अगर आप कहीं घर खरीदते हैं या किराए पर देते हैं, तो आप अचानक ही मकान मालिक बन सकते हैं। लेकिन मकान मालिक बनने के बाद कई सवाल सामने आते हैं – किरायेदार कैसे चुनें, किराए की दर कैसे तय करें, रख‑रखाव की जिम्मेदारी कौन लेगा? इस लेख में हम उन सभी बुनियादी बातों को आसान भाषा में समझेंगे, ताकि आप बिना झंझट के किराये की कमाई शुरू कर सकें।
पहला कदम है भरोसेमंद किरायेदार ढूँढना। ऑनलाइन पोर्टल, स्थानीय एजेंट या दोस्त‑परिचित से रेफ़रल अक्सर काम आते हैं। आवेदन फ़ॉर्म में आय प्रमाण, नौकरी की जानकारी और पिछले किराए की रसीदें माँगें। छोटे‑छोटे फ़ॉलो‑अप कॉल से भी पता चल जाता है कि किरायेदार जिम्मेदार है या नहीं। एक बार सही किरायेदार मिल गया, तो अनुबंध में स्पष्ट नियम लिखें – जैसे भुगतान की तिथियाँ, सुरक्षा जमा और निकासी की शर्तें।
किराए की दर तय करने में बाजार के रेट को देखना सबसे ज़रूरी है। आप अपने इलाके में इसी तरह के 2‑3 प्रॉपर्टी का किराया पता कर सकते हैं। अगर आपका प्लॉट या अपार्टमेंट नया या अच्छी स्थिति में है, तो थोड़ा ऊपर की रेटिंग ले सकते हैं। लेकिन बहुत ज़्यादा नहीं, न तो किरायेदारों को बाहर निकालना पड़ेगा, न ही खाली रहने की हानि होगी। एक साल में एक बार रिव्यू करके किराया अपडेट करना भी आदत बनाएं।
सुरक्षा जमा (Security Deposit) आम तौर पर 1‑2 महीने का किराया होता है। इसे किराए के साथ लिखित में लेन‑देन टैब में रखें और किरायेदार को रसीद दें। ऐसा करने से अगर कोई नुकसान होता है तो आप जल्दी से क्लेम कर सकते हैं।
अब बात आती है रख‑रखाव की। रोज‑रोज की छोटी‑छोटी मरम्मत आप खुद संभाल सकते हैं या स्थानीय कारीगर को रख‑रखाव के लिए हायर कर सकते हैं। बड़े काम (जैसे पाइपलाइन फाटना) के लिए किरायेदार को तुरंत सूचित करना चाहिए और आप जिम्मेदारी लेकर जल्दी समाधान देना चाहिए। इससे किरायेदार का भरोसा बनता है और भविष्य में आप कई बार किराया नहीं खोते।
अंत में, कानूनी दायित्व न भूलें। मकान मालिक‑किरायेदार के अधिकार‑और‑दायित्व पर भारत सरकार का किराया नियंत्रण अधिनियम (Rent Control Act) है। इसे पढ़ें और अपने अनुबंध में आवश्यक क्लॉज़ जोड़ें – जैसे नोटिस पीरियड, बंधक को हटाने की प्रक्रिया आदि। अगर कोई विवाद हो तो स्थानीय म्युनिसिपल कॉरपोरेशन या कोर्ट के पास जा सकते हैं, लेकिन अधिकांश मामलों में संवाद से ही समाधान निकल जाता है।
तो अब आप तैयार हैं! एक अच्छा किरायेदार चुनें, सही किराया तय करें, रख‑रखाव को व्यवस्थित रखें और कानूनी नियमों का पालन करें। इन सरल कदमों से आप न सिर्फ किराये की आय बढ़ा पाएँगे, बल्कि एक भरोसेमंद मकान मालिक की पहचान भी बनेंगे। भविष्य में अगर आप कई प्रॉपर्टी संभालना चाहते हैं, तो इस सिस्टम को स्केल करना आसान होगा। आशा है यह गाइड आपके लिए उपयोगी रहा होगा। आगे के सवाल या अनुभव शेयर करने के लिए नीचे कमेंट सेक्शन में लिखें।
भोपाल के चर्चित लव जिहाद केस में पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए आरोपियों के मकान मालिकों और फाइनेंशियल सहयोगियों को घेरे में लिया है। Club-90 रेस्टोरेंट पर कार्रवाई करते हुए प्रशासन ने उसकी लीज रद्द कर कब्ज़ा ले लिया है। एनसीडब्ल्यू ने भी पीड़ितों से मुलाकात की है।