बेंगलुरु के BCCI सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में खेले गये इस महत्वपूर्ण मैच में दक्षिण ज़ोन ने उत्तर ज़ोन के खतरनाक बाउलेर्स को 536 सभी आउट के साथ पीछे छोड़ दिया। इस लक्ष्य का प्रमुख स्तम्भ Narayan Jagadeesan था, जिन्होंने 352 गेंदों में 197 रन बनाए। छह के दौरान उनका रिटर्न 64.2 था, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह सिर्फ बचाने के लिए नहीं, बल्कि मैच को जीत की दिशा में ले जाने के लिए आए थे।
जगदेवसन् की पारी में 16 चौके और 3 छक्के शामिल थे, जिनमें दो छक्के सीधे लंबी ऑन पर गए और तीसरा कपड़े पर उछल कर सीमा तक पहुँचा। उनका पहला बड़ा साझेदारी टैनमे आगारवाल के साथ 115 रन का था, जिसके बाद देवदत्त पडिक्कल के साथ 102 रन का सेंटर बना। यह दो साझेदारियों ने दक्षिण ज़ोन को दो दिनों तक दबाव में रखे बाउलेर्स को घूरा।
जैसे‑जैसे पारी आगे बढ़ी, बाउलेर्स में नई टेस्ट‑डैब टेस्टर अनशुल काम्बोज और आउकिब नबी का प्रयोग किया गया, पर इनकी बजाय उत्तर ज़ोन के युवा स्पिनर निशांत सिंधु ने 48 ओवर में 5 विकेट (5/125) लेकर टीम को कुछ हद तक संभाला। फिर भी जगदेवसन् को रन‑आउट का शॉर्टकट मिला, जब निशांत संधू ने उनके साथ फुर्सत के पल में रफ़्तार को रोक दिया।
जगदेवसन् पहले भी रिषभ पैंट के स्थान पर भारत की पाँचवीं टेस्ट, इंग्लैंड के खिलाफ, के लिए बुलाए गये थे। पैंट की चोट के कारण द्वितीय विकल्प की खोज में भारतीय चयनकों ने उन्हें भरोसा दिखाया, जबकि इशान किशन और संजु सामसन जैसे नामी विकेटकीपर्स को पीछे छोड़ दिया गया। वर्तमान में ध्रूव ज्यूरेल भारत की वनडे‑टेस्ट दोनों टीमों में प्राथमिक विकेटकीपर बने हुए हैं, पर जगदेवसन् की निरंतर बड़ी पारी से उनका दबाव बढ़ता ही जा रहा है।
कोइम्बटूर में श्रीरामकृष्ण क्रिकेट ट्रस्ट अकादमी के कोच ए.जी. गुरुस्वामी ने बताया कि जगदेवसन् ने इस इंटर‑ज़ोन मैच की तैयारी में नेट में अनगिनत घंटे बिताए थे। उनका कहना था, "वो हर पिच पर खुद को जाँचते रहे और इस पारी में वह सभी मेहनत का फल दिखा पाए।" यह मेहनत न सिर्फ अंकलशिप में बल्कि मानसिक दृढ़ता में भी दिखी, जैसा कि उन्होंने मीडिया इंटरेक्शन में कहा: "मैं सिर्फ खेल को एन्जॉय करना चाहता हूँ, चयन की चिंता नहीं।"
पहले से ही 245* और 321 के दो बड़े स्कोर भी उनके नाम है, जो तमिलनाडु के प्रथम‑क्लास इतिहास में सबसे अधिक व्यक्तिगत स्कोर है। इस प्रकार, उनका औसत 47.5 पहले से ही दर्शाता है कि वह परिपक्व और भरोसेमंद बॅट्समैन हैं। जब टेस्ट टीम में दो विकेटकीपर की जरूरत होती है, तो यह आँकड़े और अनुभव बहुत मायने रखते हैं।
यदि वह जल्द ही अपने टेस्ट डेब्यू को साकार कर पाते हैं, तो भारतीय टीम को एक ऐसा बैट्समैन मिलेगा जो न केवल बॉल रखने में तेज़ है, बल्कि लंबी पारी बनाने में भी निपुण है। ऐसी क्षमताओं का उपयोग भारतीय टेस्ट लाइन‑अप को नयी लचीलापन देगा, विशेषकर बढ़ते पिचों पर जब रिफ़्रेशमेंट स्ट्रॉक्स की जरूरत होती है।