शेख हसीना ने अमेरिका पर संत मार्टिन द्वीप विवाद में अपदस्थ करने का आरोप लगाया

शेख हसीना ने अमेरिका पर संत मार्टिन द्वीप विवाद में अपदस्थ करने का आरोप लगाया

अगस्त 12, 2024 shivam sharma

शेख हसीना का अमेरिका पर आरोप

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें संत मार्टिन द्वीप के विवाद के कारण अमेरिका द्वारा सत्ता से हटा दिया गया। उनका कहना है कि अगर उन्होंने द्वीप की संप्रभुता को छोड़ दिया होता तो वे अभी भी सत्ता में होतीं।

शेख हसीना ने द्वीप की रणनीतिक महत्ता को रेखांकित किया और बताया कि इस द्वीप का क्षेत्रीय भू-राजनीतिक प्रभाव कितना महत्वपूर्ण है। यह द्वीप, जिसे बंगाली भाषा में 'नारिकेल जिंजीरा' के नाम से जाना जाता है, बंगाल की खाड़ी में स्थित है और यह मछली पकड़ने, चावल उगाने और पर्यटन उद्योगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

द्वीप की भू-राजनीतिक महत्ता

संत मार्टिन द्वीप का भौगोलिक महत्व न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी है। इसकी स्थिति और प्राकृतिक संसाधनों के कारण यह द्वीप बांग्लादेश के लिए अत्यंत सामरिक महत्व का है। द्वीप का लगभग 5,500 निवासियों वाला समुदाय मुख्य रूप से मछली पकड़ने और खेती पर निर्भर है।

यह द्वीप लंबे समय से बांग्लादेश और म्यांमार के बीच समुद्री सीमाओं और मछली पकड़ने के अधिकारों को लेकर विवाद का केंद्र बना हुआ है। हालांकि, 2012 में समुद्री कानून पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण (ITLOS) ने फैसला दिया कि यह द्वीप बांग्लादेश की क्षेत्रीय समुद्री सीमा, महाद्वीपीय शेल्फ और विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में आता है।

2018 का तनाव

इस विवाद में एक नया मोड़ तब आया जब 2018 में म्यांमार के नए नक्शे में गलत तरीके से इस द्वीप को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दर्शाया गया। हालांकि, बाद में इस बात को स्वीकार कर लिया गया कि यह एक गलती थी। इस घटना ने द्वीप के विवाद को फिर से जीवित कर दिया और क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया।

हसीना का संदेश

शेख हसीना के सहयोगियों ने उनके संदेश को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने रक्तपात को रोकने के लिए पद से इस्तीफा दिया और द्वीप की संप्रभुता पर समझौता नहीं करने का निर्णय लिया। उन्होंने बांग्लादेश की जनता से अपील की कि वे कट्टरपंथियों के बहकावे में न आएं और देश के भविष्य के लिए अपना समर्थन जारी रखें।

हसीना ने यह भी कहा कि अवामी लीग सदैव देश के भविष्य के प्रति सकंल्पित रही है और उन्होंने अपनी वापसी की उम्मीद जताई। अब देखना यह है कि इस नए आरोप से क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है।

संत मार्टिन द्वीप का महत्व

संत मार्टिन द्वीप का महत्व

संत मार्टिन द्वीप का इतिहास, भौगोलिक स्थिति और आर्थिक महत्व इसे बांग्लादेश के लिए एक विशेष संपत्ति बनाता है। द्वीप का मुद्सादेर क्षेत्र, जहाँ चोड़ी चोड़ी नारियल पेड़ों की कतारें हैं, स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। मछली पकड़ने के संसाधनों की भरमार और चावल की खेती के लिए अनुकूल जलवायु इस द्वीप को बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की हड्डी बनाती है।

द्वीप का आर्थिक महत्व इस बात से भी समर्थित होता है कि यहां का पर्यटन उद्योग बांग्लादेश के लिए विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। सालाना हजारों पर्यटक यहां आते हैं और इससे स्थानीय व्यवसायों को बहुत लाभ होता है। इसका एक मुख्य आकर्षण यहाँ की रंग-बिरंगी प्रवाल चट्टानें और साफ-सुथरे समुद्र तट हैं जो कुदरती सौंदर्य का अद्वितीय उदाहरण हैं।

संक्षिप्त समीक्षा और भविष्य की दिशा

संक्षिप्त समीक्षा और भविष्य की दिशा

शेख हसीना द्वारा लगाए गए आरोपों ने न केवल बांग्लादेश बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान खींचा है। संत मार्टिन द्वीप की संप्रभुता को लेकर चल रहा यह विवाद आने वाले दिनों में और भी गर्म हो सकता है। बांग्लादेश को चाहिए कि वह अपनी कूटनीतिक रणनीतियों को मजबूत करे और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन जुटाए।

इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट होता है कि छोटे से छोटे द्वीप भी भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं। द्वीपों के नियंत्रण को लेकर राष्ट्रों के बीच चल रहे विवादों और संघर्षों का अंत तभी संभव है जब सभी पक्ष अन्तर्राष्ट्रीय न्याय के सिद्धांतों का पालन करें और शांतिपूर्वक समाधान की दिशा में कदम बढ़ाएं।

8 Comments

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    Tarun Gurung

    अगस्त 13, 2024 AT 14:22

    ये द्वीप तो बस एक नारिकेल जिंजीरा नहीं, बल्कि बंगाल की आत्मा का टुकड़ा है। जब तक हम इसे अपनी ज़मीन समझेंगे, तब तक कोई भी बाहरी शक्ति हमारी इच्छा को नहीं तोड़ सकती। हसीना ने जो किया, वो सिर्फ राजनीति नहीं, इतिहास की रक्षा थी।

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    Rutuja Ghule

    अगस्त 14, 2024 AT 09:42

    अमेरिका के खिलाफ ये सब बहाना है। उन्होंने जो भी किया, वो अपने पार्टी के लिए था। इस द्वीप के लिए इतना नाटक क्यों? अगर वो असली नेता होतीं तो अपने देश के अंदर के गरीबों की चिंता करतीं।

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    vamsi Pandala

    अगस्त 16, 2024 AT 00:33

    अरे भाई, ये सब तो बस एक छोटा सा द्वीप है। जितना बड़ा नाटक बनाया है, उतना बड़ा झूठ। जब तक ये लोग अपने घर के बाहर की बातों में उलझे रहेंगे, तब तक हमारे बच्चे पढ़ने के लिए बिजली नहीं पाएंगे।

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    nasser moafi

    अगस्त 17, 2024 AT 07:15

    अमेरिका को भी अपना काम है, हमें भी अपना। लेकिन जब एक छोटे से द्वीप पर इतना झगड़ा हो रहा है, तो ये दिखाता है कि हमारी राष्ट्रीय आत्मा कितनी गहरी है। 🌊🌴 ये द्वीप हमारी शान है, न कि कोई बेकार का नक्शा।

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    Saravanan Thirumoorthy

    अगस्त 17, 2024 AT 18:41

    अमेरिका ने जो किया वो गलत है। हमारा द्वीप हमारा है। कोई भी देश इसे छीनने की कोशिश नहीं कर सकता। अगर वो ये बात समझ गए तो ठीक वरना अब देखना होगा।

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    Tejas Shreshth

    अगस्त 18, 2024 AT 21:07

    इस विवाद के पीछे केवल भू-राजनीति नहीं, बल्कि एक अधिक गहरी दार्शनिक चुनौती है - क्या संप्रभुता केवल नक्शों में है, या वह एक जातीय याद का साक्षात्कार है? हसीना के निर्णय में एक अस्तित्ववादी विद्रोह है।

    जब एक देश अपनी भूमि के लिए खड़ा होता है, तो वह केवल एक जमीन नहीं, बल्कि एक याद का संरक्षण करता है। अमेरिका की नीतियाँ इस याद के खिलाफ हैं।

    हम जो भी करें, इस द्वीप को एक राष्ट्रीय मिथक बनाना होगा। नहीं तो हमारी नई पीढ़ी इसे भूल जाएगी।

    जब तक हम इसे नहीं बुलाएंगे 'नारिकेल जिंजीरा' के नाम से, तब तक ये एक नक्शे का बिंदु बना रहेगा।

    अगर हम इसे नहीं बचाएंगे, तो आगे चलकर वो बस एक इतिहास की किताब में लिखा गया शब्द हो जाएगा।

    ये विवाद हमारी सांस्कृतिक आत्मा का परीक्षण है।

    अमेरिका के पास अपने लिए बहुत सारे द्वीप हैं। हमारे पास ये एक ही है।

    यहाँ बस एक छोटा सा द्वीप है, लेकिन इसकी भावनात्मक भारतीयता कितनी गहरी है।

    क्या हम इसे बचाने के लिए तैयार हैं? या फिर हम अपनी आत्मा को बेच देंगे?

    इस द्वीप की वास्तविकता उसके आर्थिक मूल्य से बहुत आगे है।

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    sarika bhardwaj

    अगस्त 20, 2024 AT 04:03

    हसीना ने जो किया वो एक नेता का काम था, लेकिन अब ये सब बस एक चुनावी गेम है। उनकी वापसी की बात करना अब बस एक ट्रेंड है। जब तक लोगों को खाने को मिले, तब तक कोई द्वीप के बारे में नहीं सोचेगा। 🌊👑

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    Hitendra Singh Kushwah

    अगस्त 21, 2024 AT 11:32

    ये द्वीप तो बस एक नक्शे का बिंदु है। अमेरिका के खिलाफ ये सब बहाना है। अगर वो वाकई इतनी चिंतित होतीं तो बांग्लादेश के अंदर के गरीबों की चिंता करतीं।

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