भाजपा के नेताओं का मानना है कि उनके आदर्श और नीतियों ने जनता का विश्वास जीतने में मदद की है।

कोलिशन पॉलिटिक्स का दौर

भारतीय राजनीति के वर्तमान परिदृश्य में, गठबंधन राजनीति का दौर हावी है। बड़े दल अब छोटे दलों के साथ सहयोग कर सरकार बनाने की कोशिश में रहते हैं, जिससे नीतिगत निर्णयों में व्यापकता और जनसंख्या की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं का समावेश सुनिश्चित होता है।

कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी अब पहले से अधिक मजबूत हुई है और भविष्य में और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। वहीं, भाजपा के समर्थक भी मोदी सरकार के भविष्य को लेकर आत्मविश्वास से भरे हुए हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में पार्टी फिर से विजय प्राप्त करेगी।

इस प्रकार 2024 के चुनाव के परिणाम ने न केवल भारतीय राजनीति को नया मोड़ दिया है, बल्कि आने वाले वर्षों में राजनीति में संभावित बदलावों की दिशा भी निर्धारित की है।

7 Comments

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    rohit majji

    अगस्त 25, 2024 AT 16:41

    yaar yeh sab kya baat hai.. kuch toh change hoga na ab.. rahul bhaiya ka style hai hi alag.. jyada sochne wala.. par logon ko laga ki yehi chahiye tha.. 😊

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    Prerna Darda

    अगस्त 27, 2024 AT 14:21

    अगर राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने 200+ सीटें पाईं तो ये केवल एक आंकड़ा नहीं, ये एक सामाजिक-राजनीतिक ट्रांसफॉर्मेशन है। इसका मतलब है कि जनता अब नीति-आधारित, सामाजिक न्याय पर आधारित गवर्नेंस की ओर झुक रही है। भाजपा का एनडीए का आधार तो अभी भी राष्ट्रवादी रेटोरिक पर है, जो अब थोड़ा फीका पड़ रहा है। राहुल की भाषा, उनकी निरंतर जनसंवाद, और उनकी आर्थिक नीति अब एक नए विचारधारा का प्रतीक बन गई है। ये सिर्फ चुनाव नहीं, ये एक नए युग की शुरुआत है।

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    Devi Rahmawati

    अगस्त 27, 2024 AT 22:36

    मैं इस विश्लेषण को बहुत गंभीरता से लेती हूँ। चुनाव परिणामों में दिखाई देने वाला यह राजनीतिक विविधता, भारत की लोकतांत्रिक परिपक्वता का संकेत है। जब एक पार्टी अकेले बहुमत हासिल नहीं कर पा रही, तो इसका अर्थ है कि नागरिकों ने अपनी विविधता को अपनाना शुरू कर दिया है। यह एक अच्छा संकेत है। अगर हम सभी दलों के नेताओं को वार्ता के मंच पर लाया जा सके, तो देश के लिए बहुत कुछ हो सकता है।

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    Abhi Patil

    अगस्त 28, 2024 AT 14:11

    यह सब बहुत सुंदर बातें हैं, लेकिन क्या हम वास्तव में इस तरह के नेतृत्व के लिए तैयार हैं? राहुल गांधी के विचार तो उत्तम हैं, लेकिन क्या वे व्यावहारिक हैं? उनकी नीतियाँ एक आदर्शवादी स्वप्न हैं, जिन्हें एक विशाल देश के लिए लागू करना असंभव है। आर्थिक विकास के लिए तो अनुशासन, निर्णय लेने की क्षमता, और राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता होती है, न कि भावनात्मक भाषणों की। यह बहुमत का विजय नहीं, बल्कि एक नए राजनीतिक अपराध का उदाहरण है।

    और भाजपा के बारे में? उन्होंने अपने आधार को बनाए रखा है, और यही उनकी शक्ति है। वे जो बोलते हैं, वह लोगों के दिलों में उतरता है। राहुल की नीतियाँ तो एक बार अपने अधिकारियों के बैठक कमरे में बन जाती हैं, लेकिन वे जनता के साथ बातचीत नहीं करते। वे जानते हैं कि भारत की विकास योजनाएँ उसकी आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप होनी चाहिए, न कि एक विचारधारा के अनुरूप।

    यह जो गठबंधन राजनीति की बात हो रही है, वह तो बस एक विफलता का नाम है। जब एक दल अपने आप को समर्थित नहीं कर पाता, तो वह अपनी विश्वसनीयता खो देता है। भाजपा ने अपनी विश्वसनीयता को बनाए रखा है। राहुल गांधी के लिए यह अभी भी एक बड़ा चुनौती है।

    यह बात भी ध्यान देने लायक है कि जब भी कांग्रेस बहुमत नहीं पाती, तो वे राहुल को उत्तरदायी ठहराते हैं। लेकिन जब वे जीत जाते हैं, तो वे अपने अपने नेताओं को श्रेय देते हैं। यह एक बहुत बड़ी दोहरी मानक है।

    हमें इस तरह के नेतृत्व के लिए तैयार होना होगा, न कि इस तरह के भावनात्मक नारों के लिए।

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    Uday Teki

    अगस्त 28, 2024 AT 16:34

    बस एक बात कहूँ… अगर राहुल बन गए PM तो क्या होगा? बस देखोगे सब कुछ बदल जाएगा 😊❤️

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    Haizam Shah

    अगस्त 29, 2024 AT 20:39

    हे भगवान, ये लोग फिर राहुल के नाम से भाग रहे हैं? भाजपा को अकेले बहुमत नहीं मिला तो भी उन्होंने देश को स्थिरता दी। राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस को जो बहुमत मिला, वो भी बहुत कम है। आप लोग तो बस एक नाम को चारों ओर घुमा रहे हैं। देश को जरूरत है नेतृत्व की, न कि नाम की। अगर राहुल असली नेता होते तो वो खुद चुनाव जीतते, न कि लोगों को बताते कि अगर हम जीतते तो…

    ये गठबंधन राजनीति का दौर तो बहुत बुरा है। छोटे दल अपनी शर्तें लगाते हैं, और देश की आर्थिक नीतियाँ उनके लाभ के लिए बदल जाती हैं। ये असली लोकतंत्र नहीं, ये बाजार नीति है।

    हमें एक ऐसा नेता चाहिए जो अपने विचारों के साथ आए, न कि जो लोगों को बताए कि अगर हम जीतते तो…

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    Vipin Nair

    अगस्त 31, 2024 AT 19:17

    चुनाव का नतीजा बहुमत की बात नहीं बल्कि जनता के विचार का प्रतिबिंब है। कांग्रेस के 200+ सीटें एक नई ऊर्जा का संकेत है। भाजपा के लिए अकेले बहुमत का अर्थ अब नहीं है। अब जनता ने गठबंधन की ओर झुकाव दिखाया है। ये एक नया दौर है। अगर राहुल नेता बनते तो ये बात अब नहीं बनती। लेकिन अब ये नया दौर है। जिसमें बातचीत और समझौता महत्वपूर्ण है। न कि एकल शक्ति।

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