बकरीद 2025 – सभी जरूरी जानकारी

बकरीद, यानी ईद उल-अज़हा, इस्लाम में सबसे बड़ी त्योहारों में से एक है। यह त्योहार हज का बुनियादी हिस्सा है और यह ऐब्रा‍हिम (इब्राहिम) की इबादत को याद दिलाता है। अगर आप इस साल बकरीद की तैयारी कर रहे हैं या बस तिथियों के बारे में जिज्ञासु हैं, तो पढ़िए पूरा लेख।

बकरीद कब है?

बकरीद इस्लामी चंद्र कैलेंडर के धुलाई (जुहड़) महीने के 10वें दिन होता है। 2025 में यह 28 जून को पड़ता है, यानी ग्रेगोरियन कैलेंडर में मध्य‑जून में। तिथि हर साल बदलती है क्योंकि चंद्र कैलेंडर का साल सूरज आधारित साल से छोटा होता है। इसलिए परीक्षा में पूछे जाने वाले सवालों में अक्सर वर्तमान वर्ष की बकरीद की तिथि देना पड़ता है।

बकरीद की प्रमुख रस्में

बकरीद का मुख्य आकर्षण युसुफ़ (इब्राहिम) द्वारा अपने बेटे की राह में बलिदान करने की बात है। इस यादगार घटना को मनाने के लिए कई रस्में निभाई जाती हैं:

  • सवेरे जल्दी उठकर नाफ़रमानी (नज़र-अनाज़) का इमाम पढ़ते हैं।
  • बलिदान (हैदिया) – आमतौर पर बकरी, भेड़ या गुड़िया का बलिदान किया जाता है। बड़े शहरों में मत्स्यवध भी हो सकता है।
  • भेड़ या बकरी के मांस को तीन भागों में बाँटा जाता है – एक भाग खुद के लिए, एक भाग रिश्तेदारों को और एक भाग गरीब या जरूरतमंद को।
  • जापत (जुड़वा) में नई कपड़े खरीदे जाते हैं और पूरे परिवार को नई पोशाक पहनाई जाती है।
  • स्मरणीय प्रार्थनाएँ और सलावाट (सुरह अल-इखलाas) पढ़ी जाती हैं।

भू-राजकीय प्रश्नों में अक्सर बकरीद के दौरान होने वाले सामाजिक बदलावों या पर्यटन पर प्रभाव के बारे में पूछा जाता है। इसलिए आपको इस विषय की बुनियादी समझ जरूरी है।

अगर आप किसी सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो बकरीद से जुड़ी कुछ सामान्य प्रश्नों पर नज़र रखें:

  • बकरीद की तिथि कैसे निर्धारित की जाती है?
  • हज के दौरान बकरीद का क्या महत्व है?
  • बकरीद के समय गरीबों को क्या अधिकार होते हैं?
  • भारत में बकरीद के दौरान किन-किन राज्यों में विशेष प्रशासनिक उपाय किए जाते हैं?

इन सवालों के जवाब जानने से आपका सामान्य ज्ञान भाग मजबूत बन सकता है। साथ ही, ये प्रश्न अक्सर वर्तमान मामलों के सेक्शन में आते हैं।

बकरीद के मौके पर सड़कों पर भीड़-भाड़ देखी जाती है, इसलिए सुरक्षा उपायों की जानकारी भी रखिए। कई शहरों में पुलिस द्वारा विशेष रूट और भीड़ नियंत्रण के लिए अलार्म लगाए जाते हैं। यह जानकारी लेख पढ़ने वाले लोगों को स्थानीय समाचारों में भी मदद करेगी।

संक्षेप में, बकरीद सिर्फ़ एक त्यौहार नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य में भी बड़ी भूमिका निभाता है। इसे सही समझना, परीक्षा में अंक लाने का साधन बन सकता है। अब आप तारीख, रस्में और संभावित प्रश्नों को लेकर पूरी तरह तैयार हैं। बकरीद की शुभकामनाएँ और परीक्षा की भी!

ईद-उल-अजहा 2024 मुबारक: हिंदी कोट्स, व्हाट्सएप मैसेजेस और फेसबुक ग्रीटिंग्स के साथ बकरीद का जश्न
ईद-उल-अजहा 2024 मुबारक: हिंदी कोट्स, व्हाट्सएप मैसेजेस और फेसबुक ग्रीटिंग्स के साथ बकरीद का जश्न

ईद-उल-अजहा, जिसे बकरीद या कुर्बानी की ईद भी कहा जाता है, इस्लाम में महत्वपूर्ण त्योहार है। यह रमज़ान ईद के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है। 2024 में भारत में यह त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। इस दिन बकरीद मनाते हुए जानवरों की कुर्बानी दी जाती है और उनके मांस को परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के बीच बांटा जाता है।

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