G7 शिखर सम्मेलन में गर्भपात विवाद पर इटली की मेलोनी का बयान, फ्रांस के मैक्रों ने जताई निराशा

G7 शिखर सम्मेलन में गर्भपात विवाद पर इटली की मेलोनी का बयान, फ्रांस के मैक्रों ने जताई निराशा

G7 शिखर सम्मेलन में गर्भपात मुद्दे पर विवाद

हाल ही में इटली में आयोजित G7 शिखर सम्मेलन के दौरान गर्भपात के मुद्दे पर विवाद उत्पन्न हो गया, जिससे इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ओर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच मतभेद उभरकर सामने आए। इस विवाद की उत्पत्ति इस तथ्य से हुई कि इस वर्ष की अंतिम घोषणा में 'गर्भपात' शब्द का उल्लेख नहीं किया गया था। पिछले साल हिरोशिमा में आयोजित शिखर सम्मेलन में सुरक्षित और कानूनी गर्भपात तक पहुँच के बारे में एक मजबूत प्रतिबद्धता दिखाई गई थी।

जॉर्जिया मेलोनी का स्पष्टीकरण

जॉर्जिया मेलोनी ने इस विवाद को कम करके देखा और स्पष्टीकरण में कहा कि यह सामान्य नीति है कि पिछले घोषणाओं में किए गए मुद्दों को दोहराया नहीं जाता है। मेलोनी ने कहा कि यही कारण है कि इस वर्ष के बयान में गर्भपात का उल्लेख नहीं किया गया। उनका मानना है कि पिछले वर्ष की मजबूती को दोहराने की आवश्यकता नहीं है और मौजूदा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

इमैनुएल मैक्रों का असंतोष

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इस अभाव पर अपनी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि फ्रांस के पास महिलाओं और पुरुषों के बीच समानता को लेकर एक स्पष्ट दृष्टिकोण है, लेकिन यह दृष्टिकोण सभी देशों द्वारा साझा नहीं किया जाता है। मैक्रों ने अपने बयान में गर्भपात को मानवाधिकारों का हिस्सा बताया और कहा कि यह हर देश की जिम्मेदारी है कि वे इसकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।

कूटनीतिक संघर्ष

इस मुद्दे ने इटली, फ्रांस और अमेरिका के बीच कूटनीतिक संघर्ष को हवा दी। जहां फ्रांस और अमेरिका ने समानता और अधिकारों पर जोर दिया, वहीं इटली ने अपनी पारंपरिक नीतियों का समर्थन किया। इस कूटनीतिक संघर्ष ने शिखर सम्मेलन के अन्य मुद्दों पर भी प्रभाव डाला। पुगलिया में आयोजित इस सम्मेलन में तुर्की, भारत और यूक्रेन के प्रतिनिधि भी शामिल थे।

मेलोनी की स्पष्टवादी राजनीति

जॉर्जिया मेलोनी, जो इटली के दक्षिणपंथी दल 'ब्रदर्स ऑफ इटली (FdI)' का नेतृत्व करती हैं, गर्भपात के प्रति अपनी विरोधी स्थिति को लेकर हमेशा स्पष्ट रही हैं। इटली में गर्भपात पर पहुँच सीमित है क्योंकि कई चिकित्सा कर्मचारी 'अंतरात्मा के आपत्तिकर्ता' के रूप में पहचान रखते हैं।

मैक्रों का राजनीतिक अभियान

इस शिखर सम्मेलन के दौरान मैक्रों पर बड़े राजनीतिक दबाव थे क्योंकि फ्रांसीसी चुनाव नजदीक आ रहे थे। यूरोपीय चुनावों में उनकी पार्टी की हार के बाद, उन्होंने इस शिखर सम्मेलन का उपयोग अपने राजनीतिक एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए किया। कई आलोचकों का मानना है कि मैक्रों ने इस मुद्दे को अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाया।

सारांश

सारांश

G7 शिखर सम्मेलन में गर्भपात पर विवाद ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थलचिह्न साबित किया। यह विवाद केवल एक शब्द के उल्लेख के अभाव के बारे में नहीं था, बल्कि यह समानता, अधिकारों और नीतियों के विचारों की व्यापक तस्वीर को दर्शाता है।