हर भारतीय को अपनी पूजा‑पाठ में सही समय चाहिए होता है। लेकिन कई बार लगता है कि मुहूर्त बहुत जटिल है। असल में यह सिर्फ सूर्य‑चंद्र की स्थिति और कुछ सरल नियमों पर निर्भर करता है। इस लेख में मैं आपको बताऊँगा कि 2025 में कौन‑से समय सबसे अनुकूल हैं, और रोज़‑रोज़ की पूजा में इसे कैसे लागू करें।
दैनिक पूजा में सबसे आसान तरीका है सूर्योदय से दो घंटे के भीतर या सूर्यास्त के बाद के दो घंटे में पूजा करना। इस समय में शुद्ध ऊर्जा का प्रवाह ज्यादा रहता है, जिससे मन और शरीर दोनों शांत होते हैं। 2025 में सूर्योदय का समय अक्सर 5:30‑6:00 बजे के बीच रहता है, तो आप अपना प्रातः पूजा 6:00‑8:00 बजे के बीच रख सकते हैं। यदि आप शाम को पूजा करना पसंद करते हैं, तो 18:00‑20:00 बजे का समय बहुत ही शुभ माना जाता है।
एक और प्रभावी तरीका है पंचांग देखना। अगर आपका घर या स्थानीय मंदिर में पंचांग उपलब्ध है, तो उसमें ‘अपराह्न’ (बाद दोपहर) और ‘प्रातःकाल’ में ‘अघु’ या ‘दुहिता’ मुहूर्त देख सकते हैं। ये समय विशेष रूप से ग्रहण, नवज्योतिष और अन्य लघु‑सम्प्रदायिक अनुष्ठानों के लिए बढ़िया होते हैं।
शिवरात्रि, दुर्गा पूजा, राम नवमी, आदि बड़े त्यौहारों पर सही मुहूर्त चुनना थोड़ा और ध्यान मांगता है। इन दिनों के लिए पंचांग के ‘शुभ समय’ विभाग में ‘अश्विन’, ‘भाद्रा’, ‘कृतिक’ जैसे नक्षत्रों के दिन देखें। उदाहरण के लिये, 2025 में दुर्गा पूजा का प्रमुख दिन 22 अक्टूबर को ‘शुभ दशा’ में है, और इस दिन सुबह 7:45 बजे से 9:15 बजे तक का समय सबसे अनुकूल माना जाता है।
यदि आप कोई व्यक्तिगत समारोह जैसे ‘गृह प्रवेश’ या ‘विवाह’ कर रहे हैं, तो ‘विवाह मुहूर्त’ या ‘गृह प्रवेश मुहूर्त’ सही चुनना जरूरी है। इसके लिए आप किसी ज्योतिषी से परामर्श कर सकते हैं या ऑनलाइन मुहूर्त कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं। बहुत लोग ‘बुध ग्रह’ के ‘त्रिकोण’ (Triangulation) वाले समय को पसंद करते हैं क्योंकि यह संवाद और समझ को बढ़ाता है।
एक आसान तरीका है दो‑तीन घंटे पहले से ही मंदिर या घर की साफ़‑सफ़ाई कर लेना, फिर तय किए हुए शुभ समय पर पूजा शुरू करना। इससे आपका मन भी शांति पाता है और निकटता से भगवान का आशीर्वाद मिलता है। याद रखें, विचार‑संकल्प के साथ किया गया कोई भी अनुष्ठान ही प्रभावी होता है, मुहूर्त चाहे जैसा भी हो।
अंत में, अगर आप नियमित रूप से अपने घर में पूजा‑पाठ करते हैं, तो एक छोटा ‘पवित्र कैलेंडर’ बनाइए जिसमें हर दिन का शुभ समय लिखा हो। इससे आप कभी भी भ्रमित नहीं होंगे और हर रोज़ सही मुहूर्त पर अपने देवताओं से जुड़ पाएँगे। भरोसा रखें, सही मुहूर्त आपके मन‑सुख को बढ़ाता है और आपके कार्यों में सकारात्मक ऊर्जा भर देता है।
देवशयनी एकादशी, जिसे हरिशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और पद्मनाभ एकादशी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। 2024 में यह पर्व 17 जुलाई को मनाया जाएगा। यह एकादशी तिथि 16 जुलाई को रात 8:33 बजे से शुरू होकर 17 जुलाई को रात 9:02 बजे समाप्त होगी।