26 मई 2025 को सोमवती अमावस्या का आयोजन होगा, जो एक अद्वितीय आध्यात्मिक संयोग के साथ आ रही है — इस दिन वट सावित्री व्रत भी पड़ रहा है। अमावस्या तिथि दिन के दोपहर 12:11 बजे शुरू होगी और अगले दिन सुबह 8:31 बजे समाप्त होगी, जैसा कि ड्रिक पंचांग द्वारा बताया गया है। इस दिन हरिद्वार के घाटों पर हजारों भक्तों ने सुबह के अंधेरे में गंगा जल में स्नान किया, जिसका अर्थ है — पितृ दोष का निवारण और पूर्वजों को शांति। यह दिन सिर्फ एक तिथि नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अवसर है, जहां शिव और पार्वती की आराधना, वट वृक्ष की पूजा और अमावस्या के अद्भुत शक्ति का संयोग एक अनोखा संगीत बन जाता है।
सोमवती अमावस्या क्यों है इतनी खास?
जब अमावस्या सोमवार को पड़ती है, तो उसे सोमवती अमावस्या कहते हैं। और यह सिर्फ एक यादृच्छिक मिलन नहीं है। हिंदू शास्त्रों, विशेषकर गरुड़ पुराण के अनुसार, इस दिन पितृ तर्पण करने से परिवार के पूर्वजों के कर्मबंधन टूटते हैं। इस वर्ष यह अमावस्या ज्येष्ठ मास में आ रही है — जो शास्त्रों में अत्यंत पवित्र माना गया है। सोमवार को शिव भगवान का दिन माना जाता है, और अमावस्या शिव की तापस शक्ति का प्रतीक है। इस दोहरी शक्ति के मिलन से यह दिन अन्य सोमवारों से कहीं अधिक शक्तिशाली हो जाता है।
क्या है वट सावित्री व्रत का संबंध?
इस दिन विवाहित महिलाएं वट वृक्ष के चारों ओर धागा बांधकर अपने पति की लंबी आयु और कल्याण के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत की कथा में सावित्री ने मृत्यु को भी हराया था — जब यमराज ने उनके पति की आत्मा ले जाने की कोशिश की, तो उनकी भक्ति और दृढ़ता ने उसे रोक दिया। इस बार, वट सावित्री पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:01 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक है। यही वक्त अभिजित मुहूर्त भी है — जिसे पितृ तर्पण और शिवलिंग के अभिषेक के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। एक दिन में दो बड़े आध्यात्मिक अनुष्ठानों का संयोग बहुत कम होता है। यह न सिर्फ महिलाओं के लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए एक आशीर्वाद है।
शुभ मुहूर्त और अनुष्ठान
इस दिन के लिए तीन प्रमुख शुभ मुहूर्त निर्धारित हैं: ब्राह्म मुहूर्त (4:03 बजे से 4:44 बजे), द्वितीय मुहूर्त (4:24 बजे से 5:25 बजे), और अभिजित मुहूर्त (11:51 बजे से 12:46 बजे)। इन समयों में गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करना, पितृ तर्पण करना, और दान (खाना, वस्त्र, धन) देना विशेष फलदायी माना जाता है। बहुत से पंडितों का मानना है कि इस दिन दान करने से दानी के जीवन में आर्थिक और आध्यात्मिक समृद्धि आती है। कुछ स्थानों पर लोग शिवलिंग पर दूध, जल, बेलपत्र और अक्षत चढ़ाते हैं। जहां तक गंगा स्नान का सवाल है, हरिद्वार, वाराणसी, प्रयागराज और रिषिकेश में भीड़ ने तो नदी के किनारे आध्यात्मिक भावना का एक जीवंत दृश्य बना दिया।
क्यों है यह दिन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण?
पितृ दोष एक ऐसा कर्मबंधन है जिसकी वजह से परिवार में बार-बार बीमारियां, वित्तीय संकट या बच्चों की अनिच्छित अनुपस्थिति होती है। सोमवती अमावस्या पर पितृ तर्पण करने से इन समस्याओं का समाधान होने का विश्वास है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आत्मिक शुद्धिकरण की प्रक्रिया है। लोग अपने पूर्वजों के नाम लेकर जल में तिल और अक्षत डालते हैं, और उनके लिए शांति की प्रार्थना करते हैं। इस दिन जो भी भक्ति के साथ अनुष्ठान करते हैं, उनके जीवन में विघ्नों का निवारण होता है — यह विश्वास दशकों से चला आ रहा है।
2025 में अगली सोमवती अमावस्या कब है?
इस वर्ष दूसरी सोमवती अमावस्या 20 अक्टूबर, 2025 को शाम को आएगी। यह भी एक महत्वपूर्ण दिन होगा, लेकिन इस बार का संयोग — ज्येष्ठ मास में वट सावित्री व्रत के साथ — किसी और के लिए नहीं दोहराया जा सकता। 2025 में कुल 12 अमावस्याएं होंगी, लेकिन केवल दो बार सोमवार को अमावस्या आएगी। इसलिए यह दिन एक दुर्लभ अवसर है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्या गलतियां हुईं रिपोर्ट्स में?
