सिख धर्म: क्या है, क्यों महत्वपूर्ण है और परीक्षा में कैसे मदद मिलती है?

सिख धर्म भारत के उत्तर प्रदेश और पंजाब में 15वीं शताब्दी में शुरू हुआ। अगर आप प्रतियोगी परीक्षा पढ़ रहे हैं तो सिख धर्म की बेसिक जानकारी रखने से इतिहास, धर्म और भारतीय संस्कृति वाले सेक्शन में आसानी होती है। आइए जानते हैं सिख धर्म का संक्षिप्त इतिहास और उसके मुख्य सिद्धांत।

सिख धर्म का संक्षिप्त इतिहास

सिख धर्म का संस्थापक गुरु नानक देव जी (1469‑1539) थे। उन्होंने 1469 में तलवंडी (अब नानकाना Sahib) में जन्म लिया। उनके पास लगभग 30 साल का समय था जब उन्होंने अपना पहला उपदेश दिया। गुरु नानक ने इक ओंकार आदि मूल मंत्रों को लिखा, जिससे सिख धर्म एक एकेश्वरवादी धर्म बन गया।

उनके बाद नौ गुरुओं ने क्रमशः इस धर्म को आगे बढ़ाया। हर गुरु ने पिछले गुरु की सीख को नया रूप दिया, लेकिन मूल बात वही रही – इमानदारी, ईश्वरभक्ति और मानवीय सेवाकार्य। दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी, ने 1699 में पाँच कोलेर (पाँच किल), यानी पंक्तियों में पाँच स्वर्णिक कवच बनाए और खालसा पंथ की स्थापना की। खालसा का उद्देश्य न सिर्फ आध्यात्मिक विकास बल्कि सामाजिक न्याय भी था।

मुख्य सिद्धांत और रोज़मर्रा की प्रैक्टिस

सिख धर्म के तीन मुख्य सिद्धांत हैं: नाम जपना (ध्यान), कर्म करवाना (सेवा) और वंदे गुर हु (गुरु का अनुसरण)। इनका मतलब है रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में ईश्वर को याद रखना, दूसरों की मदद करना और गुरु की शिक्षाओं को अपनाना।

सिख धर्म में पाँच कबीले (पाँच किल) होते हैं: केश (बाल), कड़ा (लोहे की कलाईबंद), किरपान (कपड़े की पैंट), कत्रा (छोटी तलवार) और कंघा (कंघी)। ये सभी किल सिख को शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाते हैं। परीक्षा की तैयारी में अगर आप इन किलों को याद रखेंगे तो इतिहास और धर्म शास्त्र में आसानी से प्रश्न हल कर पाएँगे।

सरगोशी (धर्मग्रंथ) गुरु ग्रंथ साहिब जी है। इसमें 1430 पृष्ठों में सिख धर्म की सीख, अद्भुत कविताएँ और नीतियां लिखी गई हैं। परीक्षा में अक्सर गुरु ग्रंथ साहिब के प्रमुख श्लोक या उनके अर्थ पूछे जाते हैं, इसलिए मुख्य श्लोक जैसे "एक ओंकार सतनाम" और उनका महत्व याद रखें।

सिख धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार गुड़ जूड़ा का पंचमी है, लेकिन विवाह और भोले-भले दिन भी बड़े महत्व के हैं। यदि आप इस बात को याद रखें कि सिख धर्म में सम्पूर्णता और समानता को बहुत महत्व दिया जाता है, तो सामाजिक विज्ञान या सामाजिक सुधार पर प्रश्नों का जवाब देना आसान रहेगा।

अंत में, अगर आप सिख धर्म के बारे में बात करते समय आसान शब्दों में समझाएँ तो परीक्षक भी आपको पसंद करेंगे। "सिख" शब्द का मूल अर्थ है "शिष्य" या "सिखने वाला"। यह दर्शाता है कि सिख धर्म हमेशा सीखने और सुधारने की प्रक्रिया पर ज़ोर देता है। यह बात याद रखें और आप परीक्षा में इस विषय को आसानी से कवर कर सकते हैं।

राधा स्वामी सत्संग ब्यास के नए प्रमुख बने जसदीप सिंह गिल
राधा स्वामी सत्संग ब्यास के नए प्रमुख बने जसदीप सिंह गिल

2 सितंबर, 2024 को गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने जसदीप सिंह गिल को राधा स्वामी सत्संग ब्यास के नए प्रमुख के रूप में नियुक्त किया। 45 वर्षीय गिल, जो एक रिटायर्ड आर्मी कर्नल के बेटे हैं, 30 वर्षों से डेरा से जुड़े हुए हैं। वे एक केमिकल इंजीनियरिंग के पीएचडी होल्डर हैं और उन्होंने कई बड़े कंपनियों के लिए कार्य किया है।

आगे पढ़ें →