पिछले कुछ हफ्तों में वायनाड में तेज़ बरसात के कारण कई जगहों पर भू‑स्खलन हुए हैं। मॉनसून की अटारी बारिश ने पहाड़ी इलाकों की मिट्टी को अस्थिर कर दिया और कई परिवारों को घर छोड़ने पड़े। अगर आप इस क्षेत्र में रहते हैं या यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिये बहुत काम की होगी।
वायनाड में बाढ़ और भूस्खलन का मुख्य कारण अत्यधिक बारिश, जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, इस साल अगस्त में rainfall में 30% तक वृद्धि हुई, जिससे कई नदियों का जल स्तर अचानक बढ़ गया। उत्तराखंड के छह जिलों में अभी यलो अलर्ट जारी है और वायनाड कई छोटे गाँवों में सबसे अधिक धधकते हुए देखे जा रहे हैं।
सरकार ने तुरंत राहत टीमों को तैनात किया है। डिपार्टमेंट ऑफ डिसास्टर मैनेजमेंट (DDM) ने आपातकालीन शिबिर, जल आपूर्ति और मेडिकल किट्स की व्यवस्था की है। कई NGOs भी भोजन और कपड़े की मदद पहुँचा रहे हैं। अगर आप प्रभावित क्षेत्रों में हैं, तो स्थानीय महालेखा या पृष्ठभूमि के अधिकारी से संपर्क करके सहायता ले सकते हैं।
भूस्खलन के बाद अक्सर मार्ग बंद हो जाते हैं। इसलिए अगर आप यात्रा कर रहे हैं, तो सरकारी वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर रीयल‑टाइम रोड क्लोजर अपडेट देखना न भूलें। कई बार वैकल्पिक रास्ते खुले होते हैं, लेकिन उनका भी हाल चाल देखना जरूरी है।
सुरक्षा के लिहाज़ से कुछ आसान कदम अपनाए जा सकते हैं। सबसे पहले, घर के आसपास की ढलानों को कुदाल या बायो‑बेसिन तकनीक से स्थिर रखें। अगर आपके घर के पास कोई गड़गड़ाहट या ध्वनि आती है, तो तुरंत बाहर निकलें और उच्च स्थान पर जा कर सुरक्षित रहें।
भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए स्थानीय प्रशासन को पहाड़ी क्षेत्रों में सख्त निर्माण नियम लागू करने चाहिए। साथ ही, ग्रामीण लोगों को जलवायु‑सही खेती और वॉटर‑सेवर्स के बारे में जागरूक बनाना जरूरी है।
अगर आप इंसानों की मदद करना चाहते हैं, तो आप स्थानीय राहत शिविरों में स्वयंसेवक बन सकते हैं या दान दे सकते हैं। छोटे‑छोटे कपड़े, भोजन या नकद सहायता तुरंत जरूरतमंदों तक पहुँचती है।
अंत में, याद रखें कि मॉनसून के महीनों में हमेशा सतर्क रहें। मौसम विभाग की अलर्ट सुनें, सोशल मीडिया पर अपडेट फॉलो करें और अपने परिवार को भी जानकारी दें। छोटे‑छोटे कदम बड़ी बचाव कहानी बन सकते हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने वायनाड भूस्खलन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दावों को खारिज किया है। विजयन ने कहा कि आईएमडी ने प्रारंभिक चेतावनी दी थी, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी। भूस्खलन 30 जुलाई को हुआ और उससे पहले लाल अलर्ट जारी नहीं किया गया था।