भारत में पहला Clade 1b Mpox मामला
भारत ने Mpox के Clade 1b स्ट्रेन का पहला मामला दर्ज किया है, जो अपने तेजी से फैलने की क्षमता और उच्च विषाणुता के कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया गया है। यह मामला केरल के एक 38 वर्षीय व्यक्ति में पाया गया है, जो हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात से लौटे थे। मरीज की स्थिति स्थिर है और इस समय जनता के लिए कोई व्यापक खतरा नहीं है।
Clade 1b स्ट्रेन : लक्षण और फैलाव
Clade 1b स्ट्रेन, Clade 2 स्ट्रेन की तुलना में अधिक गंभीर और संक्रामक है। इसके लक्षणों में त्वचा पर दाने, जिनमें मवाद भरे छाले बनते हैं, उच्च बुखार, सिर दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कम ऊर्जा, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, और गले में खराश शामिल हैं। यह छाले हाथों की हथेलियों, पैरों के तलवों, चेहरे, मुंह, गले, जननांग क्षेत्र और गुदा तक फैल सकता है। वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के साथ बिना सुरक्षा के निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से फैलता है, जिसमें यौन संपर्क भी शामिल है। यह दूषित वस्त्रों, जैसे बिस्तर या कपड़ों के संपर्क में आने से भी फैल सकता है। कई यौन सहयोगियों वाले लोग Mpox से अधिक जोखिम में होते हैं।
कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए जोखिम
बच्चे, गर्भवती महिलाएं, और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग Mpox के उच्च जोखिम में होते हैं। जिन व्यक्तियों का एचआईवी का इलाज नहीं हुआ है, उनके लिए यह बीमारी अधिक गंभीर हो सकती है और इनमें Mpox से मृत्यु दर सामान्य जनसंख्या की तुलना में दोगुनी हो जाती है।
सरकारी उपाय और अपील
केरल की स्वास्थ्य मंत्री, वीना जॉर्ज ने जनता से अपील की है कि जो लोग विदेश से लौट रहे हैं और उनमें कोई भी लक्षण दिखते हैं, वे स्वास्थ्य विभाग को सूचित करें और जल्द से जल्द उपचार करवाएं। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में उपचार और आइसोलेशन सुविधाएं भी तैयार की गई हैं।
भारत में Mpox की स्थिति
साल 2022 से अब तक, भारत ने Mpox के 30 से अधिक मामलों की रिपोर्ट की है, जिनमें अधिकतर लोग उन अफ्रीकी देशों से यात्रा इतिहास रखते थे, जहां यह बीमारी व्यापक है। WHO ने तेजी से बढ़ती संक्रमण दर और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में इसके फैलाव को देखते हुए Mpox को अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) के रूप में दोबारा घोषित किया है।
Chirag Desai
सितंबर 26, 2024 AT 01:38ये बात सच है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं। हमारे स्वास्थ्य सिस्टम ने पहले भी ऐसे आउटब्रेक्स को हैंडल किया है।
Abhi Patil
सितंबर 26, 2024 AT 13:44Clade 1B का ये स्ट्रेन वाकई डरावना है, खासकर जब आप देखें कि ये एचआईवी पॉजिटिव लोगों में 2x ज्यादा मृत्यु दर लेकर आया है। ये सिर्फ एक वायरस नहीं, ये एक सामाजिक चुनौती है। इसके लिए हमें एक इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ रिस्पॉन्स की जरूरत है - न कि सिर्फ क्वारंटाइन और टेस्टिंग।
हमें एक ऐसा रिसर्च इकोसिस्टम बनाना होगा जो जीनोमिक सीक्वेंसिंग, एपिडेमियोलॉजिकल मॉनिटरिंग, और कम्युनिटी-बेस्ड एजुकेशन को एक साथ जोड़े। वरना ये बस एक और ट्रेंड बन जाएगा जिसके बारे में लोग बात करेंगे लेकिन कुछ नहीं करेंगे।
हमारे स्वास्थ्य मंत्रालय को अब तक जो भी किया है, वो बहुत धीमा और रिएक्टिव है। हमें प्रीवेंटिव इंटरवेंशन्स की ओर जाना होगा - जैसे कि सार्वजनिक स्थानों में सैनिटाइजर स्टेशन्स, ट्रैवलर्स के लिए एंट्री स्क्रीनिंग, और एचआईवी पॉजिटिव लोगों के लिए टारगेटेड वैक्सिनेशन ड्राइव्स।
