जब हम defamation, किसी व्यक्तियों या संस्थाओं की साख को नुकसान पहुँचाने वाले झूठे बयानों को कानूनी रूप से परिभाषित करने वाला शब्द. Also known as मानहानि, it न्यायिक कार्रवाई के तहत दावे करने, हर्जाना पाने और सच्चे तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए उपयोग किया जाता है. इस टैग में आप विभिन्न प्रकार की मानहानि से जुड़ी खबरें, केस स्टडी और विनियम देखेंगे। साथ ही, मानहानि कानून, भारत में आपराधिक और दीवानी दोनों पहलुओं को कवर करता है और सिविल औसत के तहत क्षतिपूर्ति निर्धारित करता है. ये कानून डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ती मानहानि मामलों को रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऑनलाइन मानहानि, सोशल मीडिया, ब्लॉग और समाचार साइटों पर फैलने वाले घृणास्पद या झूठे कंटेंट को दर्शाता है. इसलिए, जब आप किसी लेख या टिप्पणी को पढ़ते हैं, तो यह जानना जरूरी है कि क्या वह तथ्य पर आधारित है या सिर्फ़ एक दुष्प्रचार है।
Defamation के प्रमुख घटकों में बयान, गलत जानकारी और हानि शामिल हैं — यह एक क्लासिक subject‑predicate‑object त्रिपुटी बनाता है: "एक गलत बयान (subject) किसी की साख को नुकसान (object) पहुंचाता है"। इस संबंध को समझना कोर्ट में प्रमाण प्रस्तुत करने में मदद करता है। दूसरा महत्वपूर्ण संबंध है "Media platforms require responsible publishing"; यानी मीडिया को सत्यापन करने की ज़रूरत है, नहीं तो वे मानहानि के दायरे में आ जाते हैं। तीसरा त्रिपुटी "Defamation influences public perception" – सार्वजनिक राय बनाते समय झूठी सूचना का असर बड़ा होता है, इसलिए न्यायालय अक्सर सोशल मीडिया पोस्ट को सबूत के रूप में स्वीकार करता है।
जब आप मानहानि के केस में कदम रखते हैं, तो प्रक्रिया सिविल मुकदमों में शुरू होती है, जिसमें शिकायत, नोटिस, जवाब और अंत में टर्नअराउंड (ज्यादातर 6‑12 महीने) शामिल है। यदि अभियुक्त ने जानबूझकर झूठा बयान दिया तो आपराधिक धाराएँ भी लागू हो सकती हैं, जैसे भारत के IPC की धारा 499‑500। इस दौरान, अदालत अक्सर "साक्ष्य की विश्वसनीयता" और "न्यायसंगत हित" पर विचार करती है। इसके अलावा, कई बार सुलह के माध्यम से विवाद सुलझाया जाता है, जिससे दोनों पक्षों को समय और खर्च बचता है।
डिजिटल युग में, सोशल मीडिया नियम, ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि की सामग्री नीति जो मानहानि को रोकने के लिए अनुशंसित रूप से लागू होती है. इन नियमों में अक्सर "संदेहास्पद पोस्ट को हटाने का अधिकार" और "उपयोगकर्ता को नोटिस देना" शामिल होता है। इसलिए, यदि आपको लगता है कि आपका नाम बगैर कारण बदनाम हुआ है, तो पहले प्लेटफ़ॉर्म की हेल्प सेंटर पर फ़्लैग करें, फिर जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह लें।
पहले पैराग्राफ में बताया गया था कि defamation का दायरा बेहद व्यापक है – यह व्यक्तिगत, व्यावसायिक और सार्वजनिक जीवन को प्रभावित करता है। आप नीचे दिए गए लेखों में विभिन्न क्षेत्रों में मानहानि के उदाहरण देखेंगे: राजनीतिक बयानों से लेकर खेल की खबरों, वित्तीय रिपोर्टों और तकनीकी अपडेट तक। हर लेख यह दर्शाता है कि कैसे सही जानकारी और तथ्य‑आधारित रिपोर्टिंग किसी भी विवाद को रोक सकती है या फिर उसके बाद की जटिल कानूनी प्रक्रिया को आसान बना सकती है। आगे पढ़ते हुए, आप समझेंगे कि किन स्थितियों में आप खुद को बचा सकते हैं और कब विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए।
पूर्व एनसीबी अधिकारी Sameer Wankhede ने Delhi High Court में Shah Rukh Khan की Red Chillies Entertainment, Netflix और अन्य को 2 करोड़ रुपये के मानहानि मुकदमेदरम्यान दायर किया। वे इस बात से असहमत हैं कि Aryan Khan की सीधे‑निर्देशित श्रृंखला उनके किरदार को गड़बड़ तरीके से दिखाती है। मुकदमे में उन्होंने राष्ट्रीय सम्मान विधि और आईटी एक्ट के उल्लंघन का भी आरोप लगाया। नुकसान की भरपाई का पूरा रकम Tata Memorial Cancer Hospital को दान करने की मांग की गई। हाई कोर्ट ने बाद में इस याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन अपील की राह खुली है।