व्रत सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है, यह एक पूरी जीवनशैली है। कई बार लोग व्रत शुरू करते‑ही देर से उठते, खाना‑पीना नहीं जानते या नियम तोड़ कर फिर से उलझन में पड़ जाते हैं। इस लेख में मैं आपको सरल और व्यावहारिक तरीके बताने वाला हूँ जिससे आपका व्रत सही ढंग से चलेगा और आप मन‑शरीर दोनों को हल्का महसूस करेंगे।
व्रत का पहला कदम है सही तैयारी। रविवार या सोमवार को जल्दी सोना चाहिए, ताकि सुबह उठते‑ही थकान न रहे। सड़कों की धुली‑धुली हवा, बेडरूम की ठंडी या गर्मी, सबका असर पड़ता है। इसलिए, व्रत से पहले हल्का फिर भी पौष्टिक नाश्ता लें – जैसे उबला अंडा, दही, या एक गुच्छा फल। इससे दिन भर की ऊर्जा बनी रहती है और आपका पेट भी हल्का महसूस करता है।
व्रत के दौरान दो बातों का ख़्याल रखना है – शुद्ध पानी और हल्का भोजन। सोहर के बाद गुनगुना पानी या नारियल पानी पीना बहुत फायदेमंद है; यह शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और पाचन को तैयार करता है। भोजन में लहसुन, कड़वी चीज़ें या बहुत तले‑भुने पदार्थों से बचें, क्योंकि ये पेट में गड़बड़ी कर सकते हैं। दाल, चावल, सब्ज़ी, और हल्की दही की थाली सबसे बेहतर रहती है।
अगर आप उपवास रख रहे हैं तो हवन या घी‑शरबत से शुरुआत करें। एक छोटा गिलास शहद‑नींबू पानी या काली चीनी का शरबत ले सकते हैं – यह फूलों के रस को भी साफ़ करता है और शरीर को संतुलित रखता है। याद रखें, व्रत के दिन अपने हाथों को साफ़ रखें, खाने से पहले अच्छी तरह से धोएँ और दंत स्वास्थ्य के लिए सुगंधित मुँह धोएँ।
व्रत के दौरान खड़े‑खड़े स्ट्रेचिंग या हल्की योग प्रैक्टिस करना भी बहुत मददगार रहता है। इससे शरीर के अंदर रक्त संचार सुधरता है, और ऊर्जा बनी रहती है। अगर शाम को देर तक जागते हैं तो हल्का हलका चलना या घर के काम‑काज कर सकते हैं, ताकि पेट में खून का प्रवाह बना रहे।
अंत में एक छोटी सी बात – व्रत का लक्ष्य मन‑शरीर को शुद्ध करना है, न कि खुद को सताया जाना। अगर कभी हार महसूस हो तो थोड़ी देर के लिए हल्का नाश्ता कर लें, फिर से शुरुआत करें। यही व्रत की असली विधि है – लगातार प्रयास, संतुलित आहार और शुद्ध इरादे के साथ। आशा है अब आप व्रत को बिना कठिनाई के आराम से रख पाएंगे।
देवशयनी एकादशी, जिसे हरिशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और पद्मनाभ एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। 2024 में यह पर्व 17 जुलाई को मनाया जाएगा। यह एकादशी तिथि 16 जुलाई को रात 8:33 बजे से शुरू होकर 17 जुलाई को रात 9:02 बजे समाप्त होगी।