भोपाल लव जिहाद केस: पुलिस की नई रणनीति
भोपाल में कथित 'लव जिहाद' के बड़े मामले के बाद पुलिस की जांच तेजी से फैल रही है। अप्रैल 2025 की घटना में तीन छात्राओं ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि उनकी पहचान छिपाकर उनके साथ दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग की गई। केस में गंभीर मोड़ तब आया जब एक स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम (SIT), जिसकी अगुवाई भोपाल ग्रामीण के आईजी कर रहे हैं, ने मामले में जड़ तक पहुंचने के लिए आरोपियों से जुड़े मकान मालिकों से भी पूछताछ शुरू कर दी।
अब पुलिस केवल प्रत्यक्ष अपराधियों तक ही सीमित नहीं रहना चाहती, बल्कि जिनकी संपत्तियों का इस्तेमाल शिकार को फंसाने और उनका आर्थिक सहयोग करने में हुआ, उन्हें भी घेरे में लेकर मामले की तह तक जा रही है। अभी तक पांच आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है और छह पीड़िताएं सामने आ चुकी हैं। पुलिस की कोशिश है कि किसी भी साजिशकर्ता या मददगार को छोड़ा न जाए।
Club-90 रेस्टोरेंट पर कार्रवाई और NCW किया दखल
इस केस में Club-90 नाम का रेस्टोरेंट भी चर्चा में रहा, जहां आरोपियों ने कथित तौर पर छात्राओं को बुलाकर उनके साथ शोषण किया। प्रशासन ने इस रेस्टोरेंट की लीज रद्द कर दी और अवैध निर्माण को बुलडोजर से गिरवा दिया। अब यह जगह पूरी तरह प्रशासन के कब्जे में है। ये कदम साफ संदेश है कि प्रशासन इस मामले में बिल्कुल ही ढीला रवैया अपनाने के मूड में नहीं है।
मामले ने और तूल तब पकड़ा जब भोपाल लव जिहाद केस को लेकर नेशनल कमीशन फॉर वूमन (NCW) की तीन सदस्यीय टीम ने मौके पर पहुंच कर Club-90 का निरीक्षण किया। टीम ने होटल रेडिसन में पीड़िताओं के बयान दर्ज कर सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की। आयोग ने भरोसा दिलाया कि पूरी जांच पर निगरानी रखी जाएगी जिससे किसी भी तरह की लापरवाही न हो पाए।
पुलिस को यह भी पता चला है कि आरोपियों की फंडिंग में किन-किन का रोल है। खासकर मकान मालिक और दूसरे सहयोगी, जिन्होंने न सिर्फ प्रॉपर्टी किराए पर दी बल्कि उनके ऊपर किसी तरह का शिकंजा नहीं कसा। सवाल यह भी उठ रहा है कि कहीं न कहीं, साजिश का ताना-बाना बहुत सोच-समझकर बुना गया था।
इस पूरे मामले का राजनीतिक असर भी साफ दिख रहा है। हिंदुत्व समर्थक संगठनों ने भोपाल में घर-घर जागरूकता अभियान छेड़ दिया है और 'लव जिहाद' एवं जबरन धर्मांतरण के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है। हाल ही में एक जिम में हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने घुसकर नारेबाजी की, जिससे डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन की भूमिका भी सवालों में आ गई है। पीड़ितों की सुरक्षा से लेकर जांच की पारदर्शिता तक, हर कदम पर नजरें बनी हुई हैं।
vamsi Pandala
जुलाई 22, 2025 AT 10:20nasser moafi
जुलाई 23, 2025 AT 01:42Saravanan Thirumoorthy
जुलाई 23, 2025 AT 05:40Tejas Shreshth
जुलाई 24, 2025 AT 09:56sarika bhardwaj
जुलाई 24, 2025 AT 20:45Dr Vijay Raghavan
जुलाई 26, 2025 AT 12:42Partha Roy
जुलाई 28, 2025 AT 02:44Kamlesh Dhakad
जुलाई 28, 2025 AT 20:59vamsi Pandala
जुलाई 29, 2025 AT 04:08