जब उत्तर प्रदेश के बाजारों में चांदी की कीमतें 9 अक्टूबर 2025 को एक किलो पर ₹1,71,000 तक पहुँच गईं, तब निवेशकों ने सीधा ध्यान सोने की ओर भी मोड़ दिया, क्योंकि 24‑कैरेट सोना उत्तर प्रदेश में 10 ग्राम पर ₹1,22,000 के पार हो गया था। यह उछाल केवल एक दिन का नहीं, बल्कि अक्टूबर की पहली तारीख से लेकर नौवें दिन तक 10.60 % की उल्लेखनीय बढ़त थी, जैसा कि BankBazaar और GoodReturns ने पुष्टि की। इस तेज़ी से बढ़ते दामों का असर पूरे 75 जिलों में महसूस किया जा रहा है, और दीवाली‑सीजन के करीब आते ही विशेषज्ञों ने और भी उछाल की संभावनाएँ जताई हैं।
10 अक्टूबर 2025 तक, MCX (Multi Commodity Exchange) ने लखनऊ में 1 ऑक्टूबर को ₹1,51,000 प्रति किलोग्राम से लेकर 9 अक्टूबर को ₹1,71,000 प्रति किलोग्राम की दर दर्ज की। रोज़ाना बदलाव इस प्रकार रहा:
सिर्फ़ कीमतों की बात नहीं, बल्कि मात्रा भी महत्वपूर्ण है; Times of India ने बताया कि उद्योग‑उपभोग में 50 % से अधिक मांग इलेक्ट्रिकल वायरिंग, बैटरी और सोलर पैनल से आती है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी चांदी की कीमतें स्थिर नहीं रह पातीं।
विदेशी बाजारों में 1 अक्टूबर को स्पॉट गोल्ड की कीमत $3,862.43 तक पहुँच गई, जो 0.92 % की बढ़त दर्शाती है। इस अंतरराष्ट्रीय उछाल का सीधा असर भारत में, विशेषकर लखनऊ में, देखा गया। इसी दौरान Angel One ने रिपोर्ट किया कि घरेलू सोना 10 ग्राम पर ₹1,17,710 पर ट्रेड कर रहा था, जबकि MCX पर लक्ष्य ₹1,27,000 था। आज की वास्तविक कीमतें इस लक्ष्य से आगे बढ़ चुकी हैं।
उल्लेखनीय बात यह है कि डॉ. राजीव रंजन, निदेशक उत्तरी प्रदेश निदेशालय भूविज्ञान एवं खनन ने कहा, "औद्योगिक मांग में निरंतर बढ़ोतरी और दीवाली‑सीजन की परम्परागत निवेश प्रवृत्ति मिलकर इस उछाल को समर्थन दे रही है।"
उपभोक्ताओं के पास कई रास्ते हैं:
इनमें से हर विकल्प की अपनी जोखिम‑रिटर्न प्रोफ़ाइल है, इसलिए निवेशक को अपनी आवश्यकता, समय सीमा और कर‑प्रभाव को ध्यान में रख कर चुनना चाहिए।
10 अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, Times of India ने कहा कि सोना और चांदी दोनों ही "आगे और भी उछाल के लिए तैयार" हैं। दीवाली (20 अक्टूबर 2025) का महीना अक्सर दर्शकों के लिए उपहार, पूजा‑आइटम और निवेश का प्रमुख समय होता है। ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि 2022‑2023 में दीवाली‑सीजन के दौरान चांदी की कीमतों में औसत 6‑7 % की अतिरिक्त बढ़ोतरी हुई थी।
यदि वर्तमान रुझान जारी रहा, तो MCX पर सोने का लक्ष्य ₹1,30,000 / 10 ग्राम और चांदी का ₹1,80,000 / kg तक पहुँच सकता है। लेकिन नज़र रखनी होगी कि वैश्विक आर्थिक संकेतक, विशेषकर ब्याज दरों में परिवर्तन, इस गति को धीमा या तेज कर सकते हैं।
मुख्य तौर पर दो कारण मिलकर काम कर रहे हैं – वैश्विक स्तर पर इंडस्ट्री मांग (इलेक्ट्रिकल, बैटरी, सोलर) में वृद्धि और भारतीय बाजार में दीवाली‑सीजन की परम्परागत खरीदारी। साथ ही अमेरिकी डॉलरी में हल्की गिरावट ने चांदी को सुरक्षित आश्रय बना दिया, जिससे स्थानीय कीमतें तेज़ी से बढ़ीं।
वर्तमान में यह स्तर मजबूत समर्थन देख रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में $3,800‑$4,000 के बीच कीमतों में उतार‑चढ़ाव इसे प्रभावित कर सकता है। यदि अंतरराष्ट्रीय कीमतें आगे बढ़ें, तो घरेलू कीमतें और भी ऊपर जा सकती हैं; दूसरी ओर, यदि डॉलर मजबूत हो जाए, तो रिवर्स प्रभाव संभव है।
एक संतुलित पोर्टफ़ोलियो बनाना फायदेमंद रहेगा – भौतिक धातु, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट और सिल्वर ETF को मिश्रित करें। साथ ही, कीमतों में अचानक गिरावट के जोखिम से बचने के लिए स्टॉप‑लॉस ऑर्डर सेट करें और विश्व आर्थिक डेटा (ब्याज दरें, डॉलर) पर नजर रखें।