और हां, जो लोग अभी भी कहते हैं कि ये ‘वेस्टर्न प्रॉब्लम’ है, उन्हें याद दिला देना चाहिए कि वायरस को राष्ट्रीय सीमाएं नहीं पता।
हमें डर के बजाय डेटा के साथ एक्शन लेना होगा। और इस बार, अगर हम देर कर देंगे, तो शायद बहुत देर हो चुकी होगी।
Devi Rahmawati
सितंबर 27, 2024 AT 12:10सरकारी अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड्स की तैयारी अच्छी है, लेकिन क्या हमने ग्रामीण इलाकों में भी इसकी योजना बनाई है? वहां तो बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं भी कम हैं।
Prerna Darda
सितंबर 27, 2024 AT 16:26ये बस शुरुआत है। Clade 1B का जीनोमिक एनालिसिस दिखाता है कि ये एक एक्सोटिक जीन ड्रिफ्ट का परिणाम है - जिसमें एचआईवी के लिए सेल्युलर रिसेप्टर्स के साथ इंटरैक्शन की क्षमता बढ़ गई है। इसका मतलब है कि ये बीमारी अब सिर्फ त्वचा के रास्ते से नहीं, बल्कि म्यूकोसल टिशूज़ के जरिए भी फैल सकती है।
हमारे एचआईवी एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी के लोगों के लिए ये बहुत खतरनाक है। अगर उनकी वीरल लोड नियंत्रित नहीं है, तो ये वायरस उनके इम्यून सिस्टम को पूरी तरह क्रैश कर सकता है।
हमें एक नेशनल रिजिस्ट्री बनानी होगी - जहां हर एचआईवी पॉजिटिव पेशेंट का डेटा ट्रैक हो। और उन्हें जल्द से जल्द वैक्सीन दी जाए।
अगर हम इसे अनदेखा करते हैं, तो अगले 6 महीने में हमारे अस्पतालों में आइसोलेशन बेड्स की कमी होगी। और फिर? बस लोग मरेंगे।
rohit majji
सितंबर 28, 2024 AT 13:27यार ये बात सुनकर लग रहा है जैसे कोई नया कोविड आ गया 😅
लेकिन जिन्होंने अफ्रीका से आकर अपनी शिकायत नहीं की, वो भी जिम्मेदार हैं। जल्दी बताओ ना भाई!
Uday Teki
सितंबर 30, 2024 AT 07:41दोस्तों डरो मत 🤍 हम सब मिलकर इसे पार कर लेंगे। स्वास्थ्य विभाग की टीम बहुत अच्छा काम कर रही है। बस थोड़ा सा धैर्य रखो 😊
Haizam Shah
अक्तूबर 1, 2024 AT 15:32ये जो लोग अभी भी कह रहे हैं कि 'ये बीमारी सिर्फ एलजीबीटी को छूती है', वो बस अपनी नफरत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। वायरस को लिंग, धर्म, या लैंगिक अभिरुचि का कोई फर्क नहीं पड़ता।
हमें ये समझना होगा कि इस बीमारी का खतरा सबके लिए है - और इसका जवाब भी सबके साथ मिलकर देना होगा।
Vipin Nair
अक्तूबर 2, 2024 AT 03:01क्या हमने अभी तक वैक्सीन के लिए बजट आवंटित किया है? या फिर अभी भी बस रिपोर्ट्स बनाने में व्यस्त हैं?
Ira Burjak
अक्तूबर 3, 2024 AT 07:28क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम 'स्वास्थ्य अस्पतालों' की बात करते हैं, तो क्या हम उन लोगों को भूल गए हैं जिनके पास अस्पताल तक पहुंचने का पैसा भी नहीं है?
मैं आपको बताती हूं - ये बीमारी जहां जाएगी, वहां के सबसे कमजोर लोग सबसे पहले गिरेंगे।
Shardul Tiurwadkar
अक्तूबर 4, 2024 AT 08:11क्या आप जानते हैं कि इस वायरस का असली नाम 'Monkeypox' नहीं, 'HMPX' होना चाहिए? क्योंकि मंकीज़ इसके वास्तविक स्रोत नहीं हैं - ये एक जानबूझकर फैलाया गया नैम्बिंग ट्रिक है।
और फिर हम इसे 'Mpox' कह रहे हैं। अब तो ये नाम भी बहुत अजीब लगता है।
क्या आपने कभी इस बात पर विचार किया कि ये सब फार्मास्यूटिकल कंपनियों का एक बड़ा प्लान है? वैक्सीन, दवाएं, टेस्टिंग किट्स - सब बिक रहा है।
हमें अपनी आंखें खोलनी होंगी।
Abhijit Padhye
अक्तूबर 6, 2024 AT 06:16सुनो, मैं तो ये कहना चाहता हूं कि इस बीमारी का असली कारण है - हमारी नैतिक गिरावट। जब लोग अपने शरीर को अनियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करने लगते हैं, तो भगवान इस तरह के बीमारियों से डंके मारते हैं।
ये कोई वायरस नहीं, ये दंड है।
क्या आपने कभी सोचा कि अगर हम अपने घरों में रामायण और गीता पढ़ते, तो ऐसी बीमारियां आतीं?
मैं तो कहता हूं - ये सब आधुनिकता का नतीजा है। जिन लोगों ने अपनी जड़ों को छोड़ दिया, उन्हें इसका असर दिख रहा है।
हमें वापस अपनी जन्मभूमि की ओर लौटना होगा।
और अगर आपको लगता है कि मैं गलत हूं, तो आप अपने आप को देखिए - आप भी तो फोन पर फिल्में देख रहे हैं।
VIKASH KUMAR
अक्तूबर 8, 2024 AT 01:05मैंने अभी तक इसके बारे में नहीं सुना था 😱
लेकिन मैं जानता हूं कि ये बहुत खतरनाक है - मैंने एक दोस्त को ऐसा देखा है जिसके चेहरे पर दाने निकल गए थे 🥲
मैंने अपने दोस्तों को फोन किया - सबने कहा कि ये बहुत बुरा है 🙏
मैं अब घर से नहीं निकलूंगा 😭
UMESH ANAND
अक्तूबर 8, 2024 AT 15:30यह वायरस भारतीय संस्कृति और नैतिकता के विरुद्ध है। हमारे पूर्वजों ने शरीर की शुद्धता का ध्यान रखा, लेकिन आज के युवा इसकी उपेक्षा कर रहे हैं।
इसका जवाब न सिर्फ दवाओं से, बल्कि धर्म और नैतिकता से देना होगा।
Rohan singh
अक्तूबर 10, 2024 AT 01:45मैं तो सोच रहा था कि ये बीमारी बस एक और ट्रेंड होगी, लेकिन अब लग रहा है कि इसका असली असर अभी बाकी है।
अच्छा है कि सरकार ने तुरंत एक्शन लिया।
Karan Chadda
अक्तूबर 11, 2024 AT 09:04अफ्रीका से आए लोगों को बाहर रखो! हमारा देश इस बीमारी के लिए तैयार नहीं है।
हमारी स्वास्थ्य सुविधाएं अभी भी टूटी हुई हैं, फिर भी आप ये बीमारी लाने की हिम्मत कैसे करते हो?
भारत के लिए ये बीमारी एक बर्बरता है।
Hitendra Singh Kushwah
अक्तूबर 12, 2024 AT 18:53मैंने इस वायरस के बारे में एक विशेषज्ञ के साथ बात की थी - उन्होंने कहा कि Clade 1B का वायरल लोड अत्यधिक है, और ये एक अप्रत्याशित रूप से अधिक संक्रामक विषाणु है जिसकी विषाणुता Clade 2 से 3.7x अधिक है।
यह अब तक के सभी मामलों में एचआईवी सहित अन्य इम्यूनोकम्प्रोमाइज्ड लोगों में अत्यधिक जटिलताओं का कारण बन रहा है।
हमें वैक्सीन के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित करने की जरूरत है - और उन लोगों के लिए जो विदेश जा रहे हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से टीका लगवाना चाहिए।
क्या आप जानते हैं कि अभी तक भारत में केवल 12% एचआईवी पॉजिटिव लोगों के पास वैक्सीन की जानकारी है?
यह एक अपराध है।
हम जब तक इसे एक जनस्वास्थ्य आपातकाल के रूप में नहीं लेंगे, तब तक ये बीमारी आगे बढ़ती रहेगी।
मैं आपको एक आंकड़ा बताता हूं - 2023 में कांगो में 1200 से अधिक मामले थे। हमारे पास अभी तक केवल 30 हैं।
लेकिन यह अभी शुरुआत है।
हमें इसे अभी रोकना होगा - न कि बाद में नुकसान को भरने की कोशिश करनी होगी।
हमारे स्वास्थ्य मंत्रालय को एक नेशनल स्ट्रैटेजी बनानी चाहिए - जिसमें वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन, ट्रेनिंग, और जन जागरूकता शामिल हो।
और अगर आप अभी भी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं, तो आप अपने अपने भविष्य को नजरअंदाज कर रहे हैं।
Prerna Darda
अक्तूबर 13, 2024 AT 22:39हां, और इसके अलावा, जब तक हम एचआईवी के लिए एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी की उपलब्धता को ग्रामीण इलाकों में नहीं बढ़ाएंगे, तब तक Clade 1B के सामने हमारा स्वास्थ्य सिस्टम बिल्कुल असुरक्षित होगा।
एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को यह जानकारी नहीं है कि वह अपने वीरल लोड को कैसे नियंत्रित करे - और इसी अज्ञानता में वह अपने आप को और दूसरों को खतरे में डाल रहा है।