अगर आप उत्तराखंड की यात्रा की योजना बना रहे हैं तो तुंगभद्रा बांध पर एक झलक ज़रूर डालें। यह बांध न सिर्फ जल आपूर्ति का स्रोत है, बल्कि यहाँ का कुरुप बॉलकडंर व ग्रीनरी भी दिल को छू लेता है। इस लेख में हम तुंगभद्रा बांध के बारे में आसान शब्दों में बताएँगे – कब बना, क्यों बना, यहाँ क्या देख सकते हैं और सुरक्षा के लिए क्या करना चाहिए।
तुंगभद्रा बांध का निर्माण 1970 के दशक में शुरू हुआ था, जब उत्तराखंड सरकार ने पानी की कमी को दूर करने के लिए बड़े जलसंचयन प्रोजेक्ट की योजना बनाई थी। मुख्य रूप से दो कारण थे – पीने के पानी की उपलब्धता बढ़ाना और जलविद्युत निर्माण के लिए पर्याप्त पानी संचित करना।
बांध के पीछे स्थित तुंगभद्रा नदी, पहाड़ी धारा होने के कारण थोड़ी देर में बहुत पानी ले आती है। इस पानी को बांध में जमा करके आस‑पास के गांवों और शहरों को निरंतर पानी मिल पाता है। साथ ही, बांध से जुड़ी टर्बाइन से लगभग 15 मेगावॉट बिजली पैदा होती है, जो स्थानीय ग्रिड को सप्लाई करती है।
बांध के निर्माण में स्थानीय लोग भी भाग लेते रहे, इसलिए आज के लोग इसे अपना घर मानते हैं। इस कारण से बांध के आसपास कई छोटे पुल, सड़कों और व्यावसायिक दुकानें भी उभरी हैं।
तुंगभद्रा बांध एक शांति भरा पिकनिक स्पॉट है। यहाँ का पानी साफ़ और ठंडा है, और किनारे पर छोटे‑छोटे बेंच और जॉगिंग ट्रैक बने हैं। सुबह के समय धुंध में घिरी हुई दृश्य और शाम को सूर्य की किरणें पानी में चमकती हैं, तो फोटो खींचना यादगार बन जाता है।
पर्यटकों को सुझाव है कि सनस्क्रीन, टोपी और पर्याप्त पानी साथ रखें, क्योंकि यहाँ की ऊँचाई पर धूप तेज़ होती है। यदि आप बच्चों के साथ आए हैं तो सुरक्षा जाल वाले क्षेत्रों में ही खेलें, क्योंकि बांध का किनारा कभी‑कभी फिसलन भरा हो सकता है।
बांध के पास एक छोटी सी सीढ़ी है जिससे आप जलस्तर को देख सकते हैं। यहाँ के स्थानीय गाइड आपको जल प्रबंधन के बारे में भी छोटी‑छोटी जानकारी देंगे, जैसे कैसे बारिश के पानी का उपयोग किया जाता है और बाढ़ नियंत्रण के लिए कौन‑से उपाय किए जाते हैं।
यदि आप बड़े जलस्रोत के पास ट्रैकिंग करना चाहते हैं तो स्थानीय पर्यटन विभाग से अनुमति लेनी चाहिए। यह जगह अक्सर पक्षियों की विविधता दिखाती है, इसलिए बर्डवॉचर यहां का आनंद ले सकते हैं।
कुल मिलाकर तुंगभद्रा बांध न सिर्फ जल की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि एक सुंदर यात्रा स्थल भी है। यहाँ आने वाले लोग पानी, प्रकृति और स्थानीय संस्कृति का संतुलन महसूस करते हैं। अगली बार जब आप उत्तराखंड में हों, तो इस जगह को अपनी लिस्ट में जोड़ें और यादगार पलों का आनंद लें।
कर्नाटक के तुंगभद्रा बांध में गेट नंबर 19 के टूट जाने से तेलंगाना में चिंता की लहर दौड़ गई है। यह घटना उस वक्त हुई जब शनिवार रात को चेन लिंक टूट गया, जिससे गेट बह गया। इससे कृष्णा नदी के निचले हिस्से में अलर्ट जारी किया गया है।