स्विस अदालत ने भारतीय मूल के अरबपति हिन्दुजा परिवार के चार सदस्यों को कर्मचारियों के शोषण के आरोप में कारावास की सजा सुनाई है। यह सजा ऐसे समय में आई है जब परिवार को कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार को लेकर पहले ही आरोपों का सामना करना पड़ा था। स्विस अदालत ने प्रकाश हिन्दुजा और उनकी पत्नी कमल हिन्दुजा को चार साल छह महीने की सजा दी, जबकि उनके बेटे अजय और बहू नम्रता को चार साल की सजा सुनाई।
अदालत में यह बात सामने आई कि हिन्दुजा परिवार अपने कर्मचारियों से अत्यधिक काम करवाता था। कर्मचारियों को 18 घंटे प्रति दिन काम करने के लिए मजबूर किया जाता था और उन्हें न्यूनतम वेतन से भी कम भुगतान किया जाता था। यह आरोप खास तौर पर भारत से आए कर्मचारियों पर लागू थे, जो परिवार के स्विट्ज़रलैंड स्थित विला में काम करते थे।
अदालत में एक और चौंकाने वाली बात उजागर हुई कि हिन्दुजा परिवार ने अपने कुत्तों पर अपने कर्मचारियों से भी अधिक खर्चा किया था। अदालत ने इस आधार पर परिवार की अमानवीयता का जिक्र करते हुए उन्हें सजा सुनाई।
हालांकि, अदालत ने परिवार पर लगे मानवीय तस्करी के आरोपों को खारिज कर दिया लेकिन उन्होंने कर्मचारियों के शोषण का दोषी माना। कर्मचारियों के साथ हस्ताक्षरित समझौते के बावजूद, अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे ख़ारिज नहीं किया।
प्रकाश हिन्दुजा पहले भी 2007 में ऐसे ही आरोपों का सामना कर चुके हैं, लेकिन उन्होंने उचित दस्तावेजों के बिना ही कर्मचारियों को नौकरी पर रखा था। अदालत ने इस बार यह साफ कर दिया कि इस प्रकार के मामलों में वे सख्त कार्रवाई करेंगे।
परिवार के मैनेजर, नजीब जियाजी को भी 18 महीने की सजा सुनाई गई। अदालत में यह बताया गया था कि बड़ी ही योजना से कर्मचारियों से न्यूनतम लाभ के लिए अधिकतम काम लिया जाता था। यह मामला कर्मचारियों की दयनीय स्थिति की एक कड़ी मिसाल बन गया है और समाज के लिए चेतावनी की तरह है।
अदालत ने जोर देकर कहा कि यह जरूरी है कि सभी कर्मचारी उचित मेहनताना और काम के घंटों की सम्पूर्ण सतर्कता के साथ काम करें। हिन्दुजा परिवार द्वारा अपने कर्मचारियों के साथ किया गया यह दुर्व्यवहार उदाहरण है कि किस तरह आर्थिक और सामाजिक शक्तियों का गलत उपयोग किया जा सकता है।
स्विस अदालत का यह फैसला उन सभी शक्तिशाली व्यापारिक घरानों के लिए एक कड़ा संदेश है जो अपने कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करते हैं। यह मामला यह दर्शाता है कि कोई कितना भी अमीर क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं होता। इस निर्णय का व्यापक प्रभाव हो सकता है, जो कर्मचारियों के अधिकारों और उनके सम्मान की रक्षा के लिए आधार बना सकता है।