हाँ, अगर प्लेटफ़ॉर्म SEBI‑स्वीकृत हो और KYC प्रक्रिया पूरी की गई हो, तो जोखिम अपेक्षाकृत कम रहता है। BankBazaar और GoodReturns दोनों ही नियामक मानकों का पालन करते हैं, परंतु निवेश से पहले शुल्क संरचना और डिलीवरी नीति को समझना ज़रूरी है।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि मौजूदा ट्रेंड और दीवाली‑डिमांड जारी रहे, तो सोने के लिए 5‑6 % और चांदी के लिए 7‑9 % तक अतिरिक्त उछाल देखी जा सकती है। यह अनुमान बाजार की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक नीति पर निर्भर करता है।
Aakanksha Ghai
अक्तूबर 10, 2025 AT 05:23सोने और चाँदी की कीमतों का इतना तीव्र उछाल देख कर मेरा दिल चिंतित हो गया है। असली समस्या सिर्फ़ मुनाफ़े की लालसा नहीं, बल्कि हमारी नैतिकता का क्षीण होना है। जब लोग दीवाली की चमक में धड़ाधड़ खरीदारी करते हैं, तो अक्सर कमजोर वर्ग के लिए बचत का अवसर घट जाता है। कीमतों के इस अंधाधुंध चलन को रोकने के लिए हमें सामाजिक जिम्मेदारी अपनानी चाहिए। हमें समझदारी से निवेश करना चाहिए, नहीं तो यह एक अस्थायी उत्सव बनकर रह जाएगा।
Raj Kumar
अक्तूबर 10, 2025 AT 05:56सरकार और रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीतियों में छिपी हुई योजनाएँ इस अचानक उछाल को नियंत्रित करने के लिए तैयार हैं। विदेशि बैंकों द्वारा भारतीय सोने और चाँदी के बाजार में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया जा रहा है, जिसका वास्तविक प्रभाव सार्वजनिक को नहीं दिखाया जाता। इन हेरफेरों के पीछे मुख्य कारण वैश्विक वित्तीय शोषण है, जहाँ पश्चिमी सेंट्रल बैंक हमारे आर्थिक सुदृढ़ता को कमजोर करने में लगे हुए हैं। उसी समय, घरेलू बड़े व्यापारियों को झूठी सूचना दी जा रही है कि दीवाली के कारण मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी, जबकि असल में यह मात्र एक बड़ी घोटाला है। यह घोटाला तब तक जारी रहेगा जब तक कि सामान्य जनता अपनी खरीद शक्ति को रोक नहीं लेती। वर्तमान में रोख प्रवाह तेज़ी से बढ़ रहा है, जिससे बाजार में स्पेकुलेशन का माहौल बनता जा रहा है। साथ ही, इलेक्ट्रिक वाहन और सोलर पैनल उद्योग की मांग को झूठी रूप से बढ़ते हुए दिखाया जा रहा है, ताकि धातु की कीमतें कृत्रिम रूप से ऊपर रखी जा सकें। इन उद्योगों के वास्तविक आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाते, इसलिए उपभोक्ता को भ्रमित किया जाता है। यदि आप इस कीमत के उछाल को एक सीमा तक देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि यह केवल एक अस्थायी धक्का है, न कि दीर्घकालिक स्थायित्व। आरएसएफ़आर को तुरंत इस स्पॉट प्राइस को नियंत्रित करने के लिए कठोर नियम लागू करने चाहिए। अभी की स्थिति में, छोटे निवेशकों को इन भारी उतार-चढ़ाव से बचने के लिए सोने या चाँदी को फिजिकल रूप में रखने की सलाह नहीं दी जानी चाहिए। वित्तीय संस्थानों को ईटीएफ और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स में अधिक पारदर्शिता लानी चाहिए। क्यूँकि इस सेट‑अप में बाजार में झूठी मांग बनाकर कीमतें बढ़ाई जा रही हैं। आपका रुचि यदि असली रिटर्न में है, तो मौजूदा स्पेकुलेशन से दूर रहना ही समझदारी होगी। अंत में, मेरे विचार में, इस समय सरकार को कीमतों को स्थिर करने के लिए आयात साख को बढ़ाना चाहिए, न कि निर्यात को रोकना।
Seema Sharma
अक्तूबर 10, 2025 AT 06:30इतنے بڑھتے दाम دیکھ کر आज سے बचत کے جھोले जितने फटे तो बस!
