हर साल लाखों लोग यौन उत्पीड़न का शिकार होते हैं, चाहे वो ऑफिस में हो, कॉलेज में या सार्वजनिक जगहों पर। अक्सर पीड़ित डर या शर्म के कारण चुप रह जाता है, लेकिन चुप रहना समस्या को और बढ़ा देता है। इस लेख में हम आसान भाषा में बताएँगे कि यौन उत्पीड़न क्या है, इसके संकेत क्या होते हैं, और कब, कैसे मदद लेनी चाहिए।
यौन उत्पीड़न में किसी भी तरह की अनचाही शारीरिक, बौद्धिक या मौखिक हरकत शामिल होती है, जो आपका सम्मान तोड़ती है। इसमें अनचाहा स्पर्श, गंदे मजाक, अनुचित झुकाव, फोटो या वीडियो खींचना, या दाखिला-प्रवेश के बदले यौन favors की मांग शामिल हो सकती है। अक्सर ऐसे व्यवहार दो या तीन बार नहीं, बल्कि लगातार होते हैं, जिससे कार्यस्थल या पढ़ाई का माहौल खराब हो जाता है।
क्या आप कभी ऐसे माहौल में रहे हैं जहाँ किसी ने आपका फ़ोन टैप किया, या निजी सवाल बार‑बार पूछे? यह भी यौन उत्पीड़न के झुकाव का हिस्सा हो सकता है, खासकर अगर वह बात आपका स्पष्ट ‘नहीं’ सुनने के बाद भी दोहराई गई हो।
अगर आपको यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, तो सबसे पहले खुद को सुरक्षित रखें। बचाव के लिए आप तुरंत एक भरोसेमंद दोस्त, परिवार का सदस्य या सहकर्मी को बता दें। यह कदम आपके मन को हल्का करता है और आगे की कार्रवाई में मदद करता है।
1. **साक्ष्य इकट्ठा करें** – मेसेज, ई‑मेल, स्क्रीनशॉट या किसी भी रिकॉर्ड को सुरक्षित रखें। ये बाद में पुलिस या वैचारिक समिति को सबूत देंगे।
2. **आंतरिक शिकायत** – कई कंपनियों, स्कूलों और कॉलेजों में सैक्टर या पॉलीसी के तहत शिकायत करने की व्यवस्था होती है। HR या डिसिप्लिनरी कमिटी से संपर्क करें।
3. **पुलिस रिपोर्ट** – यदि मामला गंभीर है या सुरक्षा खतरे में है, तो तुरंत नजदीकी थाने में FIR दर्ज कराएँ। भारत में यौन उत्पीड़न के लिए महिला सुरक्षा बल (WSF) भी मदद कर सकता है।
4. **कानूनी सलाह** – एक वकील से परामर्श करें जो महिलाओं के अधिकार या कार्यस्थल कानून में विशेषज्ञता रखता हो। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में महिलाएँ कार्यस्थल में ‘व्यवहार के मानक’ (POSH) पेश किया है, जिससे कंपनियों पर दायित्व आता है कि वे सुरक्षित माहौल बनाएं।
सहायता समूह और NGOs भी मदद कर सकते हैं। ‘सैक्शन’ (सुरक्षा और एजुकेशन सेंटर) जैसी संस्थाएँ 24×7 हेल्पलाइन चलाती हैं, जहाँ आप गुप्त रूप से बात कर सकते हैं।
**रोकथाम के छोटे कदम** – अपने आसपास के लोगों को यौन उत्पीड़न के बारे में जागरूक करें, कार्यस्थल में स्पष्ट नीतियाँ बनवाएँ और हर नए कर्मचारी को इन नियमों के बारे में ट्रेनिंग दें। खुद भी सीमाएँ स्पष्ट रूप से बताना जरूरी है; ‘नहीं’ शब्द को स्पष्ट और दृढ़ता से कहें।
अंत में याद रखें, यौन उत्पीड़न आपका व्यक्तिगत फैसला नहीं, बल्कि एक सामाजिक समस्या है। अगर आप या आपका कोई जानकार इसको झेल रहा है, तो आवाज़ उठाएँ। सही कदम उठाने से ना सिर्फ़ आपका खुद का अधिकार बचता है, बल्कि दूसरों को भी सुरक्षित रखने में मदद मिलती है।
आगरा के एक 23 वर्षीय सेल्समैन ने ताजमहल के पास एक चेक महिला टूरिस्ट के साथ छेड़छाड़ और अभद्र व्यवहार किया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर सुराग लगाकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारी ने पीड़िता से माफी मांगी और पुलिस संपर्क बनाए रखने को कहा।
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