जब बात Sensex, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 प्रमुख कंपनियों का दिखाने वाला सूचकांक है. BSE Sensex की चर्चा होती है, तो अक्सर Nifty 50, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का 50‑स्टॉक परिधान और IPO, नयी कंपनियों का शेयर बाजार में प्रवेश का भी जिक्र होना अनिवार्य है। ये तीनों मिलकर बाजार की दिशा तय करते हैं, जिससे निवेशकों को असली मौका मिलता है।
आज हम Sensex की हालिया प्रवृत्तियों और उसके असर को समझेंगे। सोने और चांदी की कीमतों में किसी भी तरह का उतार‑चढ़ाव अक्सर Sensex को समर्थन या विरोध देता है, क्योंकि कई बड़ी धातु‑उपभोक्ता कंपनियों के शेयर इस सूचकांक में शामिल होते हैं। इसी क्रम में, अदानी पावर ने 1:5 स्टॉक स्प्लिट, किसी कंपनी के शेयर की कीमत घटाकर सौदा बढ़ाने की प्रक्रिया लागू किया, जिससे शेयरों की तरलता बढ़ी और निवेशकों की रुचि फिर से जाग गई। ऐसे कदमों को देख कर बाजार विशेषज्ञ अक्सर भविष्य के इंडेक्स मूवमेंट का अनुमान लगाते हैं।
जब नया IPO लॉन्च होता है, तो उस कंपनी के क्षेत्र को देखकर Sensex में थोड़ी सी गति आ सकती है। उदाहरण के तौर पर, टाटा कैपिटल के बड़े आकार के IPO ने साक्षी शेयरों में उच्च मांग देखी और इससे पूँजी बाजार में भरोसा बढ़ा। इसी तरह, अगर कोई बड़े धातु उत्पादन या फ़िन‑टेक कंपनी अपना स्टॉक पेश करती है, तो दोनों – सोना‑चांदी की कीमत और Sensex दोनों पर असर पड़ता है। इस कारण निवेशक अक्सर अपने पोर्टफ़ोलियो को सेक्टर‑आधारित विविधता से सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं।
इन संबंधों को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि Sensex सिर्फ एक नंबर नहीं, बल्कि विभिन्न आर्थिक कारकों की संयुक्त कहानी है। आप नीचे दी गई लेखों में देखेंगे कि कैसे IPO, स्टॉक स्प्लिट, धातु कीमतें और अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ इस सूचकांक को बदलती हैं। इस ज्ञान से आप अपने निवेश की रणनीति को बेहतर बना सकते हैं और बाजार के उतार‑चढ़ाव को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं।
25 जुलाई 2025 को भारतीय शेयर बाजार में तेज़ गिरावट आई। Sensex 721 अंकों (0.88%) गिरकर 81,463.09 पर बंद हुआ, जबकि Nifty 225 अंकों (0.90%) घटकर 24,837 पर समाप्त हुआ। बैजाज फाइनेंस व फिनसर्व ने लगभग 5% तक गिरावट दर्ज की, और अधिकांश सेगमेंट निचे थे, सिवाय फ़ार्मा के। India VIX 5% से ऊपर बढ़ा, जिससे बाजार में अनिश्चितता साफ़ है। तकनीकी विश्लेषकों ने समर्थन स्तरों के टूटने पर आगे की गिरावट की आशंका जताई।