जब आप शेयर या बॉन्ड खरीदते हैं, तो पहली चीज़ जो देखनी चाहिए, वह है इसका फेस वैल्यू या नाममात्र मूल्य। यही वह राशि है जो जारीकर्ता ने मूल रूप से तय की होती है। अधिकांश लोग इसे महँगा या महत्त्वपूर्ण समझते हैं, लेकिन असल में यह सिर्फ एक आधार बिंदु है।
फेस वैल्यू को समझना आसान है अगर आप एक सिक्का या नोट देखते हैं। एक ₹100 का नोट उसकी फेस वैल्यू ₹100 ही होती है, चाहे बाजार में इसका वास्तविक मूल्य थोड़ा अलग हो। शेयर में भी ऐसा ही होता है। अगर कोई कंपनी एक शेयर ₹10 के फेस वैल्यू के साथ जारी करती है, तो वह ₹10 ही दिखाता है, चाहे बाजार में वह शेयर ₹150 या ₹5 पर ट्रेड कर रहा हो।
बॉन्ड का केस भी वैसा ही है। एक बॉन्ड ₹1,000 के फेस वैल्यू पर जारी होता है और परिपक्वता पर वही ₹1,000 ही प्लेटफॉर्म पर वापस मिलता है, साथ में ब्याज भी। इसलिए निवेशकों को यह जानना जरूरी है कि फेस वैल्यू क्या है, ताकि वे अपनी आय और जोखिम को सही ढंग से आंक सकें।
फेस वैल्यू कई जगहों पर काम आती है:
ध्यान रखें, फेस वैल्यू का बाजार में उतना प्रभाव नहीं होता जितना बाजार मूल्य (मार्केट प्राइस) का होता है। शेयर की कीमत कई कारणों से बदलती है—कंपनी की कमाई, आर्थिक माहौल, उद्योग की स्थिति आदि। इसलिए केवल फेस वैल्यू देखकर निवेश नहीं करना चाहिए।
अगर आप अभी निवेश शुरू कर रहे हैं, तो सबसे पहला कदम है कंपनी या बॉन्ड की वित्तीय रिपोर्ट पढ़ना, उनके फेस वैल्यू को समझना, और फिर बाजार मूल्य के साथ तुलना करना। इससे आप यह तय कर पाएंगे कि शेयर महँगा है या सस्ता, और बॉन्ड पर मिलने वाला रिटर्न आपके लक्ष्य के अनुसार है या नहीं।
संक्षेप में, फेस वैल्यू एक स्थिर आंकड़ा है जो शेयर और बॉन्ड के मूल मूल्य को दर्शाता है। यह कई वित्तीय गणनाओं में आधार बनता है, लेकिन निवेश निर्णय लेते समय इसे अकेले नहीं देखना चाहिए। बाजार की वास्तविक कीमत, कंपनी की वित्तीय स्थिति, और आपके निवेश लक्ष्य को मिलाकर ही सही कदम उठाएँ।
अदाणी पावर ने पहली बार 1:5 स्टॉक स्प्लिट मंजूर किया है। ₹10 का फेस वैल्यू घटकर ₹2 होगा और हर 1 शेयर पर 5 शेयर मिलेंगे। रिकॉर्ड डेट 22 सितंबर 2025 तय है, जबकि 19 सितंबर 2025 तक शेयर रखने वालों को लाभ मिलेगा। अतिरिक्त शेयर 2-3 ट्रेडिंग दिनों में क्रेडिट होंगे। कदम का लक्ष्य लिक्विडिटी बढ़ाना और रिटेल निवेशकों की पहुंच आसान करना है।