जब आप नवरात्रि 2025, हिन्दू पंचांग में नौ दिन चलने वाला देवी‑उपवास और भक्ति का पर्व है. इसे अक्सर दुर्गा पूजा कहा जाता है, तो यह साल‑भर की आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बन जाता है. इस विशेष समय में भक्त विभिन्न देवी‑देवताओं की आराधना करते हैं, मुख्य रूप से माँ दुर्गा और माँ स्कंदमाता। नवरात्रि 2025 में नौ रात के बाद नवम् दिन वायुमंडल की शांति और फिर से अष्टमी-त्रयोदशी पर नई ऊर्जा का संकल्प होता है।
इसे समझने के लिए माँ दुर्गा, सभी शक्ति की स्रोत, जो महिषासुर का वध करती हैं और माँ स्कंदमाता, शिव की शक्ति की उत्पत्ति, जो शनि एवं संध्या के समय विशेष पूजन में ली जाती हैं को अलग‑अलग दिन समर्पित किया जाता है। व्रत (उपवास) का नियम भी नवरात्रि के हर दिन अलग‑अलग होता है; कुछ दिनों में फल‑साबूदाने का सेवन अनिवार्य है, जबकि अन्य दिनों में केवल जल व शाकाहारी भोजन स्वीकार्य है। यह व्रत विधि, आत्मशुद्धि और ऊर्जा संचार के लिए निर्धारित नियम भक्तों को शारीरिक और मानसिक शक्ति प्रदान करता है। नवरात्रि के दौरान घर‑घर में धूप, दीप और गरुड़ स्वर के साथ पाठ किया जाता है, जो न केवल आध्यात्मिक माहोल बनाता है बल्कि पारिवारिक बंधनों को भी मजबूत करता है।
नवमी (नौवाँ दिन) के बाद विजया दशमी, अंतिम दिवस जहाँ माँ दुर्गा की जीत का जशन मनाया जाता है मनाया जाता है, जिसके साथ लक्ष्मी पूजन और धन‑वृद्धि की कामना की जाती है। इस दिन बाजार में सटे हुए रंगोलियों और मिठाइयों की विविधताएँ देखें, क्योंकि ये रिवाज़ रचना में घर के माहोल को रंगीन बनाते हैं। कई शहरों में सामूहिक नृपादंग और धावनियाँ आयोजित होती हैं, जिससे सामाजिक संपर्क भी बढ़ता है। अगर आप पहली बार नवरात्रि मनाते हैं तो नियमित समय पर जल पान, पर्याप्त नींद और हल्का व्यायाम रखें; इससे व्रत के दौरान उर्जा बनी रहती है और ध्यान केंद्रित रहता है।
अब आप इस पेज पर नीचे दिखाए गए लेखों में नवरात्रि की विस्तृत तिथियों, विशेष पूजा विधियों, स्कंदमाता के मंत्र और समुदाय के आयोजन के बारे में गहरा ज्ञान पा सकते हैं। हमारी चयनित पोस्ट्स आपको प्रत्येक दिन के अर्थ, आवश्यक सामग्री और वैदिक श्लोकों की जानकारी देंगे, जिससे आपका उत्सव और अधिक असरदार और स्मरणीय बन सके।
नवरात्रि के तीसरे दिन (24 सितम्बर 2025) माँ चन्द्रघंटा की पूजा विशेष महत्व रखती है। इस दिन सफ़ेद मिठाई रसमलाई को भोग में देना शुभ माना जाता है। लेख में माँ की कथा, पूजा के शुभ समय और रसमलाई बनाने की विस्तृत विधि दी गई है। इसे पढ़ें और अपने घर में शुद्ध भोग तैयार करें।