सितंबर 2025 में Sameer Wankhede ने दिल्ली हाई कोर्ट में एक विस्तृत याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने Shah Rukh Khan की Red Chillies Entertainment, Netflix और कुछ अन्य निर्माताओं को defamation का आरोपी बनाया। याचिका के मुख्य बिंदु थे – श्रृंखला में उनका एक काल्पनिक किरदार दिखाया गया, जो वास्तव में उनके वास्तविक कार्यों को विकृत रूप में प्रस्तुत करता है।
Wankhede का कहना है कि ‘The Ba**ds of Bollywood’ में एक सीन है जहाँ ‘सत्यमेव जयते’ गान के बाद एक किरदार गाली‑गलौज भरा इशारा करता है। यह दृश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान को अपमानित करने वाला भी माना गया। उनके वकीलों ने इस पर Prevention of Insults to National Honour Act, 1971 के तहत दण्डनीय कार्रवाई का उल्लेख किया।
इसके अलावा, उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) और नई Bharatiya Nyaya Sanhita (BNS) के कई प्रावधानों का भी उल्लंघन बताया। उनका तर्क है कि series में इस्तेमाल किए गए एड़ियल कंटेंट राष्ट्रीय भावना को ठेस पहुँचाते हैं और प्रतिबंधित सामग्री को बढ़ावा देते हैं।
वकीलों ने यह भी रेखांकित किया कि इस मामले में अभी भी मुंबई में Bombay High Court और NDPS Special Court में चल रही सुनवाई के बीच, यह श्रृंखला जनता की राय को प्रभावित कर रही है। उनका मानना है कि ऐसे समय में संदिग्ध चित्रांकन से न्यायिक प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।
वित्तीय माँग के संदर्भ में, Wankhede ने व्यक्तिगत लाभ की बजाय पूरे 2 करोड़ रुपये का रकम Tata Memorial Cancer Hospital को दान करने की मांग की। साथ ही, उन्होंने series के सभी स्ट्रीमिंग और वितरण पर स्थायी प्रतिबंध का आदेश देने की भी अपील की।
हाई कोर्ट ने कई हफ्तों तक मामला सुना, लेकिन अंततः याचिका को खारिज कर दिया। खारिज करने के कारणों में कोर्ट ने कहा कि कथित मानहानि के दावे को सिद्ध करने के लिये पर्याप्त ठोस प्रमाण नहीं प्रस्तुत हुए थे। साथ ही, फिल्म‑फ़िल्मी अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकारों को लेकर भी विचार किया गया, जिससे निर्माताओं की रचनात्मक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता।
ख़ारिज निर्णय के बाद Wankhede ने तुरंत अपील का इरादा जताया। उनके वकीलों ने बताया कि वे इस फैसले के विरुद्ध दिल्ली हाई कोर्ट के अंतर्गत ही नहीं, बल्कि Supreme Court में भी चुनौती दे सकते हैं। अपील में मुख्य बिंदु फिर से मानहानि, राष्ट्रीय सम्मान का उल्लंघन और सार्वजनिक हित को लेकर होंगे।
साथ ही, Aryan Khan की तरफ से भी इस मामले को लेकर एक बयान जारी किया गया, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति को किसी भी व्यक्तिगत या सरकारी दबाव से नहीं रोका जाना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि श्रृंखला का मुख्य उद्देश्य फिल्म‑उद्योग की अंधेरी कहानियों को उजागर करना है, न कि किसी विशेष अधिकारी को निशाना बनाना।
समय के साथ इस विवाद ने दो महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं – पहला, किस हद तक वास्तविक जीवन की घटनाओं को फिक्शन में बदलते समय व्यक्तिगत प्रतिष्ठा की सुरक्षा आवश्यक है, और दूसरा, मनोरंजन उद्योग को राष्ट्रीय संवेदनशीलता के लिहाज से कितनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के तेज़ी से बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, ऐसे मुकदमों का भविष्य में और भी अहम भूमिका होगी। यदि Wankhede का मुकदमा आगे चलकर सफल हो जाता है, तो फिल्म‑फ़िल्मी निर्माताओं को अपनी स्क्रिप्टिंग में अधिक सतर्क रहना पड़ेगा। वहीं, अगर न्यायालय का खारिज फैसला अंतिम हो जाएगा, तो यह रचनात्मक स्वतंत्रता के पक्ष में एक मजबूत उदाहरण बन सकता है।