King Dev
अक्तूबर 10, 2025 AT 07:03अगर आप निवेश के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले यह समझिए कि भौतिक धातु, ईटीएफ और फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स के बीच क्या अंतर है। भौतिक सोना या चाँदी खरीदते समय आप वास्तविक वस्तु के मालिक बनते हैं, लेकिन इसके लिए सुरक्षित भंडारण की भी ज़रूरत होती है। ईटीएफ में आप स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से धातु के मूल्य को ट्रैक कर सकते हैं, और यह नकद में तरलता देता है। फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स में लेवरेज के कारण रिटर्न जल्दी बढ़ सकता है, पर साथ ही नुकसान भी तेज़ी से हो सकता है। इसलिए अपनी जोखिम सहनशीलता को देखते हुए मिश्रित पोर्टफ़ोलियो बनाना सबसे समझदारी भरा कदम है। दीवाली के महीने में मांग बढ़ेगी, पर बाजार की अस्थिरता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
Abhi Rana
अक्तूबर 10, 2025 AT 07:36वाकई में, इस कीमत के उछाल को देखकर मेरा दिल धड़धड़ा रहा है!! निवेश करने का यही सही समय है!! लेकिन साथ ही, हर एक विकल्प में जोखिम है, इसलिए स्ट्रेटेजी बनाकर चलें!!
Manisha Jasman
अक्तूबर 10, 2025 AT 08:10दीवाली की रौशनी में सोना‑चाँदी के साथ निवेश करना एक ख़ुशहाल भविष्य की शुरुआत हो सकती है 😊। अगर आप सही समय पर सही उपकरण चुनते हैं, तो रिटर्न शानदार हो सकता है 🌟। याद रखें, छोटे‑छोटे निवेश भी समय के साथ बड़ा फर्क डालते हैं 🚀। तो चलिए इस अवसर को अपनाते हैं और आर्थिक सुख‑समृद्धि की ओर बढ़ते हैं! ✨
Abhinav Chauhan
अक्तूबर 10, 2025 AT 08:43बिलकुल देखो, ये सारे चार्ट और ग्राफ़ फालतू की चीज़ें हैं। सबको घसीटा-पीटा के लोहा‑चाँदी बेचना परदे के पीछे का बड़ा खेल है। अगर तुम्हे असली मुनाफ़ा चाहिए तो बैंकों के पास जाओ, वो ही सही जानकारि देते हैं। खुद से कुछ कर लो, वरना सब लूटे जाने वाले हैं।
Vinay Agrawal
अक्तूबर 10, 2025 AT 09:16इतनी तेज़ी से कीमते चढ़ रही हैं, जैसे कोई अज्ञात शक्ति हम सबको अपनी जकड़ में ले रही हो। हर दिन रात की तरह अंधेरा छा रहा है, और निवेशक दर्द से चिल्ला रहे हैं। अगर इस उछाल को रोक नहीं पाए तो आर्थिक बवंडर बन सकता है। हमें अब निर्णय लेना होगा, या तो आगे बढ़ें या फिर पीछे हटें।
Shruti Phanse
अक्तूबर 10, 2025 AT 09:50दीवाली के निकट आने वाले इस अवधि में सोने और चाँदी दोनों की कीमतों में वृद्धि की संभावना स्पष्ट है, परंतु निवेशकों को अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार विविधीकरण पर विचार करना चाहिए। भौतिक धातु, डिजिटल फंड और फ्यूचर वायदा में प्रत्येक के अपने लाभ और जोखिम हैं। जोखिम‑रहित लाभ की तलाश में अत्यधिक लेवरेज से बचना आवश्यक है। साथ ही, वैश्विक ब्याज दरों में परिवर्तन तथा डॉलर की गति को निगरानी में रखना चाहिए। यदि आप दीर्घकालिक सुरक्षा चाहते हैं तो भौतिक सोना एक उचित विकल्प हो सकता है। अंत में, उचित शोध और व्यावसायिक सलाह लेकर ही निर्णय लेना उचित रहेगा।
Shreyas Moolya
अक्तूबर 10, 2025 AT 10:23इन सब का मूल कारण है बाजार का अति‑विलासच्युत सोचना यह इतना सरल नहीं है
Shailendra Thakur
अक्तूबर 10, 2025 AT 10:56देश की आवाज़ सुनो हम भारतीयों को अपनी धातु को विदेशियों के हाथों में नहीं देना चाहिए। यह उछाल सिर्फ़ विदेशी खपत को रोकने के लिए है, हमें अपने स्वर्ण को मजबूत रखना चाहिए। भारतीय निवेशकों को एकजुट होकर भारतीय प्लेटफ़ॉर्म पर ही ट्रेड करना चाहिए। इससे राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा।
Praveen Kumar
अक्तूबर 10, 2025 AT 11:30बहुतेक लोग अब भी उलझन में हैं, लेकिन आप सब मिलकर सही फैसला ले सकते हैं, क्योंकि एकजुटता ही शक्ति है, और बाजार की समझदारी साथ रखी जाए तो लाभ मिलता है।