कुछ समाचार स्रोतों ने गलती से सोमवती अमावस्या को 'सोमवार को आने वाली पूर्णिमा' बताया, जबकि अमावस्या का मतलब है — नव चंद्रमा, यानी अंधेरा चंद्रमा। यह एक बड़ी तकनीकी गलती है। इसके अलावा, ABP Live ने अमावस्या के अंत के समय को रात 8:31 बजे बताया, जबकि ड्रिक पंचांग, इंडियन एक्सप्रेस और अन्य प्रमुख स्रोतों के अनुसार यह सुबह 8:31 बजे है। विश्वसनीयता के लिए, ड्रिक पंचांग का डेटा अधिक सटीक माना जाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सोमवती अमावस्या पर शिवलिंग का अभिषेक क्यों गंगा जल से करना चाहिए?
गंगा जल को हिंदू धर्म में पवित्रतम माना जाता है, जिसे पापों के नाशक और आध्यात्मिक शुद्धि का साधन माना जाता है। सोमवती अमावस्या पर शिवलिंग का अभिषेक गंगा जल से करने से शिव की तापस शक्ति और अमावस्या की आध्यात्मिक ऊर्जा का संयोग होता है, जिससे पितृ दोष का निवारण और परिवार की शांति बढ़ती है।
वट सावित्री व्रत केवल महिलाओं के लिए ही है?
हां, वट सावित्री व्रत पारंपरिक रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है, लेकिन परिवार के अन्य सदस्य भी इस दिन शिव-पार्वती की पूजा कर सकते हैं। यह व्रत पति के लंबे जीवन के लिए है, लेकिन इसकी आध्यात्मिक शक्ति पूरे परिवार को लाभान्वित करती है। कुछ घरों में पति भी अपनी पत्नी के लिए वट वृक्ष के चारों ओर धागा बांधते हैं।
पितृ तर्पण कैसे करें? क्या घर पर भी किया जा सकता है?
पितृ तर्पण के लिए आमतौर पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, तिल, अक्षत और जल का एक छोटा सा बरतन लेकर प्रार्थना की जाती है। घर पर भी यह किया जा सकता है, बशर्ते कि आप शुद्ध वेशभूषा में हों और शास्त्रों के अनुसार नाम लेकर तर्पण करें। यदि संभव हो, तो नदी किनारे करना बेहतर है — क्योंकि जल का संपर्क पवित्रता को बढ़ाता है।
क्या इस दिन खाना खाना निषेध है?
नहीं, इस दिन खाना खाना निषेध नहीं है, लेकिन जो लोग व्रत रखते हैं, वे आमतौर पर एक बार भोजन करते हैं — आमतौर पर शाकाहारी और सात्विक भोजन। वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं अक्सर पूरा दिन भूखी रहती हैं और सूर्यास्त के बाद वट वृक्ष के चारों ओर धागा बांधकर भोजन करती हैं।
इस दिन अनुष्ठान न करने से क्या होगा?
अगर आप इस दिन अनुष्ठान नहीं करते, तो कोई दंड या शाप नहीं होता। लेकिन जो लोग पितृ दोष से जूझ रहे हैं, वे इस दिन को एक अवसर मानते हैं। यह धार्मिक विश्वास है — न कि कोई अनिवार्य नियम। भक्ति और निश्चय की भावना ही सबसे अहम है।
सोमवती अमावस्या का इतिहास क्या है?
इसका उल्लेख वैदिक काल से मिलता है, जब पितृ यज्ञ और अमावस्या के दिन ऋषियों द्वारा अनुष्ठित किए जाते थे। गरुड़ पुराण में इसे 'पितृ लोक के लिए अत्यंत शुभ' बताया गया है। इसका विशेष महत्व शिव-पार्वती के द्वारा प्रतिष्ठित आध्यात्मिक शक्ति के साथ जुड़ा हुआ है, जो मानव जीवन के सभी पहलुओं को संतुलित करती है।
Vidushi Wahal
नवंबर 22, 2025 AT 14:34इस दिन गंगा किनारे जाने की बजाय घर पर शांति से शिवलिंग का अभिषेक कर लूं, ये मेरी प्राथमिकता है। भीड़ में घुलना नहीं, अपने भक्ति का समय बनाना है।
Narinder K
नवंबर 23, 2025 AT 11:02अमावस्या पर वट वृक्ष की पूजा? अच्छा, तो क्या अगर मैं एक प्लास्टिक का पेड़ लगा दूं तो मेरा पति भी इमरजेंसी में बच जाएगा? 😏
JAYESH KOTADIYA
नवंबर 23, 2025 AT 12:32ये सब चीजें तो पुराने जमाने की हैं भाई। 2025 में भी तिल डाल रहे हो? 🤦♂️ अगर तुम्हारे परिवार में बीमारियां हैं तो डॉक्टर को दिखाओ, शिवलिंग को नहीं। और हां, गंगा जल भी अब गंदा है, जिसमें जहर तैर रहा है। पंचांग तो बस एक कैलेंडर है, जिसे बेचने वाले ने अपनी आय बढ़ाने के लिए जादू कर दिया।
Vikash Kumar
नवंबर 23, 2025 AT 14:36कोई नहीं जानता कि ये व्रत किसने बनाया? सावित्री ने यमराज को हराया, लेकिन आज की महिलाएं अपने पतियों को ऑफिस से घर आने के लिए भी नहीं हरा पातीं। 🙃
Siddharth Gupta
नवंबर 24, 2025 AT 05:32दोस्तों, ये दिन बस एक अवसर है - अपने अंदर के शांति को ढूंढने का। चाहे तुम गंगा पर जाओ या घर पर एक फूल चढ़ा दो, बस दिल से करो। जब तक तुम्हारा दिल बात कर रहा है, तब तक ये सब अनुष्ठान बस एक बाहरी आकृति हैं। आत्मा को जगाओ, न कि रिपोर्ट्स को। 🌿