डॉक्टर, नर्स, दवा वितरण करने वाले या लैब तकनीशियन – सभी को काम करते समय सुरक्षा की जरूरत है। अगर आप सही कदम उठाते हैं तो चोट, संक्रमण या थकान से बच सकते हैं। चलिए, रोज़मर्रा की जिंदगी में आप किन चीज़ों पर ध्यान दें, ये आसान बातों में समझते हैं।
पहला कदम है PPE (Personal Protective Equipment) का सही उपयोग। मास्क, ग्लव, फेस शील्ड और एप्रन को सही ढंग से पहनें, और काम खत्म होने पर तुरंत हटा कर उचित ढंग से डिस्पोज़ करें। अगर कोई गेज़ेट ढीला या फटा हो तो उसे बदलना न भूलें – आधे रास्ते पर बदलने से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
दूसरा, हाथों की सफाई को गंभीरता से लें। साबुन‑पानी से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोएँ और अल्कोहल‑बेस्ड हैंड सैनेटाइज़र का इस्तेमाल करें जब पानी नहीं मिले। हाथ धोने के बाद मॉइश्चराइज़र लगाएँ, ताकि कटा‑फटा स्किन नहीं हो और संक्रमण का रास्ता बना न रहे।
तीसरा, काम की जगह को साफ‑सुथरा रखें। सतहों को समय‑समय पर डेसिनफ़ेक्ट करें, विशेषकर बीडसाइड टेबल, बिस्तर और उपकरणों के हैंडल। अगर आप क्लिनिक में हैं तो फर्श को गीला रह जाने से बचाएँ, फिसलन से गिरने की जोखिम बहुत कम हो जाती है।
चौथा, खुद का हेल्थ मॉनिटरिंग भी ज़रूरी है। रोज़ाना बुखार, खांसी या थकान जैसे लक्षणों की जाँच करें। यदि आप में किसी भी तरह का लक्षण दिखे तो तुरंत रिपोर्ट करें और काम से ब्रेक लें। इससे न सिर्फ़ आपकी सेहत बचती है, बल्कि दूसरों को भी बचाने में मदद मिलती है।
कभी‑कभी आपातकालीन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है – जैसे तेज़ भूकंप, आग या अचानक महामारी का उछाल। ऐसे समय में तुरंत सुरक्षित निकास मार्ग पहचानें और सभी को बताएँ। अगर आप वार्ड या क्लिनिक में हैं तो एमरजेंसी किट (बैंडेज, एंटीसेप्टिक, इमरजेंसी मैस्क) हमेशा पास में रखें।
भारी हादसे में, पहले प्राथमिक उपचार पर फोकस करें – खून बहना रोकना, चोट को स्थिर करना और ज़रूरत पड़ने पर सीपीआर देना। ये बुनियादी ट्रेनिंग अक्सर अस्पताल में दी जाती है, इसलिए अपने संस्थान की ट्रेनिंग को दोहराते रहें।
पॉज़िटिव COVID‑19 केस या किसी अन्य संक्रामक रोग के फॉर्म में, तुरंत अलग कमरे में रखें, एयर फिल्टर वेंटिलेशन चालू रखें और सभी स्टाफ को उच्च स्तर के PPE परिधान में काम करवाएँ। संपर्क ट्रेसिंग को जल्दी शुरू करें, ताकि आगे की फैलाव रोकी जा सके।
अंत में, मानसिक स्वास्थ्य को मत भूलें। शिफ्ट की थकान, लगातार रोगी देखभाल से तनाव बढ़ सकता है। रोज़ 10‑15 मिनट के लिए गहरी साँसें, स्ट्रेच या छोटे वॉक करने से मन हल्का रहता है। अगर ज़रूरत महसूस हो तो काउंसलिंग या सपोर्ट ग्रुप से बात करें।
इन आसान उपायों को अपनी रोज़मर्रा की रूटीन में शामिल कर आप न केवल खुद को बचा सकते हैं, बल्कि अपने साथियों और रोगियों को भी सुरक्षित रख सकते हैं। याद रखें, सुरक्षा का मतलब सिर्फ़ उपकरण नहीं, बल्कि सतर्क रहना और सही आदतें अपनाना है। आगे बढ़ें, सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें।
कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के विरोध में पूरे भारत के डॉक्टर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। सोमवार से शुरू हुई इस हड़ताल में सभी गैर-आपातकालीन सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है। डॉक्टरों ने जांच पूरी होने और सुरक्षा के कड़े उपायों की मांग की है।