प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तीसरी बार भी सरकार बनाने में सफल होगी, भले ही बीजेपी को पूर्ण बहुमत से कम सीटें मिल रही हों। चुनावी परिणामों को देखने के बाद यह साफ हुआ कि बीजेपी को 240 सीटें मिल रही हैं, जो 2019 के 303 सीटों के मुकाबले 63 सीटों की कमी है। हालांकि, एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) तीसरी बार भी सरकार बनाने का दावा कर रहा है।
एनडीए की योजना यह है कि बहुमत की कमी को अन्य सहयोगी दलों के समर्थन से पूरा किया जाएगा। बिहार में नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) 12 सीटों पर और आंध्र प्रदेश में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) 17 सीटों पर जीत दर्ज करने की ओर अग्रसर है। इन दोनों दलों का समर्थन एनडीए के लिए महत्वपूर्ण है, और कहा जा रहा है कि एनडीए की बैठक बुधवार को होगी जिसमें नीतीश कुमार और टीडीपी नेता एन चंद्रबाबू नायडू को बुलाया गया है।
दूसरी ओर, कांग्रेस और उसकी सहयोगी दल भी केंद्र में सरकार बनाने के लिए रणनीति बना रहे हैं। कांग्रेस ने कहा है कि बुधवार को अपने सहयोगी दलों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करेगी। 543 सदस्यीय लोकसभा में साफ बहुमत के लिए 272 सीटें चाहिए, लेकिन इस बार के चुनाव में एनडीए गठबंधन और विपक्षी INDIA गठबंधन के बीच मात्र 60 सीटों का अंतर है। यह मामला अब राष्ट्रपति के पास जाएगा कि किसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाए।
उत्तर प्रदेश में बीजेपी बहुमत से नीचे आ गई है। समाजवादी पार्टी की सामाजिक इंजीनियरिंग ने भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया है। वहीं गुजरात में बीजेपी 26 में से 25 सीटों पर जीतते हुए भी अपनी हैट्रिक पूरी नहीं कर पाई।
महाराष्ट्र में बीजेपी को बड़े अघात का सामना करना पड़ा है। इसके प्रमुख कारणों में तृतीय श्रेणी के नेता बने रहने की जनता में असंतोष, कृषि संकट एवं महंगाई बताते जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने अपनी सीटें बढ़ा लीं हैं, जिससे बीजेपी को बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह जनादेश प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ है और उन्हें पद से इस्तीफा देना चाहिए। पार्टी ने यह भी दावा किया कि देश की जनता ने उन्हें नकार दिया है और अगले सरकार का गठन विपक्षी गठबंधन द्वारा ही होना चाहिए।
इस प्रकार, इस चुनावी परिणाम ने राजनीतिक परिदृश्य को अत्यंत रोचक और अस्थिर बना दिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अगली सरकार किसकी बनती है और कौन से दल के हाथ में सत्ता की बागडोर आती है। यह स्पष्ट है कि अगामी समय में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल सकते हैं।