जब बात ट्रेकिंग, पैदल पहाड़ों, वनक्षेत्रों या अन्य कठिन भू‑भागों में चलकर प्राकृतिक सुंदरता को करीब से महसूस करने की सक्रिय यात्रा. Also known as हाइकिंग, it शारीरिक फिटनेस, मानसिक शांति और रोमांच की तिकड़ी प्रदान करता है। ट्रेकिंग केवल कोई शौक नहीं, बल्कि एक सीख है – सही योजना, उचित गियर और सुरक्षा पर ध्यान देना ज़रूरी है। यही कारण है कि कई लोग इसे जीवनशैली बना लेते हैं।
एक सफल ट्रेक में ट्रेकिंग गियर, ड्रैगन‑स्टाइल बैकपैक, वाटर‑प्रूफ जूते, हाइड्रेशन सिस्टम और मल्टी‑टूल जैसे उपकरण का चयन प्रमुख भूमिका निभाता है। सही उपकरण न केवल आराम देता है, बल्कि अप्रत्याशित मौसम या चोटों से बचाव भी करता है। साथ ही, सुरक्षा गाइड, पहले से तैयार रूट मैप, स्थानीय ट्रेल जानकारी और आपातकालीन संपर्क सूची की मौजूदगी ट्रेक की सफलता को सुनिश्चित करती है। यदि आप ट्रेल में अनभवित जोखिमों से बचना चाहते हैं, तो इन दो तत्वों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
भारत के प्राकृतिक स्थल, हिमालय की बर्फीली चोटियाँ, पश्चिमी घाट की हरे‑भरे घाटियाँ और राजस्थान के रेगिस्तान के ओएसिस विभिन्न कठिनाई स्तर के ट्रेल्स प्रदान करते हैं। प्रत्येक स्थल का मौसम, भू‑रचना और वन्यजीवन अलग‑अलग अनुभव देता है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड की ट्रेकिंग सर्दियों में बर्फ़ीले द्रिश्यों के साथ चुनौती प्रस्तुत करती है, जबकि कोलकाता के पास स्थित दुर्गा पहाड़ी वर्षा के बाद हरे‑भरे रास्ते देती है। स्थानीय ट्रैवल कम्युनिटी अक्सर फ्री क्लासेस, कार्यशालाएँ और समूह ट्रेक्स आयोजित करती है, जिससे आप अनुभवियों से सीख सकते हैं, साथ ही नई दोस्ती भी बनाते हैं।
ट्रेकिंग का एक और महत्वपूर्ण पहलू है ट्रैकिंग के स्वास्थ्य लाभ। हल्की‑फुल्की पैदल यात्रा हृदय रोग, मोटापा और स्ट्रेस को कम करती है, जबकि लंबी दूरी की ट्रेकिंग मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति बढ़ाती है। इसलिए, चाहे आप दैनिक जिम के शौकीन हों या प्रकृति के दीवाने, ट्रेकिंग को अपनी रूटीन में शामिल कर सकते हैं। अब नीचे आप ट्रेकिंग से जुड़ी ताज़ा खबरें, गियर रिव्यू, सुरक्षा टिप्स और भारत के बेहतरीन ट्रेल्स के अपडेट देख पाएँगे, जो आपके अगले साहसिक सफर को और रोमांचक बनाएँगे।
उत्ताखंड के चमोली में भारी बरसात‑बर्फ के कारण 6‑7 अक्टूबर ट्रेकिंग बंद, अधिकारी रिफंड व सुरक्षा चेतावनी जारी।