इमैनुएल मैक्रों – क्या नया है और इसका असर क्या होगा?

फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के नाम से अक्सर सैंकड़ों खबरें आती रहती हैं। चाहे वह यूरोपीय संघ में उनका रोल हो, घरेलू सुधार हो या विदेश में उनका सटिक बयान। इस टैग पेज पर आपको मैक्रों से जुड़ी ताज़ा ख़बरें, उनकी नीति‑समझ और भारत‑फ़्रांस संबंधों पर उनका प्रभाव मिलेगा। चलिए, सीधे बात पर आते हैं।

मैक्रों की मुख्य नीतियों का सार

मैक्रों ने 2017 में सत्ता संभाली और तब से कई बड़े कदम उठाए हैं। सबसे पहले, उन्होंने पेंशन सुधार पेश किया – 42 साल के काम को 43 साल तक बढ़ाने की योजना, जिससे भविष्य में पेंशन सुरक्षा बेहतर होगी। दूसरा, ग्रीन डील के तहत फ़्रांस को कार्बन‑न्यूट्रल बनाने की दिशा में बड़े निवेश किए जा रहे हैं। ये नीति न सिर्फ़ पर्यावरण को बचाती हैं, बल्कि नई नौकरियों का भी सृजन करती हैं।

विदेश नीति में मैक्रों ने यूरोपीय सुरक्षा को मजबूत करने का वादा किया है। उन्होंने NATO के साथ मिलकर रक्षा खर्च बढ़ाने की घोषणा की और रूस‑यूक्रेन संकट में फ़्रांस की मदद को तेज़ किया। इन कदमों से यूरोप में स्थिरता बनती दिखती है, लेकिन साथ ही बातचीत में नई चुनौतियाँ भी उभरती हैं।

भारत‑फ़्रांस संबंधों पर मैक्रों का प्रभाव

भारत और फ़्रांस के बीच व्यापार‑विकास की गति लगातार बढ़ रही है। मैक्रों ने दोबारा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करवाए, जिससे दोनों देशों के बीच निवेश 15 % बढ़ने की उम्मीद है। रक्षा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ रहा है – मैक्रों ने 'डिजिटल इंडिया' पहल को समर्थन दिया और फ़्रांस की रक्षा तकनीक को भारत में लागू करने की रोड‑मैप तैयार की।

शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में भी दो पक्ष मिलकर नए छात्रवृत्ति योजनाएँ चला रहे हैं। यदि आप फ़्रांस में पढ़ाई या नौकरी की सोच रहे हैं, तो मैक्रों की नीतियां आपके लिए फायदे का कारक बन सकती हैं। यही कारण है कि कई भारतीय युवा अब फ़्रांस को अपने अगले कदम के रूप में देख रहे हैं।

आपको बता दें, मैक्रों की सरकार ने COVID‑19 के बाद की आर्थिक रिकवरी में छोटे‑मध्यम उद्यमों (SMEs) को आसान लोन और टैक्स रिवैचिंग का पैकेज दिया है। यह पैकेज भारत के स्टार्ट‑अप्स के लिए भी सीखने योग्य हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों की आर्थिक नीतियों में कई समानताएँ हैं।

आज के समय में मैक्रों की लोकप्रियता में उतार‑चढ़ाव है। कई लोग उनकी आर्थिक नीति को प्रगतिशील मानते हैं, जबकि कुछ आलोचक कहते हैं कि रोजगार सृजन की गति धीर  है। फिर भी, एक बात साफ़ है – मैक्रों की हर कदम पर राजनैतिक और आर्थिक असर दिखता है, और यही उसी को आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

अगर आप फ़्रांस की राजनीति, मैक्रों की नीतियों या भारत‑फ़्रांस सहयोग में रुचि रखते हैं, तो इस टैग पेज पर नवीनतम लेख, विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय मिलती रहेगी। नियमित अपडेट के साथ आप हमेशा एक कदम आगे रह सकते हैं।

G7 शिखर सम्मेलन में गर्भपात विवाद पर इटली की मेलोनी का बयान, फ्रांस के मैक्रों ने जताई निराशा
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इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने G7 शिखर सम्मेलन में गर्भपात पर विवाद को कमतर किया है। मेलोनी ने इस साल की बैठक के अंतिम बयान में 'गर्भपात' शब्द के उल्लेख न होने को सामान्य नीति बताया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस अभाव पर निराशा व्यक्त की। यह विवाद इटली, फ्रांस और अमेरिका के बीच कूटनीतिक संघर्ष का कारण बन गया।

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