जब आप CBDT, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, जो आयकर, कर छूट और नियमों की रूपरेखा बनाता है. इसे अक्सर Central Board of Direct Taxes कहा जाता है, यह सीधे‑कर नीति को दिशा‑निर्देश देता है तो आप तुरंत समझेंगे कि यह निकाय क्यों हर वित्तीय आँकड़े में दिखता है। साथ ही, सॉवरेन वेल्थ फंड, विदेशी पूँजी के माध्यम से भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने वाला फंड और पेंशन फंड, सेवानिवृत्ति के बाद आय सुनिश्चित करने वाला फंड, दोनों ही इस कर छूट से सीधे लाभान्वित होते हैं. अंत में, इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश, सड़कों, बंदरगाहों, ऊर्जा परियोजनाओं में पूँजी का लगाव का विस्तार भी इस नीति के प्रमुख लक्ष्य में शामिल है।
CBDT की नई घोषणा मुख्य रूप से दो बड़े वर्गों पर केंद्रित है: सॉवरेन वेल्थ फंड को 2025‑30 तक कर रियायत देना और पेंशन फंडों को इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में अतिरिक्त टैक्स लाभ देना। इससे फंड मैनेजर्स को लंबी अवधि के प्रोजेक्ट्स में निवेश करने का प्रोत्साहन मिलता है, जबकि सरकार को बुनियादी सुविधाओं में तेज़ पूँजी प्रवाह मिल जाता है। इस कदम से दोनों पक्षों के बीच जोखिम‑रिवॉर्ड संतुलन सुधरता है, जिससे बड़े‑पैमाने पर निर्माण कार्य तेज़ होता है।
वास्तविक प्रभाव देखना आसान है: जब सॉवरेन वेल्थ फंड को आयकर से छूट मिलती है, तो उनका नेट रिटर्न बढ़ता है, इसलिए वे अक्सर हाई‑टेक, ऊर्जा और परिवहन क्षेत्रों में हाई‑इनवेस्टमेंट वाले प्रोजेक्ट्स चुनते हैं। वही पेंशन फंड, जो आम तौर पर कम‑जोखिम वाले बॉन्ड्स में निवेश करते हैं, अब इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स को भी पोर्टफोलियो में शामिल कर सकते हैं। परिणामस्वरूप, इन्फ्रास्ट्रक्चर की वित्तीय जरूरतें तेज़ी से पूरी होंगी और रोजगार भी बढ़ेगा।
इन नीतियों को समझने के लिए तीन मुख्य प्रश्न पूछें: 1) कौन‑से फंड सबसे अधिक लाभ उठा रहे हैं? 2) किन इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता दी गई है? 3) कर छूट कितने समय तक वैध रहेगी? पहला प्रश्न का उत्तर बड़े अंतरराष्ट्रीय फंडों में मिलेगा, जिनके पास पहले से ही भारत में बहु‑बिलियन डॉलर निवेश है। दूसरा उत्तर में ऊर्जा, हाईवे और स्मार्ट सिटीज़ के प्रोजेक्ट्स प्रमुख हैं। तीसरा उत्तर स्पष्ट है: 31 मार्च 2030 तक, जब तक यह विस्तारित अवधि समाप्त नहीं होती। इस तरह की स्पष्टता निवेशकों को निर्णय लेने में मदद करती है और CBDR के काम को अधिक पारदर्शी बनाती है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस जानकारी से आपका क्या फायदा? नीचे की सूची में ऐसी खबरें हैं जो इस नीति के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से बताती हैं—नया आयकर ढाँचा, रिवर्स टैक्स मैकेनिज्म, इन्फ्रास्ट्रक्चर में विदेशी निवेश के नियम, और पेंशन फंड के लिए विशेष राहत। ये सभी लेख आपको वास्तविक केस स्टडी और व्यावहारिक टिप्स देंगे, ताकि आप अपनी कर योजना या निवेश रणनीति को बेहतर बना सकें। आगे पढ़ें और देखें कैसे CBDT की पहलकदमियां आपके वित्तीय लक्ष्यों को आकार दे सकती हैं।
CBDT ने वित्तीय वर्ष 2024‑25 के कर ऑडिट की अंतिम तिथि 30 सितंबर से 31 अक्टूबर 2025 कर दी, कर्नाटक‑राजस्थान हाई कोर्ट की याचिकाओं के बाद।