अगर आप ईद-उल-अजहा की तारीख, नमाज़ का समय और घर‑बार की तैयारियों को लेकर उलझन में हैं, तो यह लेख आपके लिये है। हम साधारण भाषा में बता रहे हैं कि कैसे आप इस बडे़ त्यौहार को बिना किसी झंझट के मनाएंगे।
ईद-उल-अजहा इस साल 20 अगस्त को मनाई जाएगी, क्योंकि हज के बाद दसवें दिन के बाद जिस दिन हलील (दूसरे दिन) का चाँद देखेगा, उसी को ईद मानते हैं। अलग‑अलग जगहों पर थोड़ी‑बहुत मतभेद हो सकती है, लेकिन अधिकांश कैलेंडर इस तारीख को ही दर्शाते हैं।
नमाज़ का समय सूरज के निकलते ही शुरू होता है और दोपहर के बाद तक चलता है। आमतौर पर साफ‑सुथरे मस्जिद या इस्लामिक सेंटर में 12 बजे के आस‑पास ईद की नमाज़ पढ़ी जाती है। अगर आप घर में पढ़ना चाहते हैं, तो प्रावधानों के अनुसार सफ़ा, सफ़ाई और क़ाबा की दिशा पर ध्यान दें।
1. भोजन की प्लानिंग – ईद के दिन सिर्फ दावत नहीं, बल्कि दायरे में दो‑तीन दिन की खरीद‑फरोख्त भी होती है। हलवा, बिरयानी, कबाब, खीर जैसी रेसिपी पहले से तय कर लें और जरूरी मसाले, तेल और मिठाइयाँ पहले ही खरीदें। इस तरह आखिरी मिनट में भीड़‑भाड़ नहीं होगी।
2. पशु बलि की व्यवस्था – अगर आप बलि देना चाहते हैं, तो भरोसेमंद मकान या सरकारी क़रीब नजदीक के बकरा‑बाजार से पहले से बकरा बुक कर लें। बकरा चुनते समय स्वास्थ्य प्रमाणपत्र देखना न भूलें। बलि के बाद मांस को साफ‑सुथरे कपड़े में लपेट कर फ्रिज में रखें या तुरंत ही रसोई में इस्तेमाल करें।
3. कपड़े और जूते – ईद पर सबसे अच्छा दिखना चाहते हैं, तो कपड़ों को पहले से धोकर इस्त्री कर रखें। महिलाएँ अगर नई साड़ी या सूट चुन रही हैं, तो फेयर ट्रीटमेंट के बाद पूछें कि क्या वह फिट है। पुरुषों के लिए शर्ट‑पैंट आरामदायक होना चाहिए, ताकि नमाज़ में झंझट न हो।
4. घर की साफ‑सफ़ाई – ईद से पहले घर को झाड़‑झाड़ कर साफ़ कर लें। विशेषकर रसोई, लिविंग रूम और दरवाज़ों के पास की जगहें चमकाऊँ। अगर बच्चों के लिए कोई खेल की जगह है, तो उसे भी सजा‑सँभाल कर रखें, ताकि मेहमानों को स्वागत में कोइ कमी न रहे।
5. धार्मिक बातें – ईद के दिन क़ुरान की तिलावट सुनना, दुआएँ पढ़ना और अक्सर अपने रिश्तेदारों एवं पड़ोसियों को बधाई देना एक अहम पहलू है। अगर आप बच्चें हों, तो उन्हें भी छोटे‑छोटे सोझे शब्दों में ईद की महिमा समझाएँ, इससे उनके भीतर त्यौहार का असली मतलब जागेगा।
6. समय पर पहुंचें – नमाज़ के बाद शहादत लिखे हुए पर्चे को संभाल कर रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर ठीक‑ठीक समय पर बलि का काम पूरा हो सके। इसको याद रखिए, अनावश्यक देरी से हसलाने का भी मौका बना रहेगा।
इन सरल कदमों को फॉलो करके आप ईद-उल-अजहा को बिना तनाव के, खुशियों भरा और धार्मिक भावनाओं से भरपूर बना सकते हैं। अब बस तैयारियाँ शुरू करें और इस पवित्र दिन का आनंद उठाएँ।
ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद या कुर्बानी की ईद भी कहा जाता है, इस्लाम में महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रमज़ान ईद के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है। 2024 में भारत में यह त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। इस दिन बकरीद मनाते हुए जानवरों की कुर्बानी दी जाती है और उनके मांस को परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के बीच बांटा जाता है।