PR श्रीजेश: पदक के साथ करियर का अंतिम मुकाबला खेलने उतरेगा 'दीवार' भारतीय गोलकीपर

PR श्रीजेश: पदक के साथ करियर का अंतिम मुकाबला खेलने उतरेगा 'दीवार' भारतीय गोलकीपर

अगस्त 8, 2024 shivam sharma

PR श्रीजेश: भारतीय हॉकी का 'दीवार' का आखिरी निर्णय

भारतीय हॉकी के 'दीवार' के नाम से मशहूर पीआर श्रीजेश आज पेरिस ओलंपिक्स में भारत के लिए अपना अंतिम मुकाबला खेलने वाले हैं। यह मुठभेड़ हॉकी प्रेमियों के लिए एक अत्यंत भावुक क्षण होगा क्योंकि उन्होंने पहले ही अपने संन्यास की घोषणा कर दी है। भारतीय हॉकी के इतिहास में उनका योगदान अभूतपूर्व है और उनकी कहानी काबिले तारीफ।

करियर की कहानी: शानदार प्रदर्शन और उपलब्धियां

पीआर श्रीजेश ने 2006 में भारतीय टीम के लिए खेलना शुरू किया और शीघ्र ही वे गोलकीपर के रूप में सर्वोच्च खेल प्रदर्शन तक पहुँच गए। 2011 में उन्होंने आधिकारिक तौर पर भारत के 'नंबर 1' गोलकीपर के रूप में खुद को स्थापित किया। अपने करियर के दौरान, उन्होंने चार ओलंपिक खेलों में भाग लिया और टोक्यो ओलंपिक्स में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

श्रीजेश के खेल करियर में उन्हें अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए। 2021 में उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया और लगातार दो सालों (2021 और 2022) में FIH गोलकीपर ऑफ द ईयर अवार्ड भी मिला।

अंतिम मुकाबला: ब्रॉन्ज पर नजर

अंतिम मुकाबला: ब्रॉन्ज पर नजर

आज के मुकाबले में भारत स्पेन के खिलाफ खेलेगा, जो एक पदक के लिए निर्णायक मुठभेड़ होगी। इस मैच में भारत और श्रीजेश के प्रदर्शन पर सभी की नजरें होंगी। सेमीफाइनल में भारत को जर्मनी से हार का सामना करना पड़ा था, जिसमें मैच 3-2 के स्कोर पर समाप्त हुआ। परंतु, आज का मुकाबला निर्णायक साबित होगा।

भाव विभोर करने वाला संदेश

श्रीजेश ने इस महत्वपूर्ण क्षण पर एक भावुक संदेश साझा किया। उन्होंने भारतीय जनता का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनके हर बचाव, डाइव और भीड़ की गर्जना हमेशा उनकी आत्मा में गूंजती रहेगी। उनके इस संदेश ने न केवल उनके प्रशंसकों को बल्कि समस्त भारतीय हॉकी समुदाय को प्रेरित किया है।

पेरिस में शानदार प्रदर्शन

पेरिस ओलंपिक्स में श्रीजेश का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है। उनके महान बचावों ने भारतीय टीम को महत्वपूर्ण स्थान पर बनाए रखा है। उनके इस आखिरी मैच में भी उनके प्रदर्शन से भारत को पदक दिलाने की प्रबल उम्मीद है।

विरासत: भारतीय हॉकी में अमूल्य योगदान

श्रीजेश का योगदान भारतीय हॉकी को एक नई ऊंचाई पर ले गया है। उनके संघर्ष, उनकी निष्ठा और उनकी सफलता ने उन्हें एक महान खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। वे भारतीय हॉकी के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

श्रीजेश की कहानी खेल जगत के हर खिलाड़ी के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उनकी कहानी बताती है कि कैसे धैर्य और कड़ी मेहनत से सफलता पाई जा सकती है।

13 Comments

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    Tarun Gurung

    अगस्त 9, 2024 AT 16:38
    भाई श्रीजेश ने तो बस एक गोलकीपर का काम नहीं किया, एक पूरी पीढ़ी को बचाया। जब भी वो डाइव करता, मैं सोचता ये इंसान नहीं, कोई डिफेंसिव ड्रैगन है। उसकी आँखों में जो आग थी, वो बस खेल नहीं, देश की आत्मा थी।

    मैंने टोक्यो में उसका मैच टीवी पर देखा था, गला रुंध गया था। अब ये आखिरी मैच... भगवान करे वो पदक लेकर जाए।
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    Rutuja Ghule

    अगस्त 10, 2024 AT 08:15
    ये सब भावुकता बहुत अच्छी है, लेकिन असली सवाल ये है कि इतने सालों बाद भी हम एक खिलाड़ी पर इतना निर्भर क्यों हैं? टीम में कोई नया गोलकीपर नहीं निकला? हमारी अकादमी क्या कर रही है? श्रीजेश का बहुत बड़ा योगदान है, लेकिन ये एक सिस्टम की विफलता का भी प्रतीक है।
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    vamsi Pandala

    अगस्त 12, 2024 AT 07:53
    अरे यार ये सब रोना क्यों? जर्मनी से हार के बाद भी ब्रॉन्ज के लिए लड़ रहे हैं, तो अब तो बस ब्रॉन्ज ले आओ और चले जाओ। अब तक जो भी बहस हो रही है, वो सब बकवास है। बस एक बार फिर वो डाइव दिखा दो, और फिर चुपचाप चले जाओ।
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    nasser moafi

    अगस्त 13, 2024 AT 10:36
    ये आदमी तो बस खेल नहीं, एक रिलीजियस एक्सपीरियंस है 😭🙏

    जब वो गेट के सामने खड़ा होता है, तो मैं अपने घर के बाहर बैठकर भी दिल से देखता हूँ। अब ये आखिरी बार... भारत के लिए ये ब्रॉन्ज तो उसके लिए एक गिफ्ट होगा। बस एक बार फिर वो डाइव करे, और हम सब उसके लिए जमीन पर गिर जाएं। 🇮🇳🔥
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    Saravanan Thirumoorthy

    अगस्त 15, 2024 AT 09:22
    श्रीजेश ने जो किया वो कोई नहीं कर सकता दुनिया में। जर्मनी ने जीत ली थी लेकिन उसके बाद भी वो बचाव देखकर लगा जैसे हमने जीत ली हो। भारत का गोलकीपर है ना असली देशभक्त। ब्रॉन्ज लाओ और जाओ। हम सब तुम्हारे लिए खड़े हैं।
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    Tejas Shreshth

    अगस्त 15, 2024 AT 18:28
    श्रीजेश की कहानी एक असली एक्सिस ऑफ़ नैचुरल बियूटी है। उसके डाइव्स फिलोसोफिकल एक्सप्रेशन्स ऑफ़ ह्यूमन विल आर रिस्पेक्ट टू द डिफिकल्ट। उसकी आँखों में जो गहराई है, वो न सिर्फ गोलकीपिंग की नहीं, बल्कि एक सिविलाइजेशन की आत्मा को दर्शाती है। वो बस एक खिलाड़ी नहीं, एक लाइव आर्टवर्क है।
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    Hitendra Singh Kushwah

    अगस्त 15, 2024 AT 19:31
    अगर ये आखिरी मैच है तो उसके लिए एक अलग से ब्रॉन्ज मेडल बना देना चाहिए। नहीं तो ये बहुत अन्याय है। एक ऐसे खिलाड़ी को जिसने इतने साल देश के लिए खेला है, बस एक आम मेडल से बाहर निकालना गलत है।
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    sarika bhardwaj

    अगस्त 16, 2024 AT 18:36
    मैंने उसके बचाव को डेटा एनालिसिस के साथ एनालाइज़ किया है। उसकी रिएक्शन टाइम 0.21 सेकंड है, जो ओलंपिक लेवल पर एक साइकोलॉजिकल अबनॉर्मैलिटी है। वो बस एक गोलकीपर नहीं, एक बायोमेकेनिकल मैग्निफाइंग ग्लास है।
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    Dr Vijay Raghavan

    अगस्त 17, 2024 AT 12:41
    श्रीजेश के बिना भारतीय हॉकी का कोई मतलब नहीं। तुम सब बातें कर रहे हो लेकिन क्या तुमने कभी उसकी आँखों में देखा? वो जो डाइव करता है, वो नहीं, वो तो देश के लिए जान देने वाला एक अमर वीर है।
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    Partha Roy

    अगस्त 18, 2024 AT 05:50
    ये सब लोग भावुक हो रहे हैं पर असली सवाल ये है कि इतने सालों बाद भी हमारी टीम में कोई नया गोलकीपर नहीं आया? अगर श्रीजेश नहीं होता तो भारत अब तक कहाँ होता? ये बस एक खिलाड़ी की कहानी नहीं, ये हमारी सिस्टम की बेकारी की कहानी है।
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    Kamlesh Dhakad

    अगस्त 19, 2024 AT 11:41
    अरे भाई, बस एक बार फिर उसे देखो। बस एक बार फिर वो डाइव करे। बाकी सब बातें बाद में। अब तो बस जीत लाओ। हम सब तुम्हारे साथ हैं।
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    ADI Homes

    अगस्त 20, 2024 AT 21:11
    मैंने टोक्यो में उसका मैच देखा था। तब भी ऐसा लगा जैसे वो देश की आत्मा है। अब ये आखिरी बार है... उम्मीद है वो ब्रॉन्ज ले आएगा। बस एक बार फिर वो डाइव करे, और हम सब उसके लिए चुप रह जाएं।
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    Hemant Kumar

    अगस्त 21, 2024 AT 18:55
    श्रीजेश के लिए एक बात कहूँ? तुमने बस खेल नहीं, एक पीढ़ी को सिखाया है कि धैर्य से क्या हो सकता है। अब जाओ, आराम करो। हम सब तुम्हारे लिए गर्व करते हैं।

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