आयकर अधिनियम – सभी सवालों के जवाब

जब हम आयकर अधिनियम, भारत के कर कानून का मुख्य आधार, जो आय पर शुल्क निर्धारित करता है. इसे अक्सर Income Tax Act कहा जाता है तो, इसका संबंध वित्तीय वर्ष, अप्रैल से मार्च तक की 12‑महीनी अवधि, जिसमें आय को गणना किया जाता है से है। उसी तरह कर स्लैब, आय के विभिन्न स्तरों पर लागू टैक्स प्रतिशत भी अधिनियम के भीतर परिभाषित होते हैं। अंत में, टैक्स रिटर्न, वार्षिक आय की घोषणा और कर जमा करने की प्रक्रिया अभिन्न हिस्सा है। ये चार तत्व मिलकर आयकर की पूरी तस्वीर बनाते हैं।

मुख्य पहलू और व्यावहारिक टिप्स

पहला कदम है वित्तीय वर्ष की सही पहचान। अधिकांश लोग अप्रैल‑मार्च को एक कैलेंडर साल समझते हैं, पर आयकर के लिए यह अवधि ही कर‑योग्य आय का निर्धारण करती है। इस अवधि में यदि आप फ्रीलांसर, नौकरी‑पेशा या दोनों हैं, तो सभी स्रोतों से मिली आय को जोड़ना जरूरी है। दूसरा, कर स्लैब आपका अंतिम टैक्स बिल तय करता है। 2024‑25 में 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं, 2.5‑5 लाख पर 5%, 5‑10 लाख पर 20% और 10 लाख से ऊपर 30% लागू होता है। इन स्लैब को समझ कर आप अपनी बचत रणनीति बना सकते हैं, जैसे प्रो‑रिटायरमेंट फंड (PF) या पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में योगदान, जो टैक्स‑बचत में मदद करता है।

तीसरा, टैक्स रिटर्न दाखिल करना सिर्फ क़ानूनी दायित्व नहीं, बल्कि कई फायदे देता है। रिटर्न फाइल करने से आप बैंक लोन, वीज़ा, या अगली नौकरी में आसानी पाते हैं। रिटर्न फाइल करने के दो मुख्य तरीके हैं – आय‑टीडी‑एस (ITD) पोर्टल पर ऑनलाइन फॉर्म 16/16A अपलोड करना, या ऑडिटेड अकाउंटेंट से मदद लेना। ध्यान रखें कि टैक्स के देयता को कम करने के लिए सेक्शन 80C, 80D जैसे कटौतियों का सही उपयोग करें; ये कटौतियाँ सीधे कर‑योग्य आय को घटाती हैं। अंत में, अगर पहले‑अंत में टैक्स बकाया है, तो लेट फीस से बचने के लिये तुरंत भुगतान कर दें, अथवा वार्षिक रिटर्न फाइल करने से पहले रिवर्सिंग एंट्री के जरिए समाधान करें।

इन बुनियादी बातों को समझने के बाद, आप आयकर अधिनियम के नीरस शब्दों को अपने लाभ में बदल सकते हैं। नीचे की सूची में विभिन्न लेख, अपडेट और गाइड्स मिलेंगे—जैसे नवीनतम ट्राय‑बिल्डर, सेक्शन 87A की छूट, या डिजिटल लोन पर टैक्स‑बचत की रणनीति। चाहे आप पहली बार रिटर्न डाल रहे हों या अनुभवी करदाता हों, यहाँ का कंटेंट आपके सवालों का ठोस जवाब देगा। आगे चलकर आप देखेंगे कि कैसे छोटे‑छोटे परिवर्तन भी भारतीय कर प्रणाली में बड़ा असर डालते हैं।

CBDT ने कर ऑडिट की तिथि बढ़ाई, कर्नाटक‑राजस्थान हाई कोर्ट की आज्ञा पर
CBDT ने कर ऑडिट की तिथि बढ़ाई, कर्नाटक‑राजस्थान हाई कोर्ट की आज्ञा पर

CBDT ने वित्तीय वर्ष 2024‑25 के कर ऑडिट की अंतिम तिथि 30 सितंबर से 31 अक्टूबर 2025 कर दी, कर्नाटक‑राजस्थान हाई कोर्ट की याचिकाओं के बाद।

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