अगर आप विदेश में भारत का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, तो IFS आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है। इस लेख में हम IFS की पूरी जानकारी देंगे – क्या है, कैसे तैयार हों, और सेवा में कौन‑कौन से काम होते हैं। पढ़िए, सीखिए और अपने सपनों को पथ पर लाएँ।
IFS, यानी इण्डियन फ़ॉरेन सर्विस, भारत की तीन मुख्य सेवाओं में से एक है – साथ में IAS और IPS। एक IFS अधिकारी विदेश मंत्रालय में काम करता है, विभिन्न दूतावास, वाणिज्य दूतावास, और भारतीय मिशन में पोस्ट किया जाता है। उनका काम कूटनीति, वाणिज्य, सांस्कृतिक संबंध, वाणिज्यिक सहयोग और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
हर साल IFS अधिकारी विदेशों में भारत के हितों को आगे बढ़ाने, शांति वार्ता में भाग लेने और विदेशियों के साथ संवाद स्थापित करने का काम करते हैं। इस काम में भाषा ज्ञान, बहु‑सांस्कृतिक समझ और तेज़ निर्णय‑क्षमता चाहिए।
IFS बनना UPSC सिविल सेवा परीक्षा (CSE) के माध्यम से संभव है। यह तीन चरणों में होती है – प्रीलिमिनरी (ऑब्जेक्टिव), मुख्य (व्याख्यात्मक) और इंटरव्यू। IFS के लिये किसी विशेष विषय की आवश्यकता नहीं, लेकिन इतिहास, राजनीति विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय संबंध और भाषा में मजबूत पकड़ फायदेमंद है।
पात्रता मानदंड सरल हैं: भारतीय नागरिक होना चाहिए, 21‑32 वर्ष की आयु (एडिशनल रिझर्व के लिये 35 वर्ष तक), और बैचलर की डिग्री (अंतिम परीक्षा में अपवाद)। यदि आपके पास इनमें से कोई भी शर्त नहीं, तो फॉर्म नहीं भर सकते।
मुख्य परीक्षा में 9 पेपर होते हैं, जिनमें दो भाषा पेपर (अंग्रेज़ी और एक भारतीय भाषा) अनिवार्य हैं। IFS aspirants को अंतरराष्ट्रीय संबंध, विदेशी भाषा (जैसे फ़्रेंच, स्पेनिश, अरबी) और कूटनीतिक लेखन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
इंटरव्यू (पर्सनालिटी टेस्ट) में आपके संचार कौशल, तर्क‑शक्ति, आत्मविश्वास और विदेश नीति की समझ पर सवाल पूछे जाते हैं। यहाँ “पर्यवेक्षक” नहीं, बल्कि आपका व्यक्तित्व दिखाने का अवसर है।
आती है तैयारी का सवाल। सबसे पहले एक स्ट्रॉन्ग टाइम‑टेबल बनाइए – प्रीलिमिनरी के लिये रोज़ 2‑3 घंटे, मुख्य के लिये 4‑5 घंटे, और भाषा एवं वैकल्पिक विषय पर अतिरिक्त समय रखें।
संसाधन चुनते समय NCERT पुस्तकों से शुरू करें, फिर पुस्तकालय या ऑनलाइन कोर्स से ‘इंटरनेशनल रिलेशंस’, ‘डिप्लोमैसी’ और ‘फ़ॉरेन लैंग्वेज’ पर गहराई से पढ़ें। नेट पर कई फ्री मॉक टेस्ट और पिछले साल के प्रश्नपत्र उपलब्ध हैं – उनका उपयोग रोज़ाना करें।
अंत में, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन भी जरूरी है। नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और हल्का‑हल्का मनोरंजन तनाव कम करता है और पढ़ाई में फोकस बनाये रखता है।
सफलता का एक छोटा राज़ – निरंतरता। हर दिन थोड़ा‑थोड़ा पढ़ें, छोटे‑छोटे लक्ष्य बनाइए, और अपने आप को प्रगति की जाँच के लिये क्विज़ या मॉक टेस्ट से पर्सनल रिव्यू देते रहें। इस तरह आगे बढ़ते रहेंगे और IFS का सपना एक दिन हकीकत बन सकता है।
भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी निधि तिवारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई विशेष सचिव नियुक्त किया गया है। वाराणसी की निवासी और 2014 बैच की अधिकारी तिवारी ने पहले पीएमओ में विदेशी और सुरक्षा मामलों के तहत अपनी सेवाएँ दी थी। उनकी इस नियुक्ति को महिला प्रतिनिधित्व के बढ़ाव के रूप में देखा जा रहा है।