प्रताप जयंती: महाराणा प्रताप की वीरता और उत्सव की रंगीन झलक

आपने कभी सोचा है कि भारत के सबसे बड़े राजपूत शौर्यशाली योद्धा का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है? हर साल 5 अक्टूबर को मनाई जाने वाली प्रताप जयंती में इतिहास, संगीत, नृत्य और गाँव‑शहर की छटा दिखती है। इस लेख में हम बताएँगे कि यह त्यौहर क्यों खास है, कैसे मनाते हैं और इस दिन के पीछे कौन‑सी कहानियाँ छिपी हैं।

महाराणा प्रताप का इतिहास – क्यों है ये दिन इतना महत्वपूर्ण?

महाराणा प्रताप (1540‑1597) मewar के उदयपुर राज्य के राजा थे। वह अपने दृढ़ संकल्प, स्वतंत्रता के प्रेम और चित्तौड़ पर मुगलों से लड़ी जीत के लिये जाने जाते हैं। उनका नाम सुनते ही "जंगली हाथी" की याद आती है, जो हमेशा अपनी धरती बचाने के लिये लड़ता रहा। प्रताप जयंती सिर्फ उनका जन्मदिन नहीं, बल्कि उनके साहस और राष्ट्रीयता की याद दिलाने वाला दिन है।

राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री और कई इतिहासकार हर साल इस मौके पर उनके योगदान पर प्रकाश डालते हैं। स्कूल‑कॉलेज में विशेष व्याख्यान होते हैं, जहाँ बच्चे प्रताप जी के जीवन से प्रेरणा लेते हैं। इस तरह का शैक्षिक पहलू युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाता है।

उत्सव की तैयारियां और खास परम्पराएं

राजस्थान में प्रताप जयंती का माहौल अलग ही रंग ले लेता है। जयपुर, उदयपुर, जोधपुर में राजस्थानी कवि‑गायक ‘बैंडाशा’ और ‘भांगड़ा’ इकट्ठा होते हैं। उनके गानों में प्रताप जी की वीरता का जिक्र होता है, जिससे भीड़ नाचते‑गाते हुए माहौल बना देती है।

स्थानीय कारीगर विशेष रूप से ‘भुजिया’ और ‘गाजर हलवा’ जैसे पारम्परिक व्यंजन तैयार करते हैं। इन पकवानों की खुशबू से हर घर में उत्सव की झलक मिलती है। गाँव‑गाँव में झुंड‑जुलूस निकले, जहाँ लोग किले की प्रतिकृति बनाकर पदक‑फ़्लैग ले कर चलते हैं। छोटे‑छोटे बच्चे हाथों में ध्वज लेकर, प्रताप जी के किले की नक्काशी वाले मॉडल के पास खड़े होते हैं।

यदि आप इस जयंती को बाहर से देखना चाहते हैं, तो आपको बस दो चीज़ें याद रखनी होंगी: पहले, स्थानीय समय‑सारिणी के अनुसार मुख्य समारोहों में भाग लें, और दूसरे, प्रताप जयंती के अवसर पर आयोजित ‘इतिहास मेले’ में जा कर प्राचीन हथियार, कवच और पेंटिंग देखें। ये सब चीज़ें आपको इतिहास के जीवंत अनुभव से रूबरू कराएंगी।

अंत में, अगर आप अपने घर में ही जश्न मनाना चाहते हैं, तो अपने बच्चों को प्रताप जी के शौर्य पर छोटे‑छोटे नाटक करवा सकते हैं। ऐसा नाटक न सिर्फ उन्हें इतिहास की जानकारी देगा, बल्कि रचनात्मकता भी बढ़ाएगा।

तो इस 5 अक्टूबर को, चाहे आप राजपूत खानदान से हों या नहीं, प्रताप जयंती का मतलब सिर्फ एक तिथि नहीं है—यह एक भावना है, जो हमारे दिल में साहस और स्वतंत्रता की आवाज़ को ज़िंदा रखती है।

चित्तौड़गढ़ में धूमधाम से मनाई गई प्रताप जयंती: निकाली गई वाहन रैली
चित्तौड़गढ़ में धूमधाम से मनाई गई प्रताप जयंती: निकाली गई वाहन रैली

चित्तौड़गढ़ में 9 जून 2024 को महाराणा प्रताप की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित वाहन रैली का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों और लोक कलाकारों ने भाग लिया और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। घटना का उद्देश्य महाराणा प्रताप की वीरता और बलिदान को स्मरण करना और राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना था।

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