Adani Power stock split: बोर्ड ने 1:5 स्प्लिट मंजूर, हर 1 शेयर पर 5 शेयर मिलेंगे

Adani Power stock split: बोर्ड ने 1:5 स्प्लिट मंजूर, हर 1 शेयर पर 5 शेयर मिलेंगे

सितंबर 20, 2025 shivam sharma

1:5 स्टॉक स्प्लिट: अदाणी पावर ने पहली बार बड़ा कदम उठाया

अदाणी पावर लिमिटेड ने अपने शेयरधारकों के लिए एक अहम कॉर्पोरेट ऐक्शन का ऐलान किया है। कंपनी के बोर्ड ने 1:5 के अनुपात में Adani Power stock split को मंजूरी दे दी है। मतलब, जिनके पास अभी 1 शेयर है, स्प्लिट के बाद उन्हें कुल 5 शेयर मिलेंगे। साथ ही, हर इक्विटी शेयर का फेस वैल्यू ₹10 से घटकर ₹2 हो जाएगा। इससे शेयरों की संख्या पांच गुना बढ़ेगी, जबकि निवेश का कुल मूल्य तुरंत नहीं बदलेगा।

कंपनी ने 22 सितंबर 2025 को रिकॉर्ड डेट (और कंपनी के मुताबिक यही एक्स-डेट भी) तय किया है। जो निवेशक 19 सितंबर 2025 तक (कुम-डेट) शेयर अपने डीमैट में रखेंगे, वे स्प्लिट के हकदार होंगे। योग्य निवेशकों के खातों में अतिरिक्त शेयर रिकॉर्ड डेट के 2-3 ट्रेडिंग दिनों के भीतर क्रेडिट कर दिए जाएंगे।

यह कंपनी के इतिहास में पहला स्टॉक स्प्लिट है। वक्त भी दिलचस्प है—पिछले महीनों में स्टॉक ने नई ऊंचाइयां छुई हैं और ब्रोकरेज हाउसों की रेटिंग्स में टोन सकारात्मक दिखी है। ऐसे माहौल में स्प्लिट लिक्विडिटी बढ़ाने और छोटे निवेशकों की एंट्री आसान करने का संकेत देता है।

जरूरी बात: स्प्लिट से कंपनी का मार्केट कैप नहीं बदलता। शेयरों की संख्या बढ़ती है, तो कीमत गणितीय रूप से समायोजित हो जाती है। मान लीजिए आपके पास 100 शेयर हैं; स्प्लिट के बाद वे 500 हो जाएंगे। अगर स्प्लिट से पहले कीमत X थी, तो बाद में यह लगभग X/5 के आसपास एडजस्ट हो जाती है।

  • स्प्लिट रेशियो: 1:5
  • फेस वैल्यू: ₹10 से घटकर ₹2
  • रिकॉर्ड डेट: 22 सितंबर 2025 (कंपनी के अनुसार यही एक्स-डेट)
  • कुम-डेट: 19 सितंबर 2025 तक शेयर होल्ड करें
  • क्रेडिट टाइमलाइन: रिकॉर्ड डेट के 2-3 ट्रेडिंग दिनों में
निवेशकों के लिए इसका मतलब क्या है

निवेशकों के लिए इसका मतलब क्या है

सीधी भाषा में, स्प्लिट से शेयर की “यूनिट कीमत” कम हो जाती है। इससे ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ता है और बिड-आस्क स्प्रेड अक्सर संकरा होता है। यही वजह है कि कई कंपनियां तब स्प्लिट करती हैं, जब शेयर की कीमत ऊंची हो जाती है और छोटे टिकट साइज वाले निवेशकों के लिए एंट्री मुश्किल लगने लगती है।

स्प्लिट का असर आपके पोर्टफोलियो पर कैसे दिखेगा? एक उदाहरण देखें। मान लीजिए, आपके पास 100 शेयर हैं और शेयर का भाव स्प्लिट से पहले ₹5,000 था। आपकी कुल होल्डिंग ₹5,00,000 हुई। स्प्लिट के बाद आपके पास 500 शेयर होंगे और भाव गणितीय रूप से लगभग ₹1,000 के आसपास एडजस्ट होगा। कुल वैल्यू फिर भी लगभग ₹5,00,000—यानि पहले दिन, वैल्यू में कोई जादुई बढ़त नहीं, सिर्फ यूनिट्स बढ़ गईं।

अर्निंग्स पर-शेयर (EPS) और बुक वैल्यू पर-शेयर स्प्लिट के अनुपात में घटते हैं, जबकि P/E, P/B जैसे रेशियो आम तौर पर बदले बिना रहते हैं। इसी तरह, अगर कंपनी डिविडेंड देती है, तो प्रति शेयर राशि कम हो सकती है पर कुल डिविडेंड रकम स्प्लिट के तुरंत बाद के समय में समान रहने की प्रवृत्ति रहती है—क्योंकि आपके पास शेयरों की संख्या बढ़ जाती है।

ट्रेडिंग की बारीकियां भी समझ लें। भारत में T+1 सेटलमेंट चलता है, इसलिए कुम-डेट और रिकॉर्ड डेट के बीच एक कारोबारी दिन का अंतर आम तौर पर दिखता है। कंपनी ने 22 सितंबर 2025 को रिकॉर्ड डेट और एक्स-डेट दोनों बताया है; अंतिम कैलेंडर एक्सचेंज/डिपॉजिटरी के अपडेट के अनुसार मानें।

क्या करना है और क्या नहीं?

  • योग्य बनने के लिए 19 सितंबर 2025 तक शेयर होल्ड करें।
  • रिकॉर्ड डेट के बाद अतिरिक्त शेयर 2-3 ट्रेडिंग दिनों में अपने डीमैट में देख पाएंगे।
  • स्प्लिट वाले दिन प्राइस चार्ट पर एडजस्टमेंट दिखेगा—घबराएं नहीं, यह सिस्टम-ड्रिवन है।
  • अगर किसी कारण क्रेडिट में देरी दिखे, तो अपने ब्रोकरेज/डीपी से स्टेटस चेक करें।

क्या स्प्लिट से शेयर चढ़ता है? कोई गारंटी नहीं। हां, ऐतिहासिक रूप से कई बार लिक्विडिटी बढ़ने से निवेशकों की दिलचस्पी बनती है, पर कीमत पर असली असर कंपनी के फंडामेंटल्स, कमाई, कैश फ्लो, कैपेसिटी यूटिलाइजेशन और इंडस्ट्री डिमांड से तय होता है।

अदाणी पावर का बैकड्रॉप भी यहां अहम है। कंपनी देश की बड़ी निजी पावर जेनरेशन कंपनियों में शुमार है और गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में उपस्थिति रखती है। थर्मल आधारित क्षमता इसका मुख्य आधार है, साथ ही लंबे वक्त के पीपीए (Power Purchase Agreements) इसके रेवेन्यू की दृश्यता बढ़ाते हैं। बीते कुछ क्वार्टर्स में मार्जिन प्रोफाइल और प्लांट लोड फैक्टर में सुधार की चर्चाएं भी दिखीं, जिसने सेंटीमेंट को सहारा दिया।

स्प्लिट के बाद क्या बदलेगा?

  • शेयरों की कुल संख्या पांच गुना होगी; प्रमोटर्स और पब्लिक—सभी की होल्डिंग यूनिट्स में बढ़ेंगी, प्रतिशत में नहीं।
  • प्राइस टिक साइज के मुकाबले यूनिट कीमत कम होने से इंट्रा-डे वोलैटिलिटी का पैटर्न बदल सकता है।
  • अगर शेयर किसी डेरिवेटिव सेगमेंट में सूचीबद्ध होता है, तो कॉन्ट्रैक्ट साइज/स्ट्राइक प्राइस आमतौर पर एडजस्ट होते हैं ताकि कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू समान रहे।
  • ESOP/वारंट जैसे इन्स्ट्रूमेंट्स में भी स्प्लिट-एडजस्टमेंट नियम लागू होते हैं।

टैक्स का क्या?

स्टॉक स्प्लिट खुद में टैक्सेबल इवेंट नहीं होता। आपकी खरीद कीमत (कास्ट ऑफ एक्विजिशन) को स्प्लिट के अनुपात में बांट दिया जाता है। बाद में जब आप बेचते हैं, तब कैपिटल गेन कैलकुलेट होता है। लंबे समय के हिसाब से इंडेक्सेशन/होल्डिंग पीरियड के नियम वैसे ही लागू रहेंगे जैसे आम तौर पर होते हैं।

जो निवेशक अल्पावधि ट्रेडिंग करते हैं, उनके लिए स्प्रेड और वॉल्यूम में बदलाव मायने रखेंगे। बेहतर एंट्री-एग्जिट की उम्मीद की जा सकती है, पर साथ में वोलैटिलिटी का रिस्क भी रहता है। जिनका नजरिया लंबा है, उनके लिए फोकस अब भी कमाई, कर्ज, ईंधन लागत, रेगुलेटरी कार्रवाइयों और डिमांड के ट्रेंड पर होना चाहिए—क्योंकि वैल्यू वहीं से बनती है।

कैलेंडर याद रखने लायक है—19 सितंबर 2025 तक शेयर होल्ड रखें, 22 सितंबर 2025 रिकॉर्ड/एक्स-डेट मानी गई है, और क्रेडिट 2-3 ट्रेडिंग दिनों में दिखेगी। 22 सितंबर के बाद खरीदे गए शेयरों पर इस स्प्लिट का लाभ नहीं मिलेगा।

कुल मिलाकर, यह फैसला मैनेजमेंट के आत्मविश्वास और शेयरहोल्डर-फ्रेंडली एप्रोच का संकेत देता है। अब आगे की नजर कंपनी की ऑपरेशनल डिलीवरी, ईंधन आपूर्ति की स्थिरता, मांग के रुझान और रेगुलेटरी अपडेट्स पर रहेगी—क्योंकि स्प्लिट ने मंच तैयार कर दिया है, असली ड्राइवर बुनियादी आंकड़े ही रहेंगे।