माँ स्कंदमाता – शक्ति, श्रद्धा और जीवन की प्रेरणा

जब हम माँ स्कंदमाता, शिव की वह रूप है जो अपने पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) को जन्म देती है. Also known as स्कंदमाता, it represents माँ की शक्ति और संरक्षण. हमारी संस्कृति में माँ स्कंदमाता को माँ के प्यार का प्रतीक माना जाता है। कई लोग इसे सिर्फ एक देवी नहीं, बल्कि जीवन के मुश्किल चरणों में मार्गदर्शन करने वाला हृदय मानते हैं।

स्कंदमाता के साथ कार्तिकेय, शिव और पार्वती के द्वौधारी पुत्र, युद्ध और युवाओं की रक्षा के लिए जाना जाता है का संबंध गहरा है। यह त्रिपक्षीय बंधन दर्शाता है कि माँ कैसे अपने बच्चे को शक्ति और दिशा देती है। यही कारण है कि हर नवरात्रि में दुर्गा के नौंवें दिन स्कंदमाता की विशेष पूजा की जाती है।

नवरात्रि में स्कंदमाता की पूजा कैसे करें?

नवरात्रि के दौरान नवरात्रि, नौ दिन का हिन्दू त्यौहार, जहाँ विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा होती है में स्कंदमाता को विशेष महत्व दिया जाता है। एक साधारण विधि है – सुबह जल के साथ प्रतिमा को स्नान कराएँ, फिर चंद्रा, लेमन और कच्ची घी से अभिषेक करें। इसके बाद दुहू के साथ भोग में रसमलाई या आम का हलवा रखें, क्योंकि यह माँ की मीठी अर्चना में मदद करता है।

स्कंदमाता की पूजा में शिव, त्रिमूर्ति के प्रमुख देवता, जो शक्ति, सृजन और विनाश के रूप में प्रतिष्ठित हैं का भी उल्लेख आवश्यक है। शिव की ध्वजद्वंद्व (त्रिशूल) और घँटिया (डमरु) को साथ रखकर अभिषेक करने से माँ के आशीर्वाद में वृद्धि होती है। इस प्रक्रिया में ध्यान देना चाहिए कि मन में नकारात्मक विचार न हों; केवल सकारात्मक ऊर्जा को स्थान दें।

जब हम माँ स्कंदमाता को घर में स्थापित करते हैं, तो हमें कुछ व्यावहारिक बातें भी याद रखनी चाहिए। सबसे पहले, प्रतिमा को साफ़ जगह पर रखें, जहाँ हवा अच्छी चलती हो। दूसरा, हर शुक्रवार को इस स्थान पर एक छोटी जल चढ़ा दें – यह माँ की कृपा को ताज़ा रखता है। तीसरा, बच्चे या युवाओं को इस पूजा में शामिल करना उनका आत्मविश्वास बढ़ाता है, क्योंकि स्कंदमाता का मूल उद्देश्य ही युवा शक्ति को पोषित करना है।

आजकल कई लोग माँ स्कंदमाता की कहानियों को प्रेरणा के रूप में पढ़ते हैं। “गुहा में जन्म” की कथा, जहाँ माँ ने एक बार पहाड़ में सन्दी (अजगर) के साथ अपना बेटे लेकर तय किया, यह दिखाता है कि चुनौतियों के बीच भी माँ साहस नहीं खोती। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन समय में भी धैर्य बनाए रखें और अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहें।

इसी भावना को हम यहाँ साझा करते हुए आगे बढ़ते हैं। नीचे आप विभिन्न लेखों, आध्यात्मिक मार्गदर्शिकाओं और व्यावहारिक टिप्स की एक संकलित सूची पाएँगे, जो माँ स्कंदमाता की पूजा, कथा, और जीवन में उनके प्रेरणादायक प्रभाव को विस्तृत रूप से समझाते हैं। तैयार हैं? चलिए, इस आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत करते हैं।

Navratri 2025 का पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता पूजा विधि, मंत्र और महत्व
Navratri 2025 का पाँचवाँ दिन: माँ स्कंदमाता पूजा विधि, मंत्र और महत्व

Navratri 2025 के पाँचवें दिन, 26 सितंबर को माँ स्कंदमाता की पूजा विशेष महत्त्व रखती है। इस दिन भक्त हरा वस्त्र पहनकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर देवी को अर्पित करते हैं। स्कंदमाता के बीज मंत्र और स्टुति के प्रयोग से मानसिक शांति, सफलता और संरक्षक प्रेम मिलता है। पूजन के दौरान लोटस, हरा फूल और दीपक का उपयोग अनिवार्य है।

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