रक्त नमूना हेरफेर का मतलब है जब किसी लैब में लिये गये रक्त की सच्चाई बदल दी जाती है। यह बदलना खराब इरादे से या गलती से हो सकता है। ऐसे बदलाव से रिपोर्ट गलत निकलती है और रोगी को गलत इलाज मिल सकता है। तो चलिए जानते हैं कब‑कब ऐसा हो सकता है और कैसे बचा जाए।
पहला कारण है लाब की भीड़‑भाड़। जब कई सैंपल एक साथ आते हैं, तो तकनीशियन जल्दी‑बाजी में गलती कर सकता है। दूसरा, कुछ लोग जानबूझकर परिणाम बदलते हैं, जैसे दवा की रिपोर्ट छुपाने या बढ़ाने के लिए। तीसरा, उपकरण खराब या कैलिब्रेशन गलत होने से भी सैंपल को सही पढ़ा नहीं जाता। ये सब कारण अक्सर छोटे छोटे लापरवाहियों या जानबूझकर किए गये होते हैं।
सबसे पहले, अपने सैंपल को ठीक से लेबल करवाएँ। नाम, उम्र, दिनांक और टेस्ट का कोड साफ‑साफ लिखें। दूसरे, लैब चुनते समय उसकी प्रमाणिकता जाँचें – क्या वह NABL या किसी सरकारी मान्यता प्राप्त है? तीसरे, यदि संभव हो तो खुद सैंपल देने के बाद एक छोटा‑सा रिटर्न रसीद ले लें, जिसमें सैंपल का बारकोड या आईडी हो। ये चीजें भविष्य में किसी भी उलझन से बचाती हैं।
यदि रिपोर्ट में संदेह हो तो दोबारा टेस्ट करवा सकते हैं। कभी‑कभी अलग‑अलग लैब में करवाने से सही परिणाम मिलते हैं। साथ ही, डॉक्टर से भी बातचीत करें – वह आपको बता सकते हैं कि कौन‑से पैरामीटर आपके केस के लिए ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हैं और किनमें त्रुटि की संभावनाएँ रहती हैं।
एक और आसान उपाय है कि आप टेस्ट से पहले अपने शरीर में कुछ बदलाव न करें, जैसे शराब, धूम्रपान या भारी व्यायाम। ये चीजें रक्त के घटकों को अस्थायी रूप से बदल देती हैं और रिपोर्ट में गड़बड़ी कर सकती हैं। इसलिए फास्टिंग या डॉक्टर की सलाह अनुसार तैयार रहें।
लैब स्टाफ भी इस बात से जागरूक होना चाहिए कि जाँच के दौरान हर सैंपल का ट्रैक रखना ज़रूरी है। अगर आप लैब में इंतज़ार कर रहे हैं, तो पूछें कि आपके सैंपल को कैसे स्टोर किया गया है और क्या कोई कूलर या फ्रिज में रखा गया है।
यदि आपको कोई अनियमित लगता है – जैसे रिपोर्ट अचानक बहुत अलग हो या परिणाम बहुत आसान लगें – तो तुरंत डॉक्टर या लैब मैनेजर से बात करें। अधिकांश लैब इस प्रकार की शिकायतों को गंभीरता से लेते हैं और जांच शुरू कर देते हैं।
संक्षेप में, रक्त नमूना हेरफेर को रोकने के लिए आपको खुद भी सतर्क रहना होगा और भरोसेमंद लैब चुनना होगा। सही लेबलिंग, उचित स्टोरेज, और डॉक्टर के साथ खुली बातचीत इस समस्या को काफी हद तक खत्म कर देती है। याद रखिए, सही रिपोर्ट ही सही इलाज का रास्ता दिखाती है।
पुणे में दो डॉक्टरों को एक किशोर के रक्त नमूने में हेरफेर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह घटना 26 फरवरी को हुई, जब एक 19 वर्षीय युवक ने पोर्श कार चलाते हुए एक 45 वर्षीय पैदल यात्री को टक्कर मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस जांच में पता चला कि रक्त नमूना छेड़छाड़ किया गया था, और डॉक्टरों को भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया।