राहुल गांधी का नाम सुनते ही कई लोग कांग्रेस, धूप-छाँव वाली राजनीति और देश के भविष्य की बहस याद करते हैं। आप भी सोचते हैं कि आज के भारत में उनका असर कितना है? चलिए, उनके शुरुआती चरणों से लेकर अब तक की प्रमुख घटनाओं को सरल भाषा में देखते हैं।
राहुल गांधी का जन्म 19 जून 1970 को नई दिल्ली में हुआ था। वह भारत की प्रमुख राजनैतिक परिवार, नेहरू‑गाँधी वंश, में जन्मे थे। उनकी पढ़ाई वापस भारत में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी हुई—ऑक्सफ़ोर्ड में सिविल सर्विस की तैयारी और फिर केंब्रिज में पॉलिटिकल सायंस। यह शैक्षिक पृष्ठभूमि उनके विचारों में एक अलग परिप्रेक्ष्य लाती है, जो बाद में कांग्रेस के मंच पर साफ़ दिखा।
1998 में उन्होंने पहली बार सार्वजनिक रूप से राजनीति में कदम रखा, लेकिन 2004 में ही उन्होंने लंदन से लौट कर लोकसभा में अपने पिता सोनिया गांधी के बाद अनुक्रमण किया। तब से वह पार्टी के मुख्य चेहरों में से एक बन गए। उन दिनों उनका सबसे बड़ा उद्देश्य था किसानों, युवा और छोटे उद्यमियों को सरकार की नीतियों से जोड़ना।
कांग्रेस के युवा मोर्चे के नेता के रूप में उन्होंने कई बड़े जन आंदोलन आयोजित किए। 2010 में ‘विद्रोह आंदोलन’ और 2013 में ‘जनधन योजना’ जैसी पहलें उनके नाम पर ही आईं। उनके समर्थन से कई राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार की पहल तेज़ी से आगे बढ़ी। विशेषकर उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में उन्होंने आधारभूत संरचना विकास के लिए केंद्र सरकार से फंडिंग ली।
2023‑24 में उन्होंने ‘लोक जाँच एजेंडा’ लॉन्च किया, जिसका मुख्य लक्ष्य भ्रष्टाचार को उजागर करना और पारदर्शिता बढ़ाना था। कई रिपोर्टों में उनका नाम सर्वे में “जनता के भरोसे वाला नेता” कहा गया। यह भरोसा उनके व्यक्तिगत प्रतिमान को भी मजबूत करता है, भले ही पार्टी को अस्थिरता का सामना करना पड़ा हो।
अब 2025 के लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं। सवाल यह है कि राहुल गांधी किस तरह इस बार की राजनीति को प्रभावित करेंगे? उनका मानना है कि देश को ‘विकास की नई दिशा’ चाहिए, जो सिर्फ बड़े शहरों में नहीं बल्कि गाँव‑गाँव तक पहुँचे। उनका अभियान तेज़ी से डिजिटल मार्केटिंग, सोशल मीडिया और युवाओं के बीच प्रत्यक्ष संवाद पर आधारित है।
उनकी टीम ने कहा है कि 2025 की चुनावी रणनीति में ‘स्थानीय मुद्दे, राष्ट्रीय दृख़्टिकोण’ को एक साथ जोड़ेंगे। वे आज के प्रमुख मुद्दों—बढ़ती महंगाई, बेरोज़गारी, जलवायु परिवर्तन—पर स्पष्ट नीतियों की पेशकश कर रहे हैं। अगर यह योजना सफल रही, तो कांग्रेस को फिर से केंद्र में आने का मौका मिल सकता है।
अंत में, राहुल गांधी के बारे में एक बात साफ़ है: वह हमेशा विवादों के बीच रहकर भी अपने विचारों को सामने रखता है। चाहे वह संसद में सवाल पूछना हो या जन सभा में भाषण देना, उनका स्टाइल सीधे‑साधे प्रश्नों पर केंद्रित रहता है। अगर आप राजनीति में रूचि रखते हैं, तो यह टैग पेज आपको उनकी सभी ताज़ा खबरों, विश्लेषण और महत्वपूर्ण लेखों तक ले जाएगा—सब एक ही जगह, बिना किसी झंझट के।
2024 के भारतीय आम चुनाव की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए, मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगर कांग्रेस बहुमत हासिल करती तो राहुल गांधी प्रधानमंत्री बन सकते थे। खड़गे ने चुनाव परिणामों पर विचार करते हुए कहा कि कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनावों से बेहतर था। वहीं भाजपा बहुमत से चूक गई, लेकिन एनडीए ने सहयोगियों के समर्थन से बहुमत हासिल